Parthiv Shivling: सावन में क्यों जरूरी मानी जाती है पार्थिव शिवलिंग की पूजा? जानें इसका महत्व
Parthiv Shivling: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस माह में भगवान को प्रसन्न करना सबसे आसान होता है. महादेव सिर्फ जल के अभिषेक से प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.
सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी होती है. शिवलिंग में भी उनकी पूजा कई तरह से की जाती है. जैसे कोई पत्थर के शिवलिंग को पूजता है तो कोई स्फटिक के शिवलिंग की साधना करता है. कुछ लोग सोने, चांदी, पीतल और पारद आदि के शिवलिंग की भी पूजा करते हैं, लेकिन इन सभी शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा अत्यंत ही शुभ मानी जाती है,खासकर सावन के महीने में.
Parthiv Shivling: क्या है पार्थिव शिवलिंग
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की शुद्ध मिट्टी से बनी लिंग मूर्ति को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है. सनातन धर्म में पार्थिव शिवलिंग के निर्माण और पूजन का विशेष महत्व है. सावन में और शिव के विशेष दिनों यानी शिवरात्रि, प्रदोष व्रत आदि पर लोग पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते हैं.
सावन के महीने में मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह शिवलिंग शुद्ध मिट्टी, गंगा जल, गाय का घी, उपले की राख आदि शुद्ध चीजों को मिलाकर बनाया जाता है. इसलिए इस शिवलिंग का विशेष महत्व है. शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की ऊंचाई 8-12 अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
Parthiv Shivling: कैसे शुरू हुई पूजा
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने सबसे पहले रावण से युद्ध के पहले भगवान शंकर की पार्थिव शिवलिंग बनाकर सबसे पहले पूजा की थी. भगवान श्रीराम, जिनको महादेव अपना इष्ट मानते हैं, और जिनकों श्री राम अपना ईष्ट मानते हैं ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले अपने आराध्य की पार्थिव पूजा की थी.
एक दूसरी मान्यता के अनुसार कलयुग में भगवान शिव की पार्थिव पूजा कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने की थी. तभी से शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजा की परंपरा चली आ रही है. ऐसी भी मान्यता है कि शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से अधिक शक्ति पाने के लिए काशी में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी.
Parthiv Shivling: पार्थिव शिवलिंग की पूजा-विधि
शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए किसी नदी या पवित्र स्थान की मिट्टी लेकर उसमें गंगाजल, पंचामृत, गाय का गोबर और राख मिला लें. संभव हो तो गंगा नदी की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए.
इसके बाद शिव मंत्र का जाप करते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाएं. ध्यान रखें कि शिवलिंग पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बनाना चाहिए. इन दिशाओं की ओर मुख करके विधि-विधान से पार्थिव शिवलिंग की पूजा करें. शिवलिंग की ऊंचाई 12 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए.
शिवलिंग तैयार करने के तुरंत बाद इसकी पूजा ना करें. पार्थिव शिवलिंग तैयार करने के बाद सबसे पहले गणेश जी, फिर भगवान विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना जरूरी होता है. इसके बाद विधि-विधान से षोडशोपचार अर्थात सोलह रूपों में पूजा करनी चाहिए. इसके बाद स्वयं तैयार पार्थिव शिवलिंग की शास्त्रवत तरीके से पूजा की जाती है.
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Parthiv Shivling: पूजा के लाभ
मान्यता है कि सावन के महीने में मिट्टी के शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं और हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है.
शिवपुराण के अनुसार मिट्टी की पूजा करने वाले भक्त को भगवान शिव की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वह सभी सुखों का भोग कर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है.