Hathras Stampede: हाथरस ही नहीं, इन धार्मिक आयोजनों में भी गई सैकड़ों लोगों की जान, फिर भी नहीं चेतती जनता

Hathras Stampede: हाथरस ही नहीं, इन धार्मिकआयोजनों में भी गई सैकड़ों लोगों की जान, फिर भी नहीं संभलती जनता

Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 107 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. धार्मिक आयोजन में भगदड़ होने का यह कोई पहला मामला नहीं है. देश में ऐसे आयोजनो में भगदड़ के कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां सैकड़ों मौत ने पूरे देश को स्‍तंभित कर दिया था.

Hathras Stampede: आजादी के बाद सबसे बड़ी भगदड़

14 फरवरी 1954 को प्रयाग कुंभ के दौरान हुई भगदड़ मची और 500 लोगों की मौत हुई. भगदड़ के कई अलग-अलग कारण बताए गए थे. दावा किया जाता है कि देश में अब तक भगदड़ से हुई मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है. आजादी के पास यह पहला कुंभ मेला था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यहां भगदड़ की शुरुआत शाही स्नान के लिए जाने के दौरान हुई. बीबीसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कुंभ में शाही स्नान के लिए पहुंचे. इस दौरान भीड़ बढ़ने के कारण भगदड़ मची.

इस घटना के बाद पंडित नेहरू ने अपील की थी कि कुंभ के शाही स्नान के लिए कोई भी नेता न जाए. एक अन्य रिपोर्ट में यह भी दावा किया जाता है कि कुंभ के दौरान हाथी के भड़कने से भगदड़ के हालात बने.कुंभ में भगदड़ की एक और घटना 2013 में घटी. जब कुंभ में आए श्रद्धालु ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. ट्रेन के लिए रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची और 35 लोगों की मौत हो गई.

Hathras Stampede: जूते उठाने की कोशिश में भगदड़ मची और फिर वो उठ नहीं पाए

साल 2015 में आंध्र प्रदेश के गोदावरी पुष्करम में धार्मिक स्नान उत्सव के दौरान भीड़ ने हालात बिगाड़ दिए. भगदड़ में 29 लोगों की मौत हुई. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि हादसा तब हुआ जब स्नान के लिए भागते समय श्रद्धालु के जूते-चप्पल गिरे और उसे उठाने की कोशिश की.

साल 2014 में मुंबई में बोहरा समाज के एक कार्यक्रम में हुई भगदड़ में 18 लोगों ने दम तोड़ दिया. स्थानीय पुलिस का कहना था, दाऊदी बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक नेता को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे. जहां पर आयोजन हुआ था वहां की गलियां काफी संकरी थी. भीड़ उम्मीद से ज्यादा इकट्ठा हुई और भगदड़ के हालात बने.

साल 2013 में मध्य प्रदेश के दतिया से 60 किलोमीटर दूर रतनगढ़ स्थित मंदिर में नवरात्रि के अंतिम दिन हादसा हुआ. देवी दर्शन के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मचने से मरने वालों की संख्या 115 तक पहुंच गई. मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की थी.

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Hathras Stampede: केरल के सबरीमाला मंदिर में बिछ गई थी लाशें

8 नवंबर, 2011 को हरिद्वार में हर-की-पौड़ी घाट पर भगदड़ में 22 लोगों की मौत हुई. वहीं, 14 जनवरी, 2011 को केरल के सबरीमाला मंदिर में भगदड़ में 106 तीर्थयात्रियों की मौत हुई. 100 से अधिक घायल हुए.4 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में राम जानकी मंदिर में भगदड़ मचने से 63 लोगों की मौत हो गई.

बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे और भीड़ बेकाबू हो गई.वहीं 30 सितम्बर, 2008 को नवरात्रि उत्सव के दौरान राजस्थान के जोधपुर में पहाड़ी पर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 120 से अधिक लोग मारे गए और 200 घायल हो गए.

3 अगस्त, 2006 को हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भगदड़ में लगभग 150 श्रद्धालु मारे गए और 400 से अधिक घायल हुए. इसके अलावा26 जनवरी, 2005 को पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के मंढेर देवी मंदिर में आयोजित धार्मिक मेले में लगभग 350 श्रद्धालुओं की मौत हो गई.

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