केसीआर ने बुलाई कैबिनेट मीटिंग, वक्त से पहले चुनाव कराए जाने की अटकलें तेज़

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने रविवार को कैबिनेट की मीटिंग बुलाई है. मुख्यमंत्री ने यह बैठक हैदराबाद की रैली से ठीक दो घंटे पहले बुलाई है. अटकलें लगाई जा रही है कि तेलंगाना में समय से पहले चुनाव हो सकते हैं. तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल साल 2019 में लोकसभा के साथ पूरा होगा. हालांकि ऐसी चर्चा है कि केसीआर नवंबर से दिसंबर के बीच में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के चुनाव के साथ ही तेलंगाना का भी चुनाव चाहते हैं.
सत्ताधारी टीआरएस ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी में समय से पहले चुनाव कराए जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई, हालांकि अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है. राज्य के आईटी मिनिस्टर केटी रामाराव ने कहा, ‘कई मुद्दों पर चर्चा हुई. समय से पूर्व चुनाव कराए जाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. जैसा कि मैंने कहा कि फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. ऐसे में अगर कोई फैसला होगा तो आपको पता चलेगा.’
समय पूर्व चुनाव करने के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों पर राव ने कहा कि टीआरएस हमेशा चुनाव के लिए तैयार है. राव ने कहा, ‘आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है. कोई नहीं चाहता कि वह समय से पहले हट जाए. ठीक इसी तरह विपक्ष इस चीज के लिए बेसब्र रहता है और मौजूदा सरकार को जल्द से जल्द हटाना चाहता है.’राव ने कहा, ‘हालांकि तेलंगाना में यह उल्टा है. यहां टीआरएस चुनाव के लिए तैयार है. विपक्ष यह सवाल पूछ रहा है कि आप चुनाव जल्दी क्यों कराना चाहते हैं? अप्रैल में क्यों नहीं?’
तेलंगाना के मौजूदा सियासी हालात पर नजर डालें तो यहां टीआरएस जमीन पर विपक्ष से कोसों आगे है. इसके साथ ही केसीआर अभी भी राज्य में ज्यादा प्रसिद्ध और शक्तिशाली नेता हैं. अपनी प्रसिद्धि के बल पर साल 2014 में सत्ता में आए केसीआर ने इन 50 महीनों के दौरान तमाम योजनाओं से जनता को खुश करने में लगे हैं.
हालांकि राज्य में सब कुछ ठीक नहीं है. केसीआर ने यह महसूस कर लिया है जनता के लिए काम करने और राजनीतिक संकटों से निपटने के बावजूद जनता आखिरी समय में अपना मूड बदल सकती है और वह समय से पहले चुनाव कराकर विपक्ष को चौंकाना चाहते हैं.दूसरी ओर, बीजेपी भी लोकसभा चुनाव के लिए केसीआर के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन पर उत्सुक है और वह समय से पहले चुनाव कराए जाने के अनुरोध को ठुकराने के मूड में नहीं दिखती. अगर केसीआर बीजेपी के साथ गठबंधन कर विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनावों में जनता के बीच जाते हैं तो वह उस समय सामने आने वाली समस्याओं से अवगत है, जिनका उन्हें सामना करना पड़ सकता है. केसीआर का सोचना है कि विधानसभा चुनावों को पहले ही संपन्न कराना उनके सामने अच्छा विकल्प है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो केसीआर समय पूर्व चुनाव कराकर सुरक्षित होना चाहते हैं. अगर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके गठबंधन को कोई नुकसान पहुंचता भी है तो कम से कम उनका आधार सुरक्षित रहेगा.

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