Utpanna Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है उत्पन्ना एकादशी, इसी दिन से शुरू हुआ एकादशी तिथि का माहात्मय
Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए मनाया जाता है। मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन को “उत्पन्ना” इस कारण कहा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, जो शारीरिक और मानसिक उन्नति का प्रतीक है।
ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत की शुरुआत करने के लिए उत्पन्ना एकादशी सबसे सर्वश्रेष्ठ होती हैै।
Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
पद्मपुराण में धर्मराज युधिष्ठिर के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण से पुण्यमयी एकादशी तिथि की उत्पत्ति के विषय पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सतयुग में मुर नाम का एक दैत्य था। वह बड़ा ही बलवान और भयानक था। उसने अपने पराक्रम से इंद्र समेत अनेक देवताओं को पराजित कर दिया और उनको स्वर्ग से भगा दिया। मुर के आतंक से परेशान सभी देवी-देवता भगवान शिव की शरण में गए और उन्होंने उनसे रक्षा का अनुरोध किया। भगवान शिव ने कहा कि आप सभी जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास जाएं।
भगवान शिव के वचन को सुनकर सभी देवी और देवता क्षीर सागर में भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। भगवान विष्णु से निवेदन करने लगे और कहा कि वे मुर से हमारी रक्षा करें। हम सब आपकी शरण में आए हैं। भगवान विष्णु ने इंद्रदेव से पूछा कि कौन ऐसा दैत्य है, जो सभी देवताओं को जीत लिया है? उसका नाम क्या है? वह कहां रहता है? आप बताओ।
इंद्रदेव ने कहा कि मुर नामक राक्षस चंद्रावती नगरी में रहता है। वह बड़ा ही पराक्रमी और विख्यात है। इंद्रदेव की बात सुनकर भगवान विष्णु ने कहा कि वह जल्द ही मुर का संघार करेंगे, और सभी देवताओं को चंद्रावती पहुंचने का आदेश दिया। श्री हरि का आदेश पाकर सभी देवी और देवता चंद्रावती नगरी के तरफ चल दिए।
कुछ दूरी चलने पर मुर राक्षस अपने सैनिकों के साथ धरती पर जोर-जोर से गरज रहा था। उससे डर के सभी देवी और देवता चारों दिशाओं में भागने लगे। तब श्री विष्णु उससे युद्ध के लिए आगे बढ़े। उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्रों से उसकी सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया। भगवान विष्णु और मुर के बीच में लगभग 10 साल तक युद्ध होता रहा। फिर भी मुर नहीं मारा गया। भगवान विष्णु थककर बद्रीकाश्रम चले गए।
Utpanna Ekadashi 2024: भगवान विष्णु के शरीर से प्रकट हुईं देवी एकादशी
वहां पर भगवान विष्णु हेमंत नमक सुंदर गुफा में विश्राम करने लगे। यह गुफा 12 योजन तक लंबी थी और उसमें सिर्फ एक ही प्रवेश द्वार था। भगवान विष्णु वहां पर योग निद्रा में थे। उनका पीछा करते हुए मुर भी वहां पर आ गया। भगवान विष्णु को योग निद्रा में पाकर उन पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा।
तभी भगवान श्री हरि विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं। उन्होंने मूर के साथ युद्ध किया और उसका संघार कर दिया। युद्ध बीत जाने के बाद भगवान विष्णु जब योग निद्रा से बाहर आए, तब उन्होंने देवी को देखा। उन्होंने कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है, इसलिए आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी जाएगी। जो लोग आपकी पूजा करेंगे, वह हमारे भी भक्त होंगे।
Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी तिथि
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 26 नवंबर की रात 1 बजकर 1 मिनट पर होगी। वहीं, यह एकादशी तिथि 27 नवंबर की सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।
उदया तिथि के मुताबिक, उत्पन्ना एकादशी व्रत 26 नवंबर 2024, मंगलवार को रखा जाएगा। उत्पन्ना एकादशी का पारण अगले दिन 27 नवंबर को किया जाएगा।
Utpanna Ekadashi 2024: ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। उन्हें धूप, दीपक,पीले फूल, तुलसी के पत्ते, और फल अर्पित किए जाते हैं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करते हुए उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है, जैसे “ॐ श्री विष्णवे नमः”।
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उत्पन्ना एकादशी के दिन रात्रि को भजन-कीर्तन और हरि के नाम का जाप किया जाता है, ताकि भगवान की कृपा प्राप्त हो सके। इस दिन उपवास रखने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।