Lord Shiva like Bel Patra: भगवान शिव को बेल पत्र क्यों हैं इतना पसंद? चढ़ाने से होते हैं प्रसन्न
Lord Shiva like Bel Patra: भगवान शिव, हिंदू धर्म में दया और करुणा के देव कहलाते हैं. यूं तो महादेव केवल सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं, परंतु शिवजी को प्रिय वस्तुओं का भोग लगाकर विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है. भगवान शंकर को बेल पत्र बेहद ही प्रिय है.
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए बिना पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालु को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
Lord Shiva like Bel Patra: बेलपत्र का महत्व
बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) तो कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है) का प्रतीक माना जाता है. बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है.
Lord Shiva like Bel Patra: शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से जुड़ी पौराणिक कथा
जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया. विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा. चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया. बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया. बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी.
Lord Shiva like Bel Patra: शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
– शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं.
– बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें.
– जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पण करें.
– बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी करें.
इन नियमों के अनुसार बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं
Lord Shiva like Bel Patra: बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया. चूंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ. अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं. वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं.
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बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है. भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. इसे टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे। बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.