जयशंकर ने UN से कनाडा को दी नसीहत, सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद पर एक्शन नहीं लेना चाहिए
New York: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार UNGA में कहा कि अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं. यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता. विदेश मंत्री ने कहा कि वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें. जब हम अग्रणी शक्ति बनने की आकांक्षा रखते हैं तो यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी उठाने और अधिक योगदान करने के लिए होती है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘भारत अपनी जिम्मेदारियों को समझता है. दुनिया के कई क्षेत्रों में संघर्ष चल रहे हैं और तनाव का माहौल है। कूटनीति और बातचीत के जरिए ही इस मसले को हल किया जा सकता है.’
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए. अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता. अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए. जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाती है तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए.
UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, “ऐसे समय में जब पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना तीव्र है और उत्तर-दक्षिण विभाजन इतना गहरा है, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन भी इस बात की पुष्टि करता है कि कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं… वे दिन ख़त्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करते थे.”
विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, “भारत की पहल की वजह से G-20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता मिली है. ऐसा करके हमने पूरे महाद्वीप को एक आवाज दी, जिसका काफी समय से हक रहा है. इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो उससे भी पुराना संगठन है, सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए.” विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, “भारत विविध साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है. गुटनिरपेक्षता के युग से, अब हम ‘विश्व मित्र – दुनिया के लिए एक मित्र’ के युग में विकसित हो गए हैं. यह विभिन्न देशों के साथ जुड़ने और जहां आवश्यक हो, हितों में सामंजस्य स्थापित करने की हमारी क्षमता और इच्छा में परिलक्षित होता है. यह QUAD के तीव्र विकास में दिखाई देता है; यह BRICS समूह के विस्तार या I2U2 के उद्भव में भी समान रूप से स्पष्ट है.”