मोदी सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राफेल की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस से अरबों रूपए के राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के समझौते की कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुना दिया। मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राफेल विमानों की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि राफेल विमानों की तकनीकी क्षमता के लेकर कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने 126 की बजाय 36 विमान क्यों खरीदे इस पर हम कोई फैसला नहीं दे सकते। कोर्ट के लिए ये भी सही नहीं होगा कि वो राफेल डील के एक-एक स्टेप की समीक्षा करे।’
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कोर्ट का काम नहीं है कि वह प्राइसिंग देखे। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि किसी को फेवर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कोर्ट की निगरानी में राफेल डील की CBI जांच की याचिका खारिज कर दी। आपको बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी। इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था।
शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि राफेल विमान की कीमतों के बारे में तभी चर्चा हो सकेगी जब वह फैसला कर लेगा कि क्या इन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी जब सरकार ने विमान सौदे की कीमतों के विवरण का सार्वजनिक रूप से खुलासा करने से इनकार करते हुये कहा था कि इससे देश के दुश्मनों को लाभ मिल सकता है। राफेल सौदे में कथित अपराधिता के मुद्दे और इसकी कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की दलीलों पर शीर्ष अदालत ने दसाल्ट एविएशन द्वारा ऑफसेट साझेदार का चयन और फ्रांस के साथ अंतर-सरकार समझौते सहित अनेक मुद्दों पर सरकार से सवाल किए थे।
लड़ाकू विमान की कीमत सार्वजनिक करने से इंकार करते हुए अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 में सिर्फ विमान की कीमत मुद्रा विनिमय की दर के आधार पर 670 करोड़ रूपए थी और विमान में लगी सैन्य साजोसज्जा की कीमत का खुलासा करने से प्रतिद्वन्दियों को लाभ मिल सकता है। इसके विपरीत, प्रशांत भूषण ने कहा था कि केंद्रीय कानून मंत्री ने दो मुद्दों पर आपत्ति की थी परंतु सरकार ने इसके बावजूद समझौता किया। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जजों ने वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से भी चर्चा की और वायु सेना में उनकी जरूरतों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी।