LokSabha Speaker: कितना पावरफुल होता है स्पीकर का पद, जिसे मांग रही चंद्रबाबू की TDP
LokSabha Speaker: नरेंद्र मोदी 9 जून की शाम भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. शुक्रवार को हुई एनडीए के बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया. इस गठबंधन की सरकार में जेडीयू और टीडीपी की महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है. अब चूंकि बीजेपी के बाद गठबंधन में इनके पास सीटें ज्यादा है तो अंदरखाने में यही चर्चा है कि ये दोनों दल अपने लिए बीजेपी के सामने कुछ मांग रख सकते हैं, जिसमें एक प्रमुख मांग लोकसभा स्पीकर का पद भी हो सकता है.
टीडीपी का लोकसभा स्पीकर का पद मांगना, कोई पहली बार नहीं है. इससे पहले 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गई थी, तब भी टीडीपी के ही एक सांसद जीएम बालयोगी स्पीकर की कुर्सी पर थे. यह पद उन्हें वाजपेयी सरकार ने दिया था. कहते हैं कि बतौर स्पीकर जीएम बालयोगी के फैसले के कारण अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव में मात खा गई.
तो आइए जानते हैं कि आखिर लोकसभा स्पीकर का पद क्या होता है और उसके अधिकार क्या होते हैं….
LokSabha Speaker: लोकसभा स्पीकर चुना कैसे जाता है
नई लोकसभा के गठन से ठीक पहले यानी लोकसभा की पहली बैठक से पहले पुराने स्पीकर अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं. ऐसे में संविधान अनुच्छेद 95 (1) के तहत राष्ट्रपति एक प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करता है. पारंपरिक रूप से प्रोटेम स्पीकर के रूप में सदन के लिए चुनकर आए सबसे वरिष्ठ सदस्य को चुना जाता है.
प्रोटेम स्पीकर ही सदन की पहली बैठक संचालित करता है और दूसरे सभी सदस्यों को शपथ दिलाता है. प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में ही स्पीकर का चुनाव होता है.गठन होने के बाद लोकसभा सांसद जल्द से जल्द अपने में से दो सांसदों को स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के लिए चुनते हैं.
भारतीय संविधान के आर्टिकल 93 में लोकसभा के अध्यक्ष पद का जिक्र है. स्पीकर का कार्यकाल उनके चुनाव की तारीख से लेकर अगले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति से ठीक पहले तक होता है.
LokSabha Speaker: लोकसभा स्पीकर का अधिकार
स्पीकर ही लोकसभा सदन का मुखिया होता है. स्पीकर न केवल सदन के अनुशासन को सुनिश्चित करता है, बल्कि इसके उल्लंघन पर लोकसभा सदस्यों को दंडित करने का भी अधिकार रखता है. लोकसभा स्पीकर की भूमिका और अहम तब हो जाती है. जब किसी दल या गठबंधन का बहुमत परीक्षण कराना होगा. दोनों पक्षों के वोट बराबर होने पर वह मतदान करने का भी अधिकारी होता है. ऐसे में स्पीकर का वोट निर्णायक और महत्वपूर्ण हो जाता है.
लोकसभा स्पीकर सदन की प्रक्रियाओं जैसे स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि की भी अनुमति देता है. इसके अलावा स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी करता है. इतना ही नहीं स्पीकर ही लेाकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता देने पर भी फैसला करता है. लोकसभा स्पीकर ही सदन के सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है और उनके कार्यों पर निगरानी रखता है.
LokSabha Speaker: स्पीकर को मिलने वाली सुविधाएं
लोकसभा स्पीकर व उसके परिवार को मंत्रिमंडल के सदस्यों के बराबर यात्रा भत्ता भी दिया जाता है. यह भत्ता उसे देश और विदेश दोनों दौरों पर मिलता है. इसके अलावा उसे मुफ्त आवास, फ्री बिजली, फ्री फोन कॉल की सुविधाएं भी मिलती हैं.
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LokSabha Speaker: सैलरी कितनी होती है
विशेष अधिनियम के मुताबिक लोकसभा स्पीकर को 50 हजार रुपए की सैलरी मिलती है. यहां यह जान लेना जरूरी है कि लोकसभा स्पीकर भी सदन का सदस्य ही होता है. लोकसभा स्पीकर को भी हर महीने 45 हजार रुपये निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता मिलता है. स्पीकर को समितियों की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए रोजाना 2 हजार रुपए भत्ता भी मिलता है. कार्यकाल समाप्त होने के बाद लोकसभा स्पीकर को पेंशन भी दी जाती है.