नायब सिंह सैनी होंगे हरियाणा के नए सीएम, शाम को ले सकते हैं शपथ
Haryana: सुबह बीजेपी- जेजेपी गठबंधन का टूटना फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा उसके बाद चंडीगढ़ में विधायकों की बैठक में नए सीएम नायाब सिंह सैनी के नाम पर मुहर. राजनीति के गलियारों में कब और कहां क्या हो जाए इसको समझना कठिन है. सैनी की पहचान ओबीसी नेता की रही है. बीजेपी ने उन पर दांव खेल कर लोगों को चौंका दिया है. हरियाणा में इतनी तेजी से सियासी उलटफेर हुआ जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी.
नायब सिंह को मनोहर लाल खट्टर का करीबी माना जाता है और इस समय वह बीजेपी हरियाणा के अध्यक्ष थे. 2019 में कुरूक्षेत्र सीट से जीत कर लोकसभा पहुंचे थे. नायब को अक्टूबर 2023 में ही हरियाणा के बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के इस कदम को जातीय समीकरण को साधने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं.
जाटों पर रहती है हर दल की नजर
हरियाणा में जाट समुदाय की 25 प्रतिशत आबादी है. इस समुदाय को क्रिग मेकर की भूमिका में देखा जाता है. बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक जाट समुदाय को साधने की कोशिश में रहते हैं. राज्य में गैरजाटों की आबादी 80 प्रतिशत आती है. हरियाणा में बीजेपी की मजबूत स्थिति को बनाने में गैर जाटों की भी भूमिका भी रही है. इसलिण् 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसने पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मनोहर लाल खट्टर को सत्ता की कमान सौंपी.खट्टर पहली बार विधायक चुने थे और उनके बाद दोबारा से 2019 में बीजेपी बहुमत से दूर रह गई थी, लेकिन जेजेपी के समर्थन से मनोहर लाल खट्टर दोबारा सीएम बने. अब खट्टर की जगह नए चेहरे को चुनने का मौका आया तो गैर-जाट फैक्टर का ख्याल रखते हुए नायब सिंह सैनी को सत्ता की कमान सौंपने का फैसला किया.
पिछड़े समुदाय को साधने में जुटी बीजेपी
दरअसल, कांग्रेस और इनोलो ने हरियाणा की सत्ता में रहने के दौरान जाट समुदाय के इर्द-गिर्द अपनी सियासत को रखे थे, लेकिन बीजेपी ने गैर-जाटों के बीच नया वोट बैंक तैयार किया. बीजेपी ने अब पिछड़े समुदाय को साधने की कोशिश में जुट गई है. बीजेपी ने पहले नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी और अब सत्ता की कुर्सी उनके हवाले कर रही है. जब उन्हें अध्यक्ष बनाया गया तब इसे एक संतुलनकारी पहल के तौर पर देखा गया था, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं. मनोहर लाल खट्टर बड़े पंजाबी चेहरे हैं, जिनके विकल्प के तौर पर अनिल विज और भव्य बिश्नोई को डिप्टी सीएम तो नायब सिंह सैनी को सीएम. बीजेपी ने तीनों ही चेहरे गैर-जाट समुदाय से हैं.
बीजेपी की नजर 10 की 10 लोकसभा सीटों पर
नायब सैनी, अनिल विज और भव्य बिश्नोई की ताजपोशी ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी ने जेजेपी से अलग होकर अकेले चलने का फैसला किया. लोकसभा और सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी अकेले दम पर सभी 10 लोकसभा और 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की प्लानिंग की है. नायब सैनी के सामने 2024 में दो महत्वपूर्ण चुनावों से पहले अपनी पार्टी को और मजबूत करने की जिम्मेदारी है. बीजेपी ने भले ही सीएम खट्टर को हटाकर सत्ता विरोधी लहर से निपटने का दांव चला हो, लेकिन सियासी माहौल को बीजेपी के पक्ष में बनाने का काम नायब सिंह सैनी को करनी होगी, क्योंकि सरकार के चेहरा होंगे.