Mithun Sankranti 2024: मिथुन संक्रांति पर सूर्य भगवान करेंगे अपनी राशि परिवर्तन, इन राशियों को होगा विशेष लाभ

Mithun Sankranti 2024: मिथुन संक्रांति पर सूर्य भगवान करेंगे अपनी राशि परिवर्तन, इन राशियों को होगा विशेष लाभ

Mithun Sankranti 2024:  हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि बहुत महत्‍व की होती है.वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव का विशेष महत्व माना गया है. सूर्य देव एक माह के अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं, जिसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 जून को मिथुन संक्रांति पर्व मनाया जाएगा.इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से और दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है.

चूंकि ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों को नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की स्थिति और चाल से प्रभावित माना जाता है. सूर्य देव को सभी ग्रहों का अधिपति माना जाता है और साथ ही सिंह राशि का स्वामित्व भी सूर्य देव को ही प्राप्त है. इसलिए जब भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो 12 राशियों पर इसका प्रभाव देखा जाता है.

आज के दिन सूर्यदेव वृष राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि परिवर्तन का इन 4 राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव….

Mithun Sankranti 2024: वृषभ राशि

वर्तमान वर्ष वृषभ राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ है. गुरु वृषभ राशि में विराजमान हैं. वहीं, राशि परिवर्तन के दौरान सूर्य देव वृषभ राशि के धन भाव में विराजमान होंगे. इस भाव में सूर्य के गोचर से वृषभ राशि के जातकों को धन लाभ हो सकता है, साथ ही धन संबंधी परेशानी दूर होगी. निवेश के लिए उत्तम समय है. निवेश कर सकते हैं.

Mithun Sankranti 2024: सिंह राशि

मिथुन राशि में गोचर के दौरान सूर्य देव सिंह राशि के आय भाव में विराजमान होंगे. ज्योतिषियों की मानें तो आय भाव में सूर्य, गुरु और मंगल के रहने पर जातक को करियर और कारोबार में विशेष लाभ प्राप्त होता है. आय के नए स्रोत बनेंगे. साथ ही रुका हुआ धन भी प्राप्त होगा. सभी बिगड़े काम बन जांएगे. निवेश से लाभ प्राप्त होगा. इस राशि के स्वामी सूर्य देव हैं. इसके लिए सूर्य देव की विशेष कृपा सिंह राशि के जातकों पर बरसती है.

Mithun Sankranti 2024: कन्या राशि

सूर्य के राशि परिवर्तन से कन्या राशि के जातकों को भी लाभ प्राप्त होगा. इस राशि के जातकों को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलेगी. साथ ही नौकरी का ऑफर मिल सकता है. कारोबार में मुनाफा मिलेगा. निवेश करने के लिए पार्टनर मिल सकते हैं. कारोबार का विस्तार कर सकते हैं. निजी कंपनी में प्रमोशन के योग हैं.

Mithun Sankranti 2024: तुला राशि

मिथुन संक्रांति के दिन से तुला राशि के जातकों की किस्मत बदल सकती है. इस राशि के भाग्य भाव में सूर्य देव विराजमान होंगे. इससे तुला राशि के जातकों के सभी बिगड़े काम बन जाएंगे. आय में वृद्धि होगी. कारोबार में भी तेजी देखने को मिलेगी. इस राशि के स्वामी शुक्र देव हैं, जो सुखों के कारक हैं. शुक्र देव की कृपा तुला राशि के जातकों पर हमेशा बरसती रहती है.

Mithun Sankranti 2024: सूर्य देव की करें आराधना

इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. मिथुन संक्रांति पर भगवान सूर्य की विधि अनुसार पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.मान्यताओं के अनुसार, मिथुन संक्रांति पर सूर्य चालीसा और स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं.

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सूर्य चालीसा का पाठ

कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।

पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥

॥ चौपाई ॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥

भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥

विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥

अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥

सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥

मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥

पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥

चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥

सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥

उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥

भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥

युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥

बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥

जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥

सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥

दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥

अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥

मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥

परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥

भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥

॥ दोहा ॥

भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।

सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥

 

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