पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा हम अंधे नहीं, अगली कार्रवाई के लिए रहें तैयार
बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
Supreme Court strict in Patanjali’s misleading advertisement case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से दायर माफीनामे को खारिज कर दिया. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि ‘हम अंधे नहीं हैं.’ जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने पतंजलि के वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी से कहा कि आपने जानबूझकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
उत्तराखंड सरकार की ओर से ध्रुव मेहता और वंशजा शुक्ला ने एफिडेविट पढ़ा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र से खत आता है कि आपके पास मामला है. कानून का पालन कीजिए. 6 बार ऐसा हुआ. बार-बार लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहे. इसके बाद जो आए, उन्होंने भी यही किया. तीनों अफसरों को तुरंत सस्पेंड किया जाना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी.
इससे पहले 2 अप्रैल को इसी बेंच में हुई सुनवाई के दौरान पंतजलि की तरफ से माफीनामा दिया गया था. उस दिन भी बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है. आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा. इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी.
सुनवाई से ठीक एक दिन पहले 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया. जिसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा.
IMA ने पतंजलि के खिलाफ याचिका लगाई है
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।