N Chandrababu Naidu: चौथी बार आंध्र प्रदेश की कमान चंद्रबाबू नायडू के हाथ,ससुर से विद्रोह कर छीनी सत्ता की कुर्सी

N Chandrababu Naidu: चौथी बार आंध्र प्रदेश की कमान चंद्रबाबू नायडू के हाथ,ससुर से विद्रोह कर छीनी सत्ता की कुर्सी

N Chandrababu Naidu: टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ली. नारा चंद्रबाबू नायडू, जिनके पास आंध्र प्रदेश में लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड है, चौथी बार राज्य के सीएम बनें. इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने तीन बार- 1 सितंबर 1995, 11 अक्टूबर 1999 और 8 जून 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

तेलुगू देशम पार्टी (TDP) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू सुबह के शपथ ग्रहण समारोह में उनके भाई और साउथ सुपरस्टार चिरंजीवी और रजनीकांत भी मौजूद रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए. चंद्रबाबू नायडू के अलावा पवन कल्याण और नायडू के बेटे नारा लोकेश ने भी शपथ ग्रहण की है.टीडीपी ने इस बार आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 175 में से 135 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया है.

N Chandrababu Naidu: पढ़ाई के दौरान राजनीति में शामिल हुए

चंद्रबाबू का जन्म चित्तूर जिले के नारावारिपल्‍ली नामक गाँव में 20 अप्रैल 1950 को हुआ था. तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में अपने छात्र जीवन के दौरान ही उनकी राजनीति में शुरुआत हुई.

चंद्रबाबू नायडू ने अपनी पीजी की पढ़ाई के दौरान जब 1975-77 में इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगायी गयी, तब वे भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और उस वक्‍त उन्‍होंने युवा अध्‍यक्ष के रूप में कार्य किया. इसके बाद उन्‍होंने राजनीति में अपना कैरियर बनाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी.

इंदिरा के सबसे बड़े बेटे संजय गांधी, चंद्रबाबू नायडू पर काफी विश्‍वास करते थे. इसी विश्‍वास और दोस्‍ती के चलते 1978 में उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और एक सीट के लिए चुने गए. पद पर रहते हुए वे राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री (1980-83) भी रहे.

साल 1980 में जाने-माने अभिनेता और TDP के संस्थापक एन टी रामाराव (NTR) की बेटी नारा भुवनेश्वरी से शादी की.  शादी के बाद भी नायडू कांग्रेस में ही थे, लेकिन 1983 के विधानसभा चुनाव में वह टीडीपी प्रत्याशी से हार गए. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीडीपी ज्वाइन कर ली.

N Chandrababu Naidu: ससुर के खिलाफ बगावती तेवर

1995 में नायडू ने उस वक्त आंध्र के सीएम और अपने ससुर एन टी रामाराव के खिलाफ बगावत की. 2004 तक सीएम के तौर पर काम किया. साल 2014 में वह फिर से सीएम बने. 2019 में वह जगन रेड्डी की पार्टी से हार गए थे.

1995 में हुई घटना का जिक्र करते हुए नायडू ने 2011 में कहा था कि एक “दुष्ट शक्ति” (एनटीआर की दूसरी पत्नी का जिक्र) ने पार्टी को नष्ट करने की कोशिश की और पार्टी को “बुरी ताकत” से बचाने के लिए उन्हें विद्रोह करना पड़ा और पार्टी को विभाजित करना पड़ा. “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं एनटीआर के खिलाफ विद्रोह करूंगा.

मेरे लिए, एनटीआर सिर्फ ससुर नहीं थे, बल्कि एक भगवान थे जिनकी मैं पूजा करता था. लेकिन वह ‘बुरी ताकत’ के प्रभाव में आकर समस्याओं का सामना कर रहे थे और इसलिए हमारे पास टीडीपी को बचाने के लिए कोई और विकल्प नहीं बचा था,” टाइम्स ऑफ इंडिया ने 2011 में एक कार्यक्रम में नायडू के यह कहते हुए रिपोर्ट किया था.

N Chandrababu Naidu: ससुर के खिलाफ क्‍यों किया तख्‍तापलट

 80 के दशक में एनटी रामाराव दक्षिण भारत के ताकतवर और लोकप्रिय नेता थे. एनटी रामा राव अपने टाइम के बहुत ही जबरदस्त एक्टर होने के साथ-साथ डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी रह चुके हैं. लेकिन अपनी दूसरी पत्‍नी लक्ष्‍मी के प्रति अगाध प्रेम ने उनको सत्ता से बेदखल करा दिया.

एन टी रामाराव की पहली शादी 40 के दशक में उनके मामा की बेटी से हुई थी. पहली शादी से उनके 12 बच्चे हुए. लेकिन 80 के दशक में उनकी पत्नी का देहांत हो गया. 1993 में रामाराव ने 70 साल की उम्र में एक 33 वर्षीय तेलगु लेखिका लक्ष्मी शिव पार्वती से शादी कर ली. हालांकि उनकी इस शादी के विरोध में उनका पूरा परिवार खड़ा था. लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी.

1994 में आन्ध्र प्रदेश विधानसभा के चुनाव हुए और इस चुनाव में तेलगुदेशम को बड़ी कामयाबी मिली. तेलगुदेशम को 216 सीटें जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस को केवल 26 सीटें मिली. एन टी रामाराव एक बार फिर आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने अपने दामाद एन चंद्रबाबू नायडू को भी मंत्री बनाया. चंद्रबाबू नायडू को वित्त मंत्री बनाया गया था. उनकी हैसियत सरकार में नंबर 2 की हुआ करती थी.

लेकिन सत्ता में असली धमक रामाराव की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती की महसूस की जा रही थी. परिवार से लेकर सत्ता तक लक्ष्मी पार्वती की धमक को रामाराव का परिवार और उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक सहन करने की स्थिति में नहीं थे. नतीजतन सत्ता संभालने के 9 महीने के भीतर ही यानी अगस्त 1995 आते-आते उनकी पार्टी में विद्रोह हो गया. और इस विद्रोह का बिगुल किसी और ने नहीं बल्कि रामाराव के दामाद और राज्य के वित्त मंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ही बजाया .

इस विद्रोह में नायडू के साथ डेढ़ सौ से ज्यादा विधायक खड़े थे. दिलचस्प बात यह है कि खुद रामाराव के बेटों ने भी चंद्रबाबू नायडू का साथ दिया था. अब इतने बड़े विद्रोह के बाद रामाराव के पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था. उनके इस्तीफे के साथ ही तेलगुदेशम रामाराव गुट और नायडू गुट में विभाजित हो गया. नायडू गुट के चंद्रबाबू नायडू नए मुख्यमंत्री बने.

सत्ता छोड़ने के 5 महीने के भीतर ही 18 जनवरी 1996 को तड़के हार्ट अटैक के कारण उनका देहांत हो गया. और इसके बार तेलगुदेशम की राजनीति की विरासत के अकेले दावेदार बनकर चंद्रबाबू नायडू उभरे.

N Chandrababu Naidu: साइबर सीएम के नाम से रहे मशहूर

नायडू ने हैदराबाद को कृषि राज्य के शांत प्रशासनिक केंद्र से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और फार्मास्यूटिकल्स हब में बदलने के लिए निर्णायक कदम उठाया है, जो दक्षिण में बैंगलोर को टक्कर देने की कोशिश कर रहा है. पार्टी की कमान संभालने और मुख्यमंत्री बनने के बाद नायडू ने हैदराबाद में सॉफ्टवेयर उद्योग लाने की योजना बनाई. उन्होंने एक परित्यक्त सरकारी इमारत को सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए एक कॉलेज में बदल दिया. इस छोटी सी शुरुआत ने हैदराबाद में सॉफ्टवेयर उद्योग के बड़े पैमाने पर विकास का मार्ग प्रशस्त किया.

नायडू की शासन शैली जो निजी निगमों के कुशल कामकाज से मिलती जुलती थी, ने उन्हें ‘सीईओ सीएम’ का उपनाम दिलाया. हैदराबाद के आईटी उद्योग में उनकी अग्रणी भूमिका के लिए कई लोगों ने उन्हें ‘साइबर सीएम’ भी कहा .

N Chandrababu Naidu: जेल से लौटने के बाद सत्ता में फिर से वापसी

2014 में, तेलंगाना के अलग होने के बाद नायडू आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और 2019 तक इस पद पर रहे। उनकी पार्टी टीडीपी ने 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया था, लेकिन आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले 2018 में अलग हो गई. नए आंध्र प्रदेश के लिए उन्होंने अमरावती नामक एक नई राजधानी की योजना बनाई थी, लेकिन उनका ड्रीम प्रोजेक्ट अधूरा रह गया, जब उन्हें वाईएसआरसीपी नेता जगन मोहन रेड्डी से हार का सामना करना पड़ा.

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नायडू को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब पिछले साल कौशल विकास निगम घोटाला मामले में वाईएसआरसीपी सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया. लगभग दो महीने बाद उन्हें जमानत मिल गई.

नायडू ने आंध्र प्रदेश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जन सेना पार्टी और भाजपा के साथ गठबंधन किया. उन्होंने बड़ी वापसी की जब उनके गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और टीडीपी ने 16 लोकसभा सीटें भी जीतीं.

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