Asana in Worship: पूजा में आसन का क्‍यों है बहुत महत्‍व? किस आसन पर बैठकर पूजन करना माना गया है शुभ

Asana in Worship: पूजा में आसन का क्‍यों है बहुत महत्‍व? किस आसन पर बैठकर पूजन करना माना गया है शुभ

Asana in Worship: धर्म शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी बिना आसन पर बैठे पूजा नहीं करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि बिना आसन के की गई पूजा फलित नहीं होती है. पूजा में आसन का विशेष महत्‍व होता है.

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा एवं मंत्रों का जाप करते समय व्यक्ति को जमीन पर बिना कुछ बिछाए नहीं बैठना चाहिए. पूजा या मंत्रों का जाप हमेशा किसी आसन पर बैठकर ही करना चाहिए.

माना जाता है कि जब हम कोई शुभ कार्य करने जाते हैं तो हमारे शरीर में जो एनर्जी होती है वह बढ़ने लगती है.

यदि हम सीधे जमीन पर बैठेंगे तो यह ऊर्जा हमारे शरीर से सीधे जमीन में अवशोषित हो जाएगी. ऐसे में यदि हम आसन पर बैठते हैं तो यह हमारे शरीर और जमीन के बीच किसी अच्छे कुचालक का काम करता है और वह एनर्जी जमीन में नहीं जा पाती.

ऐसे में चलिए जानते हैं पूजा के आसन से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में…

Asana in Worship: किस पूजा के लिए कैसा होना चाहिए आसन?

कंबल का आसन: – कंबल के आसन पर बैठकर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. लाल रंग का कंबल मां भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए तो सर्वोत्तम माना जाता है.



आसन हमेशा चौकोर होना चाहिए, कंबल के आसन के अभाव में कपड़े का या रेशमी आसन चल सकता है.

कुश का आसन: – योगियों के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ है. यह कुश नामक घास से बनाया जाता है, जो भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई है. इस पर बैठकर पूजा करने से सर्व सिद्धि मिलती है.

विशेषतः पिंड श्राद्ध इत्यादि के कार्यों में कुश का आसन सर्वश्रेष्ठ माना गया है,

किसी भी मंत्र को सिद्ध करने में कुश का आसन सबसे अधिक प्रभावी है.

मृगचर्म आसन:- यह ब्रह्मचर्य, ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि, शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ आसन है. इस पर बैठकर पूजा करने से सारी इंद्रियां संयमित रहती हैं.

कीड़े मकोड़ों, रक्त विकार, वायु-पित्त विकार आदि से साधक की रक्षा करता है. यह शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है.

व्याघ्र चर्म आसन: – इस आसन का प्रयोग बड़े-बड़े यति, योगी तथा साधु-महात्मा एवं स्वयं भगवान शंकर करते हैं. यह आसन सात्विक गुण, धन-वैभव, भू-संपदा, पद-प्रतिष्ठा आदि प्रदान करता है.

आसन पर बैठने से पूर्व आसन का पूजन करना चाहिए या एक एक चम्मच जल एवं एक फूल आसन के नीचे अवश्य चढ़ाना चाहिए.



आसन देवता से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि मैं जब तक आपके ऊपर बैठकर पूजा करूं तब तक आप मेरी रक्षा करें तथा मुझे सिद्धि प्रदान करें.

पूजा के बाद अपने आसन को मोड़कर रख देना चाहिए, किसी को प्रयोग के लिए नहीं देना चाहिए

ध्यान रहे कि आसन का रंग भूल से भी नीला न हो।

Asana in Worship: इस तरह के आसन से बचें

दरी, चटाई या पटरी को भूल से भी आसन के रूप में इस्तेमाल न करें. ऐसा इसलिए क्योंकि इन चीजों को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है।.

ब्रह्म पुराण के अनुसार, बांस के आसन पर पूजा करने से घर में दरिद्रता आती है तो वहीं, पत्थर पर बैठकर पूजा करने से शारीरिक रोग में वृद्धि होती है.

इसके अलावा, लकड़ी पर बैठकर पूजा करने से घर में दुर्भाग्य आता है और तिनके के रुपी आसन पर की गई पूजा से  धन हानि होती है.

यहां तक कि पत्तों पर पूजा करने से मन भ्रमित हो जाता है.

Kaal Bhairav: कौन थे काल भैरव, कैसे हुई उनकी उत्‍पत्ति, कालाष्‍टमी के दिन क्‍यों होती है पूजा?

Asana in Worship: आसन उठाते समय न करें ये गलती

पूजा के बाद आसन को सीधा यूं ही न उठाएं बल्कि आचमन करके थोड़ा जल आसन के नीचे अर्पित करने के बाद ही आसन छोड़ें.

जल अर्पण और आसन छोड़ने के बीच में धरती मां को प्रणाम करें, सभी देवी देवताओं का स्मरण करना न भूलें.

पूजा संपन्न होने के बाद आसन को इधर उधर न पटकें बल्कि पवित्र और स्वच्छ स्थान पर आसन को मोड़कर रख दें.

आसन को कभी भी गंदे हाथों से न छुएं. इससे अशुद्धि का दोष लगता है और पूजा खंडित हो जाती है.

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427