Lalita Panchami 2024: कल ललिता पंचमी पर इस विधि से करें मां पार्वती की पूजा, धन-धान्‍य से भर जाएगा घर

Lalita Panchami 2024: कल ललिता पंचमी पर इस विधि से करें मां पार्वती की पूजा, धन-धान्‍य से भर जाएगा घर

Lalita Panchami 2024:  देवी ललिता, जो कि माता पार्वती का ही एक रूप हैं, उनको समर्पित है ललिता पंचमी का दिन। हिंदू धर्म का यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से मनाया जाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ललिता सबसे महत्वपूर्ण 10 महाविद्याओं में से एक हैं। उन्हें ‘षोडशी’ और ‘त्रिपुरा सुंदरी’ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू इस दिन अपने देवी के सम्मान में उपवास रखते हैं और इस अनुष्ठान को ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से जाना जाता है।

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है।

Lalita Panchami 2024: क्‍या है ललिता पंचमी का महत्‍व

देवी ललिता को देवी दुर्गा या शक्ति का अवतार माना जाता है और इसलिए ललिता पंचमी का त्‍यौहार नवरात्र के दौरान मनाया जाता है ।   ललिता पंचमी पर मां पार्वती के लिए व्रत रखने और उनकी पूजा करने से सुख, ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में ललिता पंचमी का पालन बहुत लोकप्रिय है। इन राज्यों में, देवी ललिता की पूजा देवी चंडी की तरह ही ‘ललिता सहस्रनाम’, ‘ललितोपाख्यान’ और ‘ललितात्रिशती’ जैसे पूजा अनुष्ठानों के साथ की जाती है। इसलिए ललिता पंचमी का त्यौहार पूरे देश में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, ललिता पंचमी उस दिन को चिह्नित करती है जब देवी ललिता ने कामदेव की राख से पैदा हुए राक्षस भांडा को हराया था। इस विजय को देवी की जयंती या जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Lalita Panchami 2024: तिथि और समय

ललिता पंचमी 2024 तिथि: 7 अक्टूबर 2024

पंचमी तिथि प्रारंभ: 7 अक्टूबर 2024, सुबह 9:48 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: 11:18 पूर्वाह्न, 8 अक्टूबर 2024

Lalita Panchami 2024: शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:17 पूर्वाह्न से 02:25 पूर्वाह्न, 08 अक्टूबर

अमृत काल: दोपहर 03:03 बजे से शाम 04:48 बजे तक

Lalita Panchami 2024: पूजा विधि

इस दिन देवी के सम्मान में विशेष अनुष्ठान और पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर सामूहिक पूजा होती है जिसमें सभी महिलाएं एक साथ प्रार्थना करती हैं। ललिता पंचमी पर देवी ललिता के साथ-साथ हिंदू भक्त भगवान शिव और स्कंदमाता की भी पूजा करते हैं।

ललिता पंचमी के दिन देवी ललिता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। वे दूर-दूर से इस दिन विशेष रूप से आयोजित पूजा अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आते हैं। कुछ क्षेत्रों में, इस दिन भव्य मेलों का भी आयोजन किया जाता है जो बहुत उत्साह और उमंग प्रदान करते हैं।

इस दिन देवी ललिता को समर्पित वैदिक मंत्रों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं, चाहे व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक, तुरंत हल हो जाती हैं।

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यह दिन आध्यात्मिक विकास और देवी का मार्गदर्शन प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। व्रत रखकर, पूजा करके और वैदिक मंत्रों का पाठ करके, भक्तों का लक्ष्य देवी ललिता की दिव्य ऊर्जा से जुड़ना, उनकी सुरक्षा, शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह सामूहिक भक्ति एक शक्तिशाली और पवित्र वातावरण बनाती है, जो भक्तों के जीवन को सकारात्मकता और सद्भाव से भर देती है। ललिता पंचमी पर उत्सव हिंदू संस्कृति और परंपरा में देवी ललिता के स्थायी महत्व के प्रमाण के रूप में काम करते हैं।

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