बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न,मोदी सरकार का बड़ा एलान
New Delhi: मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की। वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे.
जननायक थे कर्पूरी ठाकुर
राजनीति में कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। वे ऐसे नेता थे जो केवल एक धोती-कुर्ता में कई महीने बिता दिया करते थे। जो बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे पर निधन के समय उनके पास न मकान था न एक इंच भी जमीन।
कर्पूरी की सादगी रही मिसाल
24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे पर एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया। उन्हें अपनी सरकार की कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन जननायक अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए। कर्पूरी ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी लागू की। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार इस घटना का जिक्र किया। 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद कर्पूरी ठाकुर बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे। उनकी सादगी ऐसी थी कि वो कभी दूसरे को हैंडपंप नहीं चलाने देते थे। खुद से पानी निकालना और अपने कपड़े को खुद धोना उनकी दिनचर्या में शामिल था। कर्पूरी की समस्तीपुर की एक यात्रा काफी चर्चा में रही।
अजेय नेता रहे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर बिहार में दो बार मुख्यमंत्री एक बार उप मुख्यमंत्री रहे. इसके साथ ही दशकों तक विपक्ष के नेता रहे. कर्पूरी ठाकुर 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव में जीते. जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर- कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।भारत छोड़ो आंदोलन के समय कर्पूरी ठाकुर ने करीब ढाई साल जेल में बिताया.बिहार के नाई परिवार में जन्में ठाकुर अखिल भारतीय छात्र संघ में रहे. लोकनायक जयप्रकाश नारायण व समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया इनके राजनीतिक गुरु थे. बिहार में पिछड़ा वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था कराने की पहल की थी.