लिंगायत के बाद अब कोडावा समुदाय ने की अलग धर्म के दर्जे की मांग

बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार के लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने की सिफारिश करने के दो दिन बाद अब कोडावा समुदाय भी धार्मिक अल्पसंख्यक मांग की रेस में शामिल हो गया है. बुधवार को राज्य सरकार के अल्पसंख्यक विभाग को कोडावा समुदाय की तरफ से एमएम बंसी और विजय मुथप्पा ने ज्ञापन सौंपा है. विभाग ने कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग को समुदाय की मांगों से अवगत कराया.

ज्ञापन में कहा गया है, ‘कोडावा समुदाय अल्पसंख्यक धर्म के दर्जे के योग्य है क्योंकि हमारी जनसंख्या 1.5 लाख से भी कम है. केंद्र ने संविधान की आठवीं अनुसूची में कोडावा थक्क, (कोडावी भाषा) को स्क्रिप्ट के बिना शामिल करने पर विचार किया है और प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की गई है.’बता दें कि आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देनें की मांग जोर-शोर से उठने लगी है. इसे लेकर राज्य में अलग-अलग जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बीजेपी ने इस फैसले का विरोध करते हुए वोटों के लिए बंटवारे का आरोप लगाया है. वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ मंदिर से लिंगायत पुजारियों को हटाए जाने की बात कही है.

राज्य में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है. राज्य की 56 विधानसभा सीटों पर लिंगायत का असर माना जाता है. इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है. कर्नाटक में लिंगायत को बीजेपी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है. बीजेपी के सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय के हैं. 2008 में बीजेपी की जीत में लिगायत समुदाय का बड़ा योगदान था. लिंगायत वोट के दम पर ही दक्षिण भारत में बीजेपी की पहली सरकार बनी.

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