ट्रंप की विवादित पॉलिसी पर व्हाइट हाउस की मुहर, मिलिट्री सर्विस में ट्रांसजेंडर्स पर लगा बैन
वॉशिंगटन: व्हाइट हाउस ने औपचारिक तौर पर मिलिट्री सर्विस में ट्रांसजेंडर्स के आने पर बैन लगा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित नीति का हिस्सा रहे इस संकल्प पर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन ने मुहर लगा दी है. जब ट्रंप ने ट्रांसजेंडर्स पर बैन लगाने की बात कही थी तब उन्हें अमेरिका के डिफेंस चीफ और नागरिक अधिकार समूहों के पुरज़ोर विरोध का सामना करना पड़ा था.
इस पॉलिसी पर मुहर लगने से ये बात साबित होती है कि ट्रंप पर डाला गया दबाव किसी काम नहीं आया. अपने प्रेसीडेंशियल मेमोरेंडम में ट्रंप ने कहा कि जिन ट्रांसजेंडर लोगों का लैंगिक डिस्फोरिया का इतिहास रहा है और जिन्हें पर्याप्त इलाज की जरुरत है उन्हें ‘कुछ सीमित परिस्थितियों को छोड़कर सेना में सेवा से अयोग्य ठहराया जाता है.’
डिफेंस सेक्रेटरी ने एक मेमो जारी करके जानकारी दी कि मिलिट्री सर्विस में ट्रांसजेडर्स की सेवा को समाप्त किया जाता है, विशेष परिस्थितियों के अलावा इन्हें कभी मिलिट्री में सेवा देने का मौका नहीं मिलेगा. मेमो में ये नहीं बताया कि गया कि विशेष परिस्थितियों का मतलब क्या है. मेमो में संभावित छूट के बारे में नहीं बताया गया है लेकिन साथ ही कहा गया है कि रक्षा और होमलैंड सुरक्षा मंत्री ‘ट्रांसजेंडर द्वारा सेना में सेवा देने से संबंधित उचित नीतियों को लागू करने में अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.’
उन्होंने सेना में पहले से काम कर रहे ट्रांसजेंडरों को अपनी सेवाएं जारी रखने की अनुमति दे दी. ट्रंप ने पिछले साल अगस्त में सशस्त्र बलों में ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती पर रोक से संबद्ध एक मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किया था, लेकिन ट्रांसजेंडर सैनिकों मामला अदालत में ले गये जिसके दो महीने बाद ही अदालत ने इस आदेश पर रोक लगा दी.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने एक बयान में कहा कि ट्रंप ने इस नई नीति को लागू करने के लिए अपनी पहले की नीति को रद्द कर दिया. व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के मार्गदर्शन में वरिष्ठ सैन्य एवं असैन्य अधिकारियों द्वारा किये गये व्यापक अध्ययन के तहत नयी नीति तैयार की गयी है. इस घोषणा के साथ ये जानकारी भी साझा की गई कि इस नीति को लागू करने के लिए गहन अध्ययन के अलावा विशेषज्ञों की राय भी ली गई है. ये भी कहा गया कि ट्रांस लोगों की मौजूदगी मिलिट्री के प्रभावशील तरीके से काम करने की क्षमता और उसके घातक होने में ख़तरा पैदा करती है.
ट्रंप ने जब ट्विटर पर इस विवादित नीति की घोषणा की थी तब उन्होंने कहा था कि मिलिट्री को ट्रांसजेंडर्स पर आने वाले मेडिकल खर्च के बोझ और अन्य रुकावटों के तले नहीं रखा जा सकता. आपको बता दें कि द गार्जियन में छपे एक लेख में कहा गया है कि इससे जुड़े रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि अगर ट्रांसजेंडर्स पर बैन लगाया जाता है तो ये फैसला नकारात्मक साबित होगा. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहे है कि क्या ट्रंप प्रसाशन को ये फैसला लेना चाहिए था?