TRAI implemented rule: 1 दिसंबर से TRAI ने आनलाइन फ्राड रोकने के लिए लागू किया यह नियम, इसको जरूर जानें
TRAI implemented rule: आजकल आनलाइन धोखाधड़ी का मामला इतना बढ़ गया है, कि अब किसी प्रकार का मैसेज या OTP आने पर दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं। हर 10 में से 2 व्यक्ति आनलाइन ठगी का शिकार हो रहा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने ऐसी गतिविधियों को रोकने और ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए नया नियम लागू करने की तैयारी की है।
TRAI implemented rule: लागू होगा मैसेज ट्रेसेबिलिटी नियम
TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को मैसेज ट्रेसेबिलिटी लागू करने का निर्देश दिया है। यह नियम 1 दिसंबर से लागू हो सकता है। इस नियम के तहत, टेलीकॉम कंपनियों द्वारा भेजे गए सभी मैसेज ट्रैसेबल होंगे, जिससे फिशिंग और स्पैम के मामलों पर रोक लगाई जा सकेगी।
TRAI ओटीपी मैसेज की ट्रेसेबिलिटी को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय टेलिकॉम कंपनियों के पास था। जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल की मांग के बाद कंपनी ने इसकी समय सीमा 31 नवंबर तक बढ़ा दी थी।
अब जब नवंबर में इसकी समय सीमा समाप्त होने जा रही हैं तो टेलिकॉम कंपनियों को कॉमर्शियल मैसेज और OTP मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसेबिलिटी नियम को 1 दिसंबर से लागू करना होगा।
TRAI implemented rule: ओटीपी डिलीवरी में हो सकती है देरी
TRAI का यह कदम ग्राहकों को फर्जी कॉल और मैसेज से बचाने के लिए एक बड़ा प्रयास है। नए नियमों के चलते, ग्राहकों को ओटीपी डिलीवरी में थोड़ी देरी का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में लाखों मोबाइल यूजर्स को बैंक, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया से जुड़े या फिर रिजर्वेशन जैसे कामों में OTP के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ट्राई इस नियम को इसलिए लागू कर रही है की अधिकतर मामलो में साइबर ठग व्यक्तियों के उपकरणों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए नकली ओटीपी मैसेज का फायदा उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान होता है।
TRAI implemented rule: ये नियम ऐसे करेगा काम
TRAI का यह नियम डिजिटल फ्रॉड को कम करने और सुरक्षित मैसेजिंग सिस्टम बनाने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है।
TRAI के लागू होन वाले इस नए नियमों के अनुसार, अब मैसेज सेंडर से रिसीवर तक पूरी तरह ट्रेसिबल होना चाहिए। इस पहल की घोषणा सबसे पहले अगस्त में की गई थी, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों को इन ट्रेसिबिलिटी प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया था।
हालांकि, जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल जैसी प्रमुख कंपनियों के अनुरोध पर इस समय सीमा को बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया।
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अब, 30 नवंबर की समय सीमा समाप्त होने के बाद, टेलीकॉम ऑपरेटरों को मैसेज ट्रेसिबिलिटी निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। ट्राई ने इन नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की अनुमति दी थी और ऑपरेटरों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि 30 नवंबर तक सभी संबंधित एंटिटी को इन निर्देशों का पालन करने की चेतावनी दी जाए।
1 दिसंबर से, निर्देशों का पालन न करने वाले व्यवसायों के मैसेज ब्लॉक किए जा सकते हैं। इसके अलावा, ट्रेसिबिलिटी प्रक्रियाओं के लागू होने के कारण 1 दिसंबर से ओटीपी मिलने में कुछ देरी होने की संभावना है। इस वजह से यूजर्स को ऑनलाइन बैंकिंग, बुकिंग और अन्य सेवाओं के लिए ओटीपी प्राप्त करने में अधिक समय लग सकता है।
TRAI implemented rule: 1 जनवरी से लागू होगा यह नियम
सरकार ने हाल ही में दूरसंचार अधिनियम के तहत अतिरिक्त नियम पेश किए हैं, जिसके तहत सभी राज्यों को इन बदलावों का पालन करना होगा। राइट ऑफ़ वे (RoW) के नाम से जाना जाने वाला यह नया दिशानिर्देश, देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती करते समय दूरसंचार कंपनियों के लिए मानकीकृत लागतें निर्धारित करता है।
वर्तमान में, RoW नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं, जिसके कारण पूरे देश में अनुमति और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए अलग-अलग शुल्क लगते हैं। इन नियमों का उद्देश्य पूरे देश में 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेज़ी लाना है।