New Criminal Laws: क्या हैं वो नए कानून, जो हुए आज से लागू, जिस से बहुत कुछ बदल जाएगा
New Criminal Laws: देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. ये कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं. अब आपराधिक मामलों का फैसला इन कानूनों से होगा.
जिन पुराने कानून की जगह ये नए कानून लागू किए गए हैं, वो IPC, CRPC, और इंडियन एविडेंस एक्ट हैं. ये वो तीन चर्चित धाराएं है जो लोगों की जुबान पर रहती थीं. लेकिन अब 1 जुलाई 2024 से बदल गई हैं. इनकी जगह अब तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता ने ले ली है.
New Criminal Laws: क्या है ये तीन कानून
इन तीनों विधेयक को बीते साल 2023 में संसद के दोनों सदनों में ध्वनिमत से पारित किया गया था. बिल को उस वक्त पास किया गया था, जब 140 से भी ज्यादा सांसदों का निलंबन हो चुका था और विधेयक पर महज 5 घंंटे की बहस हो पाई थी. आईपीसी यानी इंडियन पीनल कोड 1860 में, सीआरपीसी 1899 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में बना था. मतलब अंग्रेजों के बनाए कानून ने अब एक नया रूप ले लिया है.
क्रिमिनल प्रोसीजर कोड CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू की जाएगी. इंडियन पीनल कोड (IPC) 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 लागू हई है. इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के मुताबिक फैसले जाएंगे.
New Criminal Laws: क्या है बदला
किसी ने कोई अपराध किया है, तो उसे गिरफ्तार कैसे किया जाएगा? पुलिस उसे कैसे हिरासत में रखेगी? क्या करेगी अदालत ? आरोपी के क्या अधिकार होंगे? किसी कैदी के क्या अधिकार होंगे? ये सबकुछ सीआरपीसी से तय होता था. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) से तय होगा.
क्राइम के बाद किसी आरोपी के क्राइम को साबित करने के लिए क्या सबूत पेश किए जाएंगे? केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा? ये सबकुछ इंडियन एविडेंस एक्ट में था. अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में होगा.
क्राइम के बाद आरोपी को क्या सजा होगी? उसके कौन-कौन से कृत्य को अपराध माना जाएगा? उस अपराध के लिए क्या सजा होगी? ये सबकुछ आईपीसी में था. अब अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में है.
New Criminal Laws: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) दंड प्रक्रिया संहिता ने CRPC की जगह ली है. सीआरपीसी में गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत जैसी प्रक्रियाओें के लिए हुआ करता था. अब बीएनएसएस लाकर इस कानून में और भी कई प्रावधान जोड़ दिए गए हैं. सीआरपीसी में 484 सेक्शन्स थे वहीं अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 है.इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है.
जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. इसमें CRPC की 14 धाराओं को न्यायिक प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है. पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी. लेकिन अब 60 या 90 दिन तक दी जा सकती है.
New Criminal Laws: भारतीय न्याय संहिता (BNS)
BNS ने IPC को रिप्लेस किया है. IPC में कुल 511 धाराएं थीं BNS में अब 358 हैं. आईपीसी के तमाम प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है. आईपीसी के मुकाबले बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं.
41 अपराध ऐसे हैं जिसमें जेल का समय बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ी है. 25 अपराध ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. छह तरह के अपराध पर कम्युनिटी सर्विस करनी होगी.
बीएनएस के अंदर, जाति, भाषा या पर्सनल बिलीफ के आधार पर अगर कोई लोग समूह बनाकर मर्डर करते हैं तो उन्हें सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. अपराधिक जिम्मेदारी की आयु सात वर्ष ही रखी गई है.
आरोपी की परिपक्वता के आधार पर इसे 12 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. BNS में महिलाओं व बच्चों से जुड़े क्राइम, मर्डर, मेंटल हेल्थ, मेरिटल रेप, संगठित अपराध, चुनावी अपराध की धारा शामिल है.
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New Criminal Laws: भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (BSA)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 धाराए हैं, जिसमें 24 को संशोधित किया गया है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की 167 धाराओं में से छह को निरस्त कर दिया गया है. इसमें 2 नई धाराएं और 6 उप धाराओं को जोड़ा गया है. इसमें गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है. इसमें इलैक्ट्रोनिक सबूत को कोर्ट में मान्यता दी गई है.
गौरतलब है कि आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी. कई सारी धाराओं को हटाया गया है, वहीं, कइयों में बदलाव किया गया है और कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं.