Suresh Gopi: कौन हैं सुरेश गोपी, जिन्होंने पहली बार बीजेपी के लिए खोला केरल का द्वार
Suresh Gopi: नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए कल अपने सहयोगी दलों के साथ प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ 72 मंत्रियों ने शपथ ली. इनमें से एक नाम को काफी लोगों की जुबान पर रहा. सुरेश गोपी, जो केरल के त्रिशुर से जीत कर यहां तक पहुंचे हैं. जिन्होंने पहली बार केरल में बीजेपी का खाता खुलाने में कामयाब रहे. रविवार को उन्होंने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली.
65 साल की उम्र में वे केरल से भाजपा के पहले लोकसभा सांसद बने। पांच साल के अंतराल में दो बार हार का सामना करने के बाद वे तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरे। पांच साल में वे अपने संभावित मतदाताओं के बीच काम करते रहे, जिसका परिणाम उनको जीत में मिला.
इस सीट से जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया, जिसके बदले मोदी के मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दी गई है. केरल में बीजेपी का दशकों का संघर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रंग लाया.
Suresh Gopi: कौन हैं सुरेश गोपी
लोकसभा में बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार खोलने वाले सुरेश गोपी ने त्रिशूर सीट से 74,686 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. गोपी ने पूर्व राज्य मंत्री और भाकपा नेता वीएस सुनील कुमार को हराया. गोपी को कुल 4,12,338 और सुनील कुमार को 3,37,652 मत मिले.
Suresh Gopi: मलयालम सिनेमा के सुपस्टार हैं सुरेश
सुरेश गोपी का जन्म 1958 में केरल के अलप्पुझा में हुआ. साइंस में बैचलर डिग्री के बाद गोपी ने इंग्लिश लिटरेचर में एमए की डिग्री हासिल की. सुरेश गोपी एक अभिनेता होने के साथ ही प्लेबैक सिंगर भी हैं. मलयालम सिनेमा का बड़ा नाम हैं. साथ ही तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं.
सुरेश गोपी का 32 साल का फिल्मी करियर है. उनके अभिनय जीवन की पहली बड़ी सफलता 1992 में आई फिल्म थलास्तानम से मिली. उन्होंने 250 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया है. 1997 में आई फिल्म लेलम में उनके किरदार को काफी सराहा गया. इसके अगले ही साल 1998 में आई फिल्म कलियाट्टम के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर के नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया. साथ ही उन्होंने एक लंबे वक्त तक टीवी शो भी होस्ट किया है.
सुरेश गोपी अक्टूबर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए थे. गोपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में त्रिशूर से हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें 2021 के विधानसभा चुनाव में भी हार झेलनी पड़ी थी.
Suresh Gopi: पहले रह चुके हैं राज्यसभा सांसद
सुरेश गोपी दो दिन पहले, दिल्ली में एनडीए सांसदों की बैठक में भाग लेने के बाद केरल लौट आए थे, लेकिन रविवार को उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोन आया और तुरंत दिल्ली पहुंचने को कहा गया. सुरेश गोपी ने रविवार शाम राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले गोपी को 2016 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था. उच्च सदन में उनका कार्यकाल 2022 तक रहा. उनको एक सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण को बचाने के लिए काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर भी जाना जाता है.
Suresh Gopi: आईपीएस बनना चाहते थे गोपी
लपुझा में जन्मे सुरेश गोपी कोल्लम में पले-बढ़े और वहीं पढ़ाई की। फातिमा माता नेशनल कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर करने वाले सुरेश गोपी आईपीएस बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. उन्होंने पुलिस की वर्दी तो पहनी, लेकिन फिल्मों में.वह मॉलीवुड के एक ऐसे पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने कई सालों तक बॉक्स ऑफिस पर राज किया.
Suresh Gopi: कॉलेज के समय से राजनीति में दिलचस्पी
सत्तर के दशक में अपने कॉलेज के दिनों में, वे सीपीएम की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में सक्रिय थे। वे आज भी दिवंगत कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री ईके नयनार को अपने “पसंदीदा साथी” के के रूप में याद करते हैं. वे दिवंगत कांग्रेस के दिग्गज के करुणाकरण का भी बहुत सम्मान करते हैं.उन्होंने 2006 के विधानसभा चुनावों में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लिए प्रचार किया था.
70 के दशक के अंत में, उन्होंने पलक्कड़ के उष्णकटिबंधीय वर्षावन में प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना के खिलाफ साइलेंट वैली बचाओ आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई.
Suresh Gopi: माेदी को मानते हैं राजनीतिक गुरू
सुरेश गोपी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अपना राजनीतिक भगवान मानते हैं. मोदी ने ही सबसे पहले सुरेश गोपी की राजनीतिज्ञ के रूप में क्षमता को पहचाना था. 2014 के चुनाव से पहले मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों के प्रमुख लोगों से मुलाकात की और सुरेश गोपी उनमें से एक थे.
मोदी 2014 में ही चाहते थे कि सुरेश गोपी कोल्लम या तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़ें, लेकिन वे तैयार नहीं थे. 2016 में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया और वे पार्टी में शामिल हो गए. राज्यसभा में रहने के दौरान उन्हें राज्य के कई इलाकों में लोगों की जरूरतों को संबोधित करने का मौका मिला.
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2021 में सुरेश गोपी को त्रिशूर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया और वे सीपीआई से 5,000 वोटों से पीछे दूसरे स्थान पर रहे. 2019 और 2022 के बीच उन्हें जनजातीय मामलों के मंत्रालय और नारियल विकास बोर्ड के लिए सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया.
दो हार के बावजूद, सुरेश गोपी त्रिशूर में डटे रहे और लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच व्यापक नेटवर्किंग की. उनके प्रयासों के साथ-साथ ईसाई समुदाय को को लुभाने के लिए भाजपा नेतृत्व के बेताब प्रयासों और राजनीतिक और धार्मिक रेखाओं से परे महिलाओं के भारी समर्थन ने त्रिशूर में उनकी जीत में योगदान दिया.