Auto-Brewery Syndrome: इस दुर्लभ बीमारी से हो जाता है नशा, शरीर में बनने लगती है अल्‍कोहल

Auto-Brewery Syndrome: इस दुर्लभ बीमारी से हो जाता है नशा, शरीर में बनने लगती है अल्‍कोहल

Auto-Brewery Syndrome: शराब पीना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक माना जाता है. लेकिन इंसान तब क्‍या करे, जब खुद ही उसके शरीर में अल्‍कोहल बनने लगे. और वो बिना पिए नशे में लगे. ये सुनने में भले ही अजीब लग रहा होगा लेकिन ऐसा सच है. इस समस्या को ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम कहा जाता है. अभी हाल ही में बेल्जियम और कनाडा में ऐसे मामले देखने को मिले.

जहां बेल्जियम में पुरूष को ड्रिंक करके गाड़ी चलाने के कारण पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो वही कनाडा की महिला इस बीमारी के चलते अत्यधिक नींद की समस्या से जूझ रही थी. उसका कहना है कि खाना बनाते-बनाते ही वह सो जाती थी. यही नहीं, किसी से बात करते समय बिल्कुल शराबियों की तरह जुबान लड़खड़ाती थी और मुंह से शराब की तेज गंध भी आती थी.

Auto-Brewery Syndrome: क्या है इस सिंड्रोम का कारण?

ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम में आपका शरीर, कार्बोहाइड्रेट से अल्कोहल (इथेनॉल) बनाने लगता है. यह आंतों के अंदर होता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आंत में बहुत अधिक यीस्ट होने के कारण इस विकार का खतरा हो सकता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया वयस्कों या बच्चों, किसी में भी ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम की समस्या हो सकती है. कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ लोग जन्मजात ऐसी समस्याओं के साथ पैदा होते हैं जो इस सिंड्रोम को ट्रिगर करती है. वयस्कों में आंत में बहुत अधिक यीस्ट के कारण क्रोहन डिजीज हो सकता है जिसके कारण भी ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम की समस्या ट्रिगर हो सकती है.

क्या है इस समस्या की पहचान?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कुछ प्रकार के लक्षणों की मदद से ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का पता किया जा सकता है. हालांकि अक्सर इन रोगियों में ऐसा लगता है कि उन्होंने शराब पी हुई है. इसलिए लक्षणों के आधार पर इसका सही निदान करना कठिन हो सकता है.इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को वह चीजें खाने की इच्छा होती है, जिससे हैंगओवर उतर जाता है.

आमतौर इसमें नशे की तरह लक्षण दिखने के साथ-साथ चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी-निर्जलीकरण, थकान, याददाश्त-एकाग्रता की कमी और मनोदशा में बदलाव महसूस हो सकती है.

 क्‍या है इलाज

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम का इलाज किया जा सकता है. इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा क्रोहन डिजीज जैसी समस्या का इलाज करके आंत में फंगस को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. इसके लिए डॉक्टर कुछ एंटीफंगल दवाएं दे सकता है.

एंटीफंगस की दवाएं पेट में मौजूद फंगस संक्रमण से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है. इसके अलावा डॉक्टर लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं. जैसे-

  • चीनी का कम मात्रा में सेवन करें।
  • कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार न लें।
  • शराब से दूरी बनाएं।
  • मीठे खाद्य पदार्थों और साधारण कार्ब्स से बचें
  • सफेद ब्रेड और पास्ता, सफेद चावल, रिफाइंड आटा, आलू के चिप्स, कोल्ड-ड्रिंक्स, फलों का जूस इत्यादि लेने से बचें

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Auto-Brewery Syndrome:  किन्हें होती है ये बीमारी

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटो ब्रुअरी सिंड्रोम उन लोगों को हो सकता है, जिन्हें आंतों में समस्या होना, गैस्ट्रोपैसिस, डायबिटीज, नॉन-अल्कोहलिक, फैटी लीवर डिसीज(एनएएफएलडी) या गैर मादक स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) जैसे जिगर की समस्या है. कुछ लोगों में शिकायत इसलिए भी देखने को मिलती है कि उनकी आंतों में इथेनॉल का उत्पादन बहुत अधिक होने लगता है. इसके अलावा अच्छा पोषण मिलना, एंटीबायोटिक्स, डायबिटीज, इम्यून सिस्टम कमजोर होना जैैसे इथेनॉल डिस्चार्ज करने का कारण बन सकते हैं.

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