Shiva worshiped in Saavan: सावन में क्‍यों होती है शिव की आराधना? क्‍या है महत्‍व?

Shiva worshiped in Saavan: सावन में क्‍यों होती है शिव की आराधना? क्‍या है पौराणिक महत्‍व?

Shiva worshiped in Saavan: सावन मास का हिन्‍दू ग्रंथों में बहुत महत्‍व है.  इस महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक बहुत महत्‍व का होता है और विशेष फलदायी माना गया है. सावन को भगवान शिव का महीना माना जाता है. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है.

Shiva worshiped in Saavan: सावन में शिव जी के जलाभिषेक की कथा

शिवपुराण की कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तो उसमें से सबसे पहले विष निकला था. उस विष के कारण पूरे संसार पर संकट छा गया क्योंकि वह देव, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी के जीवन के लिए हानिकारक था. अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा? इस संकट का क्या हल है?

तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया. उन्होंने उस पूरे विष को पीना शुरु कर दिया, उसी समय माता पार्वती ने उस विष को भगवान शिव के कंठ में ही रोक दिया. इस वजह से वह विष शिव जी के कंठ में ही रह गया और शरीर में नहीं फैला. विष के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया, जिस वजह से शिव जी को नीलकंठ भी कहते हैं.

विष का पान करने से भगवान शिव के शरीर का तापमान तेज गति से बढ़ने लगा था. ऐसे में शरीर को शीतल रखने के लिए भोलेनाथ ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया और अन्य देव उन पर जल की वर्षा करने लगे.

इन्द्र देव भी यह चाहते थे कि भगवान शिव के शरीर का तापमान कम हो जाए इसलिए उन्होंने तेज मूसलाधार बारिश कर दी. इस वजह से सावन के महीने में अत्याधिक बारिश होती है, जिससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.

Shiva worshiped in Saavan: शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने सावन माह में की थी तपस्‍या

माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. सावन माह में भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे और उनकी मनोकामना पूर्ण की थी. सावन माह में शिव और पार्वती का मिलन हुआ था. इस वजह से सावन शिव जी को प्रिय है.

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Shiva worshiped in Saavan: सावन में ससुराल आते हैं शिव

मान्यता है कि भगवान शिव सावन के महीने में शिवजी पृथ्वी लोग अपने ससुराल जरूर आते हैं. साथ ही सावन के महीने में ही मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने शिवजी की कठोर तपस्या से वरदान प्राप्त किया था, जिससे यमराज भी नतमस्तक हो गए थे.

 

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