प्राण-प्रतिष्‍ठा से विपक्ष को परहेज, पर मंदिर से नहीं गुरेज

Ram Temple News:प्राण-प्रतिष्‍ठा से विपक्ष को परहेज, पर मंदिर से नहीं गुरेज

New Delhi: अयोध्‍या में 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण-प्रतिष्‍ठा होनी है। इसको लेकर पूरे विश्‍व में राममय वातावरण देखने को मिल रहा है। पर वहीं दूसरी तरफ इस पर विपक्ष की राजनीति भी जारी है। एक तरफ जहां विपक्ष के बड़े नेता प्राण-प्रतिष्‍ठा के न्‍यौते को ठुकरा रहे हैं पर मंदिर पॉलिटिक्स से खुद को दूर भी नहीं रख पा रहे हैंं। ये सियासी मजबूरी ही है कि राहुल गांधी अपनी मणिपुर यात्रा के दौरान तमाम मंदिरों पर हाजिरी लगाएंगे, वहीं सीएम ममता से लेकर तमाम विपक्षी नेता 22 जनवरी को अलग-अलग मंदिरों में पूजा-अर्चना करते नजर आएंगे।

बीजेपी की मंदिर पॉलिटिक्स

बीजेपी राम मंदिर के जरिए 2024 के चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिशों में जुटी है, जिसके लिए सियासी माहौल बनाने की कवायद भी शुरू कर रखी है.पीएम मोदी के आह्वान पर बीजेपी नेता 22 जनवरी तक ‘स्वच्छ तीर्थ’ स्वच्छता अभियान चला रहे हैं. इस अभियान के दौरान मंदिरों और आसपास के इलाकों की सफाई के लिए बीजेपी नेता श्रम दान दे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अलग-अलग मंदिरों में स्वच्छ तीर्थ अभियान में योगदान दे चुके हैं.

पीएम मोदी ने 12 जनवरी को महाराष्ट्र के नासिक स्थित श्री कालाराम मंदिर में स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया था, जहां से उन्होंने 22 जनवरी तक अनुष्ठान करने की अपील की थी. प्रधानमंत्री मंगलवार को आंध्र प्रदेश के 486 साल पुराने वीरभद्र मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. मंदिर परिसर में बैठकर पीएम मोदी ने राम भजन भी किया और रंगनाथ रामायण पर आधारित कठपुतलियों के जरिए प्रदर्शित रामकथा भी देखी. इस दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘आज-कल पूरा देश राममय है, रामभक्ति में सराबोर है, लेकिन प्रभु श्रीराम का जीवन विस्तार, उनकी प्रेरणा, आस्था, भक्ति के दायरे से कहीं ज्यादा है. प्रभु राम सामाजिक जीवन में सुशासन के प्रतीक हैं.

प्रधानमंत्री बुधवार को सुबह-सुबह केरल के त्रिशूर जिले के गुरुवयूर के श्री कृष्ण मंदिर पहुंचे हैं, जहां पूजा अर्चना किया. इसके बाद पीएम मोदी त्रिप्रयार में श्री राम स्वामी मंदिर जाएंगे. केरल के यह प्रमुख मंदिरों में से एक ऐसी मंदिर है, जहां भगवान राम मुख्य देवता हैं. पीएम मोदी अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले दक्षिण भारत में सियासी माहौल को राममय बनाने की रणनीति के तहत देखा जा रहा है. बीजेपी शुरू से ही उत्तर में अयोध्या, मथुरा, काशी हो या फिर दक्षिण में राम सेतु, उसका मुख्य एजेंडा रहा है. राम मंदिर अब जब अयोध्या में बनकर तैयार हो रहा है तो पीएम मोदी खुद नार्थ से साउथ तक राममय माहौल बनाने के लग गए हैं.

क्‍या होगा कांग्रेस का स्‍टैंड

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले मकर संक्रांति के मौके पर उत्तर प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने अयोध्या जाकर सरयू में डुबकी लगाई और रामलला के दर्शन किए.

कांग्रेस ने मकर संक्रांति के मौके पर मणिपुर से ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू की है. राहुल गांधी पूर्वोत्तर से मुंबई तक की 6700 किलो मीटर की यात्रा करेंगे. इस दौरान रूट पर पड़ने वाले धार्मिक स्थलों पर जाकर माथा टेकेंगे. 22 जनवरी को पीएम मोदी राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे होंगे तो उसी समय राहुल गांधी भगवान शिव के शरण में होंगे. राहुल गांधी गुवाहाटी के लोखरा में शिव धाम जाने का कार्यक्रम है. भारत जोड़ो न्‍याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने प्राण-प्रतिष्‍ठा कार्यक्रम को बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बता दिया. उन्‍होंने कहा कि धर्म मेरा व्यक्तिगत मामला है. इस पर न सियासत करता हूं और न वोट बटोरता हूं.

ममता की सदभावना रैली

ममता बनर्जी ने भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत नहीं करेंगी, लेकिन उसी दिन मंदिर काली घाट मंदिर जाएंगी. ममता अलग-अलग धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ एक सद्भाव रैली निकालेंगी. कालीघाट मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करेंगी. ममता बनर्जी इस बात को बखूबी जानती हैं कि बंगाल में भगवान श्रीराम की तुलना में मां काली और मां दुर्गा को ज्यादा धार्मिक तवज्जो दी जाती है. इसी मद्देनजर ममता बनर्जी कालीघाट मंदिर में जाने का प्लान बनाया है. इस तरह से बंगाल में बीजेपी के राम के सामने मां काली को खड़ी करके सियासी दांव चल रही हैं.

उद्धव ठाकरे भी जाएंगे कालाराम मंदिर

उद्धव ठाकरे 22 जनवरी को अयोध्या के बजाय महाराष्ट्र के नासिक में श्री कालाराम मंदिर जाकर पूजा अर्चना करेंगे. कालाराम मंदिर में भगवान राम के दर्शन करेंगे. इस मौके पर शिवसेना (यूबीटी) की ओर से बड़ा आयोजन किये जाने की संभावना है. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे को अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है, इसलिए अपनी हिंदुत्ववादी छवि को बरकरार रखने के लिए उद्धव ठाकरे ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन कालाराम मंदिर जाकर दर्शन करने का फैसला किया है. 7 जनवरी को शिवसेना ठाकरे सांसद संजय राउत ने कालाराम मंदिर का दौरा किया था.

राम मंदिर का मुद्दा जिस तरह से बीजेपी ने उठाया है, उसी आक्रमकता से शिवसेना भी उठाती रही है. उद्धव ठाकरे कई बार अयोध्या आकर रामलला के दर्शन भी कर चुके हैं. राममंदिर शिवसेना के एजेंडा का हिस्सा रही है और अब जब मंदिर बनकर तैयार हो रही है तो वो अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि कालाराम मंदिर जाकर ठाकरे अपने हिंदुत्व छवि को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे.

आम आदमी पार्टी का सुंदरकांड

आज केजरीवाल ने भी कह दिया कि वो परिवार सहित 22 जनवरी के बाद मंदिर में दर्शन को जाएंगे. क्‍योंकि उन्‍हें अभी तक ऑफिशियल निमंत्रण नहीं मिला है.आम आदमी पार्टी ऐसे समय हर मंगलवार को दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों और नगर निगम वार्ड समेत 2600 स्थानों पर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ कर रही है. बीते मंगलवार को अरविंद केजरीवाल रोहिणी मंदिर में आयोजित सुंदरकांड पाठ में शामिल हुए. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल खुद को हनुमान भक्त बता चुके हैं और अयोध्या में रामलला के दर्शन करने भी गए थे.

नीतीश से लेकर तेजस्वी की सियासत

अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है तो बिहार में नीतीश कुमार सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मस्थली पुनौराधाम जाकर माता सीता के मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना किया था. साथ ही उन्होंने देश को मां सीता की भव्य मंदिर के रूप में सौगात देने का न केवल वादा किया बल्कि सीता मंदिर के निर्माण का शिलान्यास भी किया. नीतीश ने यह कदम अयोध्या में राम मंदिर के निर्धारित उद्घाटन से ठीक एक महीने पहले उठाया, जिसकी वजह से उनकी राजनीतिक मंशा को भी समझा जा सकता है. नीतीश ही नहीं बल्कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और डिप्टीसीएम तेजस्वी यादव मंदिर में पूजा-अर्चना करते नजर आए हैं.

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