IAS Pradeep Singh Kharola: कौन हैं IAS प्रदीप सिंह खरोला, जो संभालेंगे NTA के DG का पदभार, क्यों दी गई उनको जिम्मेदारी?
IAS Pradeep Singh Kharola: नीट पेपर लीक मामले को लेकर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है. नीट परीक्षा विवाद के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के महानिदेशक सुबोध कुमार को हटा दिया है और प्रदीप सिंह खरोला को नया डीजी नियुक्त किया गया है.
बता दें कि परीक्षा में अनियमितताओं के कारण केंद्र सरकार ने सुबोध कुमार की छुट्टी कर दी है. उनकी जगह पदभार की जिम्मेदारी आईएएस प्रदीप सिंह खरोला को दी गई है. अब वो एनटीए के नए महानिदेशक होंगे.
IAS Pradeep Singh Kharola: कौन हैं प्रदीप सिंह खरोला?
1985 बैच के कर्नाटक कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला उत्तराखण्ड के मूल निवासी हैंऔर 1982 में इंदौर विश्वविद्यालय से उन्होंने मैकेनिकल की डिग्री हासिल की है. प्रदीप सिंह खरोला 2012-13 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव भी रहे. इस दौरान उन्होंने कर्नाटक में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कापोर्रेशन (केयूआईडीएफसी) की अगुवाई की थी.
1984 में उन्होंने IIT दिल्ली से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इस दौरान उन्होंने IIT दिल्ली में टॉप किया. प्रदीप सिंह खरोला ने फिलीपींस की राजधानी मनीला के एक कॉलेज से मास्टर्स की डिग्री ली और 1985 में देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC भी पास कर ली. प्रदीप सिंह को कर्नाटक कैडर का ऑफिसर नियुक्त किया गया.
IAS Pradeep Singh Kharola: परिवहन कंपनियों को घाटे से निकालने के विशेषज्ञ
आईएएस ऑफिसर के रूप में प्रदीप सिंह खरोला ने कई सराहनीय काम किए. 90 के दशक में बेंगलुरू सिटी बस सेवा घाटे में चल रही थी. हालांकि साल 2000 में प्रदीप सिंह खरोला ने ना सिर्फ बेंगलुरू बस सेवा बल्कि बेंगलुरू मेट्रोपॉलिटन ट्रासपोर्ट कॉर्पोरेशन को भी घाटे से निकालकर मुनाफे की तरफ ले गए. यही नहीं, बेंगलुरू मेट्रो में भी प्रदीप सिंह खरोला ने अहम योगदान दिया है.
प्रदीप सिंह खरोला मशहूर विमानन कंपनी एयर इंडिया का भी दारोमदार ले चुके हैं. हालांकि जब प्रदीप सिंह को एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया गया तो कंपनी पूरी तरह से कर्ज में डूबी थी और सरकार इसके प्राइवेटाइजेशन की तैयारी कर रही थी. लिहाजा प्रदीप सिंह खरोला को एयर इंडिया में सुधार करने का पर्याप्त समय नहीं मिला.
2012-13 में उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव बनाया गया. 2021 में नागरिक उड्डयन सचिव के पद पर रहते हुए प्रदीप सिंह खरोला सेवानिवृत हो गए. हालांकि सर्विस छोड़ने के बावजूद वो सरकारी एजेंसियों से जुड़े रहे. 2022 में उन्हें राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी का अध्यक्ष बनाया गया. अभी वो आटीपीओ के अध्यक्ष पद पर थे लेकिन उन्हें अब NTA की जिम्मेदारी सौंप दी गई है.
IAS Pradeep Singh Kharola: क्या है NTA
1 मार्च 2018 को एनटीए की स्थापना की गई. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साल 2017 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट के एंट्रेस एग्जाम के लिए एक सिंगल, स्वतंत्र, स्वायत्त निकाय स्थापित करने की घोषणा की थी. इस एजेंसी को विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की पात्रता परीक्षाएं (NEET, JEE Main, UGC NET आदि) आयोजित कराने का जिम्मा सौंपा गया. ताकि परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी, कुशल और निष्पक्ष रहे.
IAS Pradeep Singh Kharola: क्यों है विवादों में
इस साल देशभर में NEET (UG) 5 मई को आयोजित किया गया था. NTA ने इसका रिजल्ट 4 जून को जारी किया था. हालांकि NTA ने रिजल्ट जारी किए जाने की तारीख पहले 14 जून घोषित की थी. लेकिन तय वक्त से 10 दिन पहले रिजल्ट को 4 जून को घोषित कर दिया गया.
NEET में ऐसा रिजल्ट पहली बार हुआ है. कुल 720 में 720 अंक लाने वाले परीक्षार्थियों की तादाद इस बार अचानक बढ़कर 67 तक पहुंच गई, जो चौंकाने वाला आंकड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 8 छात्र हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र से हैं.
रिजल्ट में एक स्टूडेंट को 718, एक को 719 अंक दिए गए, जो कि NEET के मार्किंग सिस्टम में संभव नहीं है. दरअसल, इस परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान है. इसमें एक सही उत्तर के लिए 4 अंक मिलते हैं, जबकि एक गलत उत्तर पर एक अंक काट लिए जाते हैं.
सवाल टच न करने पर कोई अंक नहीं मिलता है. ऐसे में किसी को 720 के बाद या तो 716 अंक मिल सकते हैं या 715. फिर 718, 719 नंबर कैसे आए? NTA का कहना है कि कुछ परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने की वजह से ऐसा हुआ.
IAS Pradeep Singh Kharola: ग्रेस मार्क्स का नया फंडा
NTA का कहना है कि कुछ सेंटरों पर छात्रों को परीक्षा में कम समय दिए जाने के कारण या गलत मीडियम का प्रश्न-पत्र दिए जाने की वजह से उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए. साथ ही फिजिक्स में एक सवाल के दो सही जवाब पाए गए.
NCERT की किताब के नए और पुराने एडिशन में अलग-अलग जवाब थे. इस वजह से कई को बोनस मार्क्स भी मिले. एजेंसी ने माना कि कुल 1563 स्टूडेंट को ग्रेस मार्क्स दिए गए. जानकारों का मानना है कि ग्रेस मार्क्स की वजह से मेरिट लिस्ट बुरी तरह प्रभावित हुई है.
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NTA ने ग्रेस मार्क्स देने के लिए जो फॉर्मूला अपनाया, वह भी विवादास्पद है. ये वही फॉर्मूला है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर CLAT 2018 में छात्रों को दिए गए थे. जानकारों का मानना है कि CLAT का फॉर्मूला NEET में लागू नहीं किया जा सकता.
वजह ये कि CLAT ऑनलाइन होता है, जबकि NEET ऑफलाइन. दोनों परीक्षाओं के पैटर्न और मार्किंग सिस्टम अलग-अलग हैं. साथ ही तब कोर्ट का निर्देश था कि इस ग्रेस सिस्टम को मेडिकल या इंजीनियरिंग एंट्रेस टेस्ट में लागू नहीं किया जा सकता है.