Lord Shankar keep Damru: भगवान शंकर क्यों रखते हैं डमरू, क्या है पौराणिक महत्व
Lord Shankar keep Damru: शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव अपने शरीर पर जो वस्तुएं धारण करते हैं जैसे गले में सर्प, मस्तक पर चंद्रमा, जटाओं में गंगा, हाथ में त्रिशूल और डमरू। भगवान भोलेनाथ के डमरू धारण करने के पीछे भी कई कारण है.
भगवान शंकर के हाथ में डमरू नाद ब्रह्म का प्रतीक है.शास्त्रों के अनुसार, शिव जी के डमरू में सातों सुरों की ध्वनि है। माना जाता है कि शिव जी के 14 बार डमरू बजाने के बाद ही संगीत की देवी सरस्वती की वाणी में सुरों की ध्वनियां उत्पन्न हुई थीं।
Lord Shankar keep Damru: ऐसे आया अस्तित्व में डमरू
भगवान शिव के हाथों में डमरू की कहानी अत्यंत ही रोचक है। कहा जाता है कि सृष्टि के आरंभ में जब देवी सरस्वती प्रकट हुई तब देवी ने अपनी वीणा के स्वर से सृष्टि में ध्वनि को जन्म दिया। लेकिन इस ध्वनि में न तो सुर था और न ही संगीत। सृष्टि के आरंभ से आनंदित शिव जी ने जैसे ही नृत्य आरंभ किया और 14 बार डमरू बजाया तभी उनके डमरू की ध्वनि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। इसी कारण से शिव के हाथ में सदैव डमरू रहता है।
कहा यह भी जाता है कि सृष्टि में संतुलन के लिए इसे भगवान शिव अपने साथ लेकर प्रकट हुए थे। यदि मनुष्य की हथेली पर डमरू जैसा चिन्ह दिखाई देता है तो ऐसे लोगों पर भी भगवान शिव की कृपा रहती है। जो व्यक्ति अपनी हथेली पर इस निशान को देखता है, उस पर विपदाओं का संकट कम हो जाता है। साथ ही वह आर्थिक रूप में भी समृद्ध रहता है, उसे जीवन में कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।
ऐसा माना जाता है कि डमरू से निकलने वाली ध्वनि से ही समस्त ब्रह्मांड अस्तित्व में आया। भगवान शिव के डमरू को ब्रह्मांड का प्रतीक भी माना जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान शिव का डमरू ब्रह्मांड की ऊर्जाओं की भौतिक अभिव्यक्ति है।
Lord Shankar keep Damru: डमरू बजाते समय बोले यह मंत्र
डमरू को बजाते समय शिव भगवान के नाम या मंत्रों का जाप किया जाता है। यहां कुछ मंत्र हैं जो डमरू बजाते समय बोले जा सकते हैं:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ नमो भगवते रुद्राय
- हर हर महादेव
- ॐ तत् पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
Lord Shankar keep Damru: घर में यहां रखें डमरू
घर में अगर शिवलिंग स्थापित है तो डमरू को शिवलिंग के पास ही रखें। इसके अलावा, पूर्व दिशा में एक छोटे मिट्टी के बर्तन में भी रख सकते हैं। साथ ही, डमरू को घर में लगे बेलपत्र के पौधे के पास रखना भी शुभ है। अगर घर में शिव प्रतिमा स्थापित है तो डमरू और त्रिशूल को साथ में रखें। छोटा डमरू ही घर में लाएं। डमरू का आकार हथेली के बराबर ही हो।
डमरू को तांबे या मिट्टी के बर्तन में ही रखें। कपड़े में न लपेटकर न रखें। डमरू को हमेशा त्रिशूल के साथ ही रखना शुभ और उत्तम माना गया है। शिव जी के त्रिशूल का निर्माण रज, तम और सत गुणों से मिलकर हुआ है। ऐसे में त्रिशूल के साथ डमरू घर में रखना कई कष्टों से मुक्ति दिलाता है। बड़ा त्रिशूल रखना जरूरी नहीं। डमरू के आकार का त्रिशूल रख सकते हैं।
Lord Shankar keep Damru: घर में डमरू रखने के लाभ
घर के मंदिर में यदि डमरू है और उसे रोज घंटी की तरह बजाया जाए तो उससे कभी अमंगल नहीं होगा। डमरू की ध्वनि से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती और सकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में डमरू रखने से वास्तु दोष निवारण होता है। यह घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। डमरू की ध्वनि से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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डमरू से निकलने वाली ध्वनि तरंगे शरीर के विभिन्न हिस्सों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। डमरू का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इसे घर में रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और धार्मिक अनुष्ठानों में आरती और स्तुति के दौरान इसका उपयोग किया जा सकता है। डमरू की ध्वनि ध्यान को एकाग्रता से करने में सहायक होती है। यह मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है, जिससे ध्यान और योग अभ्यास में लाभ मिलता है।