पश्चिम बंगाल: बीजेपी की रथयात्रा पर बढ़ी रार, हाईकोर्ट के फैसले को ममता सरकार ने दी चुनौती
पश्चिम बंगाल में भाजपा को हाईकोर्ट की ओर से मिली रथयात्रा के बाद ममता बनर्जी सरकार एक्शन में आ गई है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने डिविजनल बैंच का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि बीजेपी की यात्रा के कारण सांप्रदायिक सद्भाव को चोट पहुंचने की संभावना है। अब शुक्रवार मामला को चीफ जस्टिस के सामने रखा जाएगा। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन तलाश रही भारतीय जनता पार्टी 22 दिसंबर को कूच बिहार से ‘गणतंत्र बचाओ यात्रा’ की शुरुआत करने वाली है।
गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा बीजेपी को पश्चिम बंगाल में प्रस्तावित रथ यात्रा की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद ममता सरकार ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच से इस पर निर्णय देने की मांग की है। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की इस अपील के बाद शुक्रवार को यह मामला चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा जाएगा। पहले भी कोर्ट से ममता सरकार को निराशा हाथ लगी थी।
अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए ममता बनर्जी सरकार की दलीलों को मानने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आप कल्पना के जरिए डर को वजह नहीं बना सकते हैं। आप कल्पना के जरिए या किसी दूसरे राज्य में क्या हो रहा है उस आधार पर सांप्रदायिक हिंसा के कयास नहीं लगा सकते हैं। लोकतंत्र में सभी राजनीतिक दलों को अपनी बात रखने और कहने का अधिकार होता है, ऐसे में कोई भी सरकार किसी पार्टी के बुनियादी अधिकारों पर हमला नहीं कर सकती है।
क्या थी ममता सरकार की दलील
इससे पहले ममता सरकार ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय से कहा था कि साम्प्रदायिक सौहार्द्र में खलल पड़ने का अंदेशा जताने वाली खुफिया रिपोर्ट राज्य में भाजपा की रथ यात्रा रैलियों को इजाजत देने से इनकार करने की वजह थी। वहीं, भाजपा के वकील एस. के. कपूर ने आरोप लगाया कि इसके लिए इजाजत देने से इनकार करना पूर्व निर्धारित और इसका कोई आधार नहीं था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च किया और किसी ने उन्हें नहीं रोका लेकिन अब यहां सरकार कहती है कि वह एक राजनीतिक रैली निकालने की इजाजत नहीं देगी।