Tulsi with Lord Vishnu: मां तुलसी का क्‍या है भगवान विष्‍णु से नाता? जिनके बिना भगवान की पूजा मानी जाती है अधुरी

Tulsi with Lord Vishnu: मां तुलसी का क्‍या है भगवान विष्‍णु से नाता? जिनके बिना भगवान की पूजा मानी जाती है अधुरी

Tulsi with Lord Vishnu: सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत महत्व दिया गया है. तुलसी के पौधे को मां की संज्ञा दी गई है. हर हिंदू के घर-आंगन में आपको तुलसी का पौधा लगा मिलता है. बिना तुलसी के घर का आंगन सूना लगता है.

तुलसी, भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. विष्णु भगवान की पूजा तुलसी के बिना आधी-अधूरी सी मानी जाती है. कहा जाता है बिना तुलसी के तो विष्णु जी भोग तक नहीं चखते हैं. आखिर क्‍या है भगवान विष्‍णु से मां तुलसी का नाता, आइए जानते हैं……..

Tulsi with Lord Vishnu: भगवान विष्‍णु ने धरा जालंधर का रूप

तुलसी के जन्‍म की कहानी भी भक्‍त और भगवान से जुड़ी हुई है. एक समय की बात है, जालंधर नाम का एक असुर था, जो बहुत शक्तिशाली था. उसकी पत्‍नी वृंदा, जो भगवान विष्‍णु की अन्‍नय भक्‍त थीं. उसके सतीत्‍व का इतना प्रभाव था कि जालंधर को कोई भी जीतने में असमर्थ था.

एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ, लेकिन देवता इसे जीतने में असमर्थ थे क्योंकि वृंदा की आध्यात्मिक शक्तियां जालंधर की रक्षा कर रही थीं. उसे मारने के लिए उसकी पवित्रता भंग करना आवश्यक था. इसलिए, भगवान विष्णु जालंधर के रूप में वृंदा के पास पहुंचे, अपने पति के रूप में भगवान विष्णु को वृंदा नहीं पहचान पाईं और देवतागण जालंधर को मारने में समर्थ हो गए.

Tulsi with Lord Vishnu: वृंदा के रूप में दिया था भगवान विष्‍णु को श्राप

जालंधर के वध के बाद भगवान विष्णु अपने वास्तविक रूप में आए और वृंदा को एहसास हुआ कि उनके पति के रूप में स्वयं भगवान विष्णु थे. उसे यह भी पता चला कि उसका पति जालंधर अब जीवित नहीं रहा.

इससे वह क्रोधित हो गईं और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वह पत्थर के बन जाएंगे. भगवान विष्‍णु ने उसके श्राप को पूरे दिल से स्वीकार किया और उसे अपने पति के पिछले जीवन की वास्तविक कहानी बताई और बताया कि उसे क्यों मारना पड़ा? बाद में वृंदा ने अपने इष्टदेव को श्राप देने के लिए पश्चाताप किया और उनसे क्षमा मांगी. लेकिन चूंकि वह अपने पति के बिना नहीं रह सकती थीं, इसलिए वृंदा ने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया.

वृंदा की भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया कि उसकी राख से तुलसी का पौधा पैदा होगा और पौधे का विवाह शालिग्राम से होगा, जो स्वयं भगवान विष्णु हैं. भगवान ने यह भी कहा कि वह तुलसी के पत्तों के बिना कोई भी प्रसाद स्वीकार नहीं करेंगे. इसलिए हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा होती है और कार्तिक महीने में तुलसी के पौधे का शालिग्राम के साथ विवाह होता है.

Tulsi with Lord Vishnu: एकादशी के दिन मां तुलसी का हुआ था विष्‍णु से विवाह

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एकादशी तिथि के दिन ही माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के एक रूप शालिग्राम के साथ हुआ था. मुख्य रूप से देवउठनी एकादशी के दिन दोनों का विवाह पूरे विधि विधान से कराया जाता है और यह भी माना जाता है कि प्रत्येक एकादशी तिथि के दिन माता तुलसी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत करती हैं और उनमें जल चढ़ाने से उनके व्रत में बाधा होने लगती है.

ऐसा माना जाता है कि व्रत भंग होने के क्रोध में हरा भरा तुलसी का पौधा भी एकादशी के दिन जल चढ़ाने से सूखने लगता है और यदि कोई बार-बार ऐसा करता है तो उस घर में कभी भी तुलसी माता की कृपा नहीं होती है.

Tulsi with Lord Vishnu: कामिका एकादशी पर ऐसे करें तुलसी की पूजा

कामिका एकादशी पर सुबह भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके बाद तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी अर्पित करे. अंत में जीवन में सुख-शांति की कामना करें. इस टोटके को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, जिससे आर्थिक समस्याएं जल्द दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है.

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कामिका एकादशी पर पूजा के दौरान तुलसी के पौधे पर कलावा अवश्य बांधे. इससे साधक को सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं. साथ ही तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं. इससे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.

 

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