13 seats of UP: सातवें चरण में यूपी की 13 सीटें तय करेंगी सत्ता किसके हाथ, कितना काम करेगा जातीय समीकरण?

13 seats of UP: सातवें चरण में यूपी की 13 सीटें तय करेंगी सत्ता किसके हाथ, कितना काम करेगा जातीय समीकरण?

13 seats of UP: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अब अंतिम और फाइनल दौर में मतदान होना है. सातवें चरण में कुल 57 सीटों पर 1 जून को मतदान होना है.1 जून को आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर वोटिंग होगी. वाराणसी भी इसी चरण में है, जहां से पीएम मोदी चुनाव लड़ रहे हैं.

वाराणसी के अलावा सातवें चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश की चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, राबर्ट्सगंज, सलेमपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर मतदान होना है.

इस चरण की 13 सीटों में 5 पांच सीटें योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के आसपास की है, जबकि 4 सीटें पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी से सटी हैं. 2019 में बीजेपी गठबंधन ने 13 में से 11 सीटें जीती थीं. बाक़ी दो सीटें बीएसपी ने जीती थीं

पूर्वांचल की लड़ाई में जाति की बड़ी भूमिका होती है, यहां जातियां बहुत अहम भूमिका निभाती है . सपा PDA पॉलिटिक्स को लेकर चुनावी मैदान में है तो वहीं दूसरी तरफ बसपा अपने सियासी आधार को बचाए रखने के लिए पूरे देश में अकेले लड़ रही है. इंडिया गठबंधन ने पिछड़ों और दलितों के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका को देखते हुए ही इन सीटों पर दांव खेला है. जहां बीजेपी के सामने जातियों के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने की चुनौती है तो वहीं दूसरी तरफ अपनी और अपने सहयोगी दलों की सीटों को जीतने पर पूरा जोर रहेगा.

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13 seats of UP: मुद्दा के बजाय जाति की रही प्रधानता

यूपी की राजनीति में हमेशा जाति का मुद्दा ही हमेशा केंद्र में रहा है. इस जातीय समीकरण के बलबूते यूपी की दो मुख्‍य पार्टियां पिछले कई दशकों से सत्ता की कुर्सी पर आसीन रही हैं.

इन 13 सीटों की अगर हम बात करें तो 2019 में इन 13 सीटों में से बीजेपी ने 9 सीटें जीती थीं और दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थीं. गाजीपुर और घोसी सीट बसपा के खाते में गई थी. सपा-बसपा दोनों 2019 में साथ थे, लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. सपा-कांग्रेस मिलकर मैदान में उतरी हैं तो बीजेपी ने ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और संजय निषाद की निषाद पार्टी से हाथ मिला रखा है.

तकरीबन इन सभी सीटों पर दलित और पिछडे़ वर्गों के वोटर निर्णायक हैं. पारंपरिक तौर इन वर्गों के वोटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा है, लेकिन पिछले दो चुनावों में मोदी फैक्टर ने सारे समीकरणों को उलट-पुलट कर दिया था. इस बार भी बीजेपी उसी तरह के नतीजों की उम्मीद कर रही है तो कांग्रेस के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी अपना वोट बैंक वापस पाने की कोशिश कर रही है.

लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में राबर्ट्सगंज की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है तो बांसगांव अनुसूचित जाति के लिए. पिछड़ों में यादव मतदाता चंदौली, बलिया, गाजीपुर और देवरिया सीटों पर  बड़ी संख्या में हैं तो सलेमपुर और कुशीनगर में मौर्य-कुशवाहा बिरादरी के खासे वोट हैं.  जबकि मिर्जापुर, महराजगंज में कुर्मी और निषाद मतदाताओं की अच्छी संख्या है. घोसी और गाजीपुर में भूमिहार, राजभर और चौहान वोटर भी ठीक-ठाक हैं.

13 seats of UP: क्‍या मोदी को टक्‍कर दे पाएंगे अजय राय

पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से एक बार फिर चुनावी मैदान में है,और एक बड़े अंतर से तीसरी बार जीतने के लिए उनके मंत्रियों की फौज वाराणसी में मौजूद है. उनके सामने कांग्रेस से अजय राय और बसपा से अतहर लारी किस्मत आजमा रहे हैं. पिछले तीन दशक से 2004 को छोड़ दें तो हर बार बीजेपी अजेय रही है.

2014 से नरेंद्र मोदी एकतरफा चुनाव जीत रहे हैं और जीत का अंतर भी बढ़ा है. इस बार कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय इंडिया गठबंधन के संयुक्त कैंडिडेट हैं, जिन्हें सपा से लेकर AAP तक का समर्थन है. अजय राय का अपना सियासी आधार भी वाराणसी में है तो यह भी देखना दिलचस्‍प होगा कि जीत का अंतर कितना होगा.

13 seats of UP: गोरखपुर सीट सहित इन 4 सीटों पर काम करेगा योगी फैक्टर

गोरखपुर लोकसभा सीट पर  तीन दशक से बीजेपी का एकछत्र राज कायम है. 1989 से लेकर 2018 तक गोरखनाथ पीठ के पास यह सीट रही है, जिसमें सीएम योगी पांच बार सांसद रहे हैं. योगी आदित्यनाथ जब सूबे के मुख्‍यमंत्री बनें तो इस सीट को जीतने में सपा  सफल रही, पर 2019 में उसे बीजेपी ने वापस छीन लिया.

2019 में भोजपुर अभिनेता रवि किशन सांसद चुने गए और बीजेपी ने फिर से उन पर भरोसा जताया है. सपा से काजल निषाद चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर सपा के सामने चुनौती योगी फैक्टर से पार पाने की है जो बीजेपी लिए अभेद्य रहा है, लेकिन निषाद वोटर अहम रोल में होने से विपक्ष की उम्मीदें टिकी हुई हैं.

जातिगत समीकरणों के साथ ही आसपास की सीटों की राजनीति में उनके गोरखनाथ मठ का बड़ा दखल रहता है. इस लिहाज से माना जाता है कि गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर उनका असर काम आएगा.

13 seats of UP: गाजीपुर में अफजाल अंसारी की परीक्षा

गाजीपुर लोकसभा सीट पर सपा ने बसपा छोड़कर आए सांसद अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाया है. जबकि, भाजपा ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी पारसनाथ राय को टिकट दिया है. वहीं बसपा ने डॉ. उमेश कुमार सिंह प्रत्याशी बनाया है.

माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद ये पहला चुनाव होने जा रहा है. जिसकी मौत 28 मार्च को बांदा जेल में हो गयी थी. 2019 में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के मनोज सिन्हा को 1.19 लाख वोटों से हराया था. गाजीपुर सीट का सियासी समीकरण बीजेपी के लिए चुनौती बना हुआ है, क्योंकि यादव-मुस्लिम वोटों के साथ दलित और अतिपिछड़ा वर्ग भी सपा के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है.

13 seats of UP: बलिया सीट पर निर्णायक होंगे ब्राह्मण वोटर

इस सीट पर बीजेपी ने अपने निवर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है. चंद्रशेखर को इस क्षेत्र में हर वर्ग का वोट मिलता था, लेकिन राजपूत वर्ग के मतदाता उनके खासे समर्थक माने जाते रहे. 2019 में महज 15 हजार वोट से पिछड़ने वाले सनातन पांडेय को सपा ने मैदान में उतारा है. बलिया लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है. यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं. तो सपा ने ब्राहमण उम्‍मीदवार को उतार कर नीरज शेखर के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है.

2008 के उपचुनाव और 2009 में नीरज शेखर बलिया से जीते थे, लेकिन 2014 में मोदी लहर के दौरान अपने ही राजपूत समुदाय के ही बीजेपी प्रत्याशी भरत सिंह से हार गए थे. पूर्व पीएम चंद्रशेखर की परंपरागत सीट को बचाने की चुनौती नीरज शेखर पर है.

बीएसपी से यहां लल्लन सिंह यादव मैदान में हैं. यहां पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है.

13 seats of UP: घोसी सीट पर राजभर की परीक्षा

घोसी लोकसभा सीट इस बार भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. पिछले चुनाव में भाजपा को यहां से हार का सामना करना पड़ा था. यही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट के 5 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ एक पर ही भाजपा को जीत मिली थी. दो सीट सपा को, एक सुभासपा को और एक बसपा को मिली थी. वैसे इस बार सुभासपा भाजपा के साथ है लेकिन, सीट को जीतना भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं है.

भाजपा ने घोसी सीट अपने सहयोगी सुभासपा को दी है. यहां से सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने राजीव राय को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने यहां से दो बार सांसद रह चुके बालकृष्ण चौहान पर दांव लगाया है. बदले समीकरणों में राय और राजभर के बीच सिमटी इस जंग में ओम प्रकाश राजभर की साख दांव पर है.

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घोसी सीट पर राजभर समुदाय की अच्छी खासी तादाद है, लेकिन इस सीट पर मुख्तार अंसारी से सहानुभूति रखने वाले मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. मुख्तार घोसी विधान सभा सीट से पांच बार विधायक रह चुका था. मुख्तार अंसारी का बेटा यहां से विधायक है. ऐसे में राजभर की राह कठिन दिख रही है.

13 seats of UP: कुशीनगर में त्रिकोणीय मुकाबला

कुशीनगर सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद विजय कुमार दुबे को उतारा है तो सपा ने बीजेपी के ही पूर्व विधायक जन्मेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह को उतारा है, जो सैंथवार समुदाय से आते हैं. बसपा ने शुभ नारायण चौहान पर दांव लगाया है तो राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव मैदान में हैं. जीतेगा कौन यह तो परिणाम बताएंगे लेकिन यहां भी मुकाबला दमदार होने की उम्मीद है।

इस बार कुशीनगर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है.

13 seats of UP: क्‍या चंदौली में महेंद्र नाथ जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे?

अंतिम चरण की लोकसभा सीटों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से बिल्कुल सटी चंदौली लोकसभा सीट भी है.यहां से मोदी सरकार में पहले कौशल विकास और अब भारी उद्योग मंत्रालय का दायित्व संभाल रहे डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय एक बार फिर चुनाव मैदान में है.गाजीपुर के रहने वाले महेंद्र नाथ 2014 और 2019 में दो बार कमल के निशान पर यहां से चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन पिछले चुनाव में बहुत मामूली वोटों से जीत दर्ज किए थे.

सपा ने इस बार चंदौली लोकसभा सीट पर ठाकुर चेहरे के तौर पर वीरेंद्र सिंह को उतारा है तो बसपा से सत्येंद्र मौर्य किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए दोतरफा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि बिहार सीमा से लगी इस सीट की दो विधानसभा सीटें वाराणसी जिले में पड़ती हैं. तो महेंद्र नाथ पाण्‍डेय वाराणसी में मोदी की गति के सहारे हैट्रिक लगाने के चक्‍कर में हैं.

13 seats of UP: मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल का क्या होगा

उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं. यहां जातीय समीकरण के बीच मुकाबला त्रिकोणीय है. समाजवादी पार्टी ने रमेश चंद्र बिंद को टिकट दिया है. बसपा ने ब्राह्मण चेहरा मनीष त्रिपाठी को उतारा है. इस बार जातीय समीकरण में फंसे मिर्जापुर का चुनावी रण दिलचस्प है.

बीजेपी से गठबंधन के चलते अनुप्रिया पटेल 2014 और 2019 में मिर्जापुर सीट से जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार चुनाव में जिस तरह से उनके खिलाफ सपा ने मल्लाह दांव चला है, उससे सियासी राह काफी मुश्किल भरी हो गई है.  अनुप्रिया पटेल अपने कुर्मी वोट और बीजेपी के कोर वोटबैंक के सहारे जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है.

13 seats of UP: महाराजगंज में दो चौधरियों के बीच लड़ाई

महराजगंज से केंद्र सरकार में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी 9वीं बार बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से फरेंदा से विधायक चुने गए वीरेंद्र चौधरी पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए लोकसभा का टिकट दिया है.

पंकज चौधरी और वीरेंद्र चौधरी दोनों ही कुर्मी समुदाय से आते हैं. माना जाता है कि यहां कुर्मी वोटर काफी संख्या में है.जिनका समर्थन पंकज चौधरी को मिलता रहा है. पंकज चौधरी लगातार इस सीट से जीत रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस बार कुर्मी दांव खेलकर उनकी राह में अड़चन पैदा करने की कोशिश की है.

13 seats of UP: देवरिया में ठाकुर बनाम ब्राह्मण

देवरिया को ब्रह्मण सवर्ण बहुल सीट के तौर पर देखा जाता है. यहां से बीजेपी ने शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. जबकि उनके सामने कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह हैं. शशांक मणि के पिता ले. जनरल श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी बीजेपी से सांसद रह चुके हैं. बीएसपी ने यहां संदेश यादव को प्रत्याशी बनाया है.

मोदी लहर में यह सीट बीजेपी पिछले दो चुनाव से जीत रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने अखिलेश प्रताप सिंह को उतारकर ठाकुर बनाम ब्राह्मण के समीकरण बिछाने की कवायद की है. इसके अलावा यादव और मुस्लिम वोटर भी बड़ी संख्या में है, जिसके चलते देवरिया सीट लड़ाई रोचक है.

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13 seats of UP: सलेमपुर में कुशवाहा लगाएंगे हैट्रिक

सलेमपुर सीट का क्षेत्र देवरिया और बलिया दोनों जिलों में आता है. इस बार बीजेपी ने यहां से रवींद्र कुशवाहा को उतारा है जिन्हें इस बार जीत कर हैट्रिक बनाना है. जबकि समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर को उतारा है. यहां बीएसपी ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है.

इस सीट पर कुशवाहा और राजभर वोटर बड़ी संख्या में है. सपा ने यादव-मुस्लिम-राजभर समीकरण बनाने की कवायद की है तो बीजेपी ने सवर्ण वोटों के साथ कुशवाहा समीकरण बनाने का दांव चला है तो बसपा राजभर-दलित के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन मुकाबला सपा बनाम बीजेपी होता दिख रहा है.

13 seats of UP: बांसगांव में लड़ाई रोचक हुई

बांसगांव लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बांसगांव लोकसभा सीट  पर हर बार रोचक मुकाबला होता है. आज तक ज्यादातर जीत कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को ही मिली है. दोनों दल यहां पर जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे हैं.

बांसगांव से बीजेपी के मौजूदा सांसद कमलेश पासवान चुनावी मैदान में है. बसपा से आए हुए संदल प्रसाद को कांग्रेस ने भरोसा जताया है. बसपा ने रामसमूझ सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कमलेश पासवान दलित समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं, लेकिन इस बार जिस तरह से जातीय की बिसात पर चुनाव हो रहे हैं. इसके चलते बांसगांव की लड़ाई काफी रोचक हो गई है.

13 seats of UP: रॉबर्ट्सगंज सीट पर फंसा पेंच

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रॉबर्ट्सगंज सीट पर अपना दल (एस) से रिंकी सिंह कोल चुनावी मैदान में है तो सपा से छोटे लाल खरवार और बसपा से धनेश्वर गौतम किस्मत आजमा रहे हैं. 2019 में अपना दल (एस) यह सीट जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार मौजूदा सांसद का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव लगाया है,

अति पिछड़े इस इलाके में विकास मुद्दा रहता है और डबल इंजन की सरकार, मोदी के विकास कार्यों को मुद्दा बना कर रिंकी सफलता की उम्मीद कर रही है. इस सीट पर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी असर पड़ने की उम्मीद है.रिंकी अभी छानवे सीट से विधायक भी हैं.

 

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