Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा पर करें मां लक्ष्‍मी की उपासना, धन-धान्‍य से भर जाएगा घर

 Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा पर करें मां लक्ष्‍मी की उपासना, धन-धान्‍य से भर जाएगा घर

Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। उसमें शरद पूर्णिमा का दिन काफी महत्‍वपूर्ण होता है। इस दिन चांद अपनी पूरी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसकी किरणों से अमृत रस की वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा धरती के बेहद करीब होता है। कहा जाता है कि इस दिन आसमान से अमृत बरसता है।

पूर्णिमा का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पूरे साल बनी रहती है।

 Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा मुहूर्त

हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात को 08 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन यानी 17 नवंबर 2024 की शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी।

स्नान-दान का समय- सुबह 04.43 बजे से 05.33 बजे तक (17 अक्टूबर, पूर्णिमा स्नान उदयातिथि में मान्य है)
लक्ष्मी पूजा- 16 अक्टूबर, रात्रि 11.42 बजे से 12.32 बजे तक, 17 अक्टूबर
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय – 05:05 अपराह्न

 Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा की कथा

कथा के अनुसार बहुत समय पहले एक नगर में एक साहुकार रहा करता था. उसकी दो पुत्रियां थीं. दोनों ही पुत्री विधिपूर्वक पूर्णिमा का उपवास रखती थीं. लेकिन साहुकार की छोटी बेटी उपवास को अधूरा छोड़ देती थी. जबकी बड़ी बेटी की बात करें तो वो हमेशा पूरी लगन और श्रद्धा से इस व्रत का पालन करती थी. जब दोनों बड़ी हो गईं तो उनके पिता ने दोनों का विवाह कर दिया.

शादी के बाद भी बड़ी वाली बेटी पूरी आस्था से उपवास रखती थी. इस व्रत का प्रभाव ऐसा था कि इसका उसे लाभ भी मिला. उसे बहुत ही सुंदर और स्वस्थ संतान मिली. वहीं छोटी बेटी को संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वो तो काफी परेशान हुई साहूकार भी इस बात से चिंतित रहने लगा. इसके बाद साहूकार ने ब्राह्मणों को बुलाकर बिटिया की समस्या बताई.

पंडितों ने मामले की गंभीरता का पता लगाया और साहूकार से कहा कि आपकी छोटी बेटी ने पूर्णिमा के व्रत का नियम पालन सच्चे मन से नहीं किया इसलिए इसके साथ ऐसा हो रहा है. ब्राह्मणों ने उसे इस व्रत की विधि बताई जिसके बाद उसने पूरे विधि-विधान से फिर से व्रत रखा. इस बार छोटी बेटी की आस्था रंग लाई और उसे संतान हुई.

 Goddess Lakshmi on Sharad Purnima: पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर लकड़ी की चौकी या तख़्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।

चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी पहनाएं। इसके बाद लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूपबत्ती, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी की पूजा करें।

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मां लक्ष्मी के सामने लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। पूजा पूरी होने के बाद आरती करें। फिर शाम को फिर से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।

चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखें। आधी रात को मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं।

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