सबरीमला विवाद : मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर तनाव, आज केरल बंद का ऐलान

सबरीमला/तिरूवनंतपुरम: काले रंग के परिधान पहने रजस्वला वाली उम्र की दो महिलाओं ने हिन्दूवादी संगठनों की तमाम धमकियों की परवाह न करते हुए बुधवार तड़के भगवान अयप्पा के सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर सदियों पुरानी परंपरा तोड़ दीं। इस घटना के बाद भाजपा और हिन्दूवादी संगठनों ने केरल में हिंसक प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के बीच, विभिन्न हिन्दूवादी समूहों के एक मुख्य संगठन ने बृहस्पतिवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। राज्य सचिवालय करीब पांच घंटे तक संघर्ष स्थल में तब्दील हो गया और सत्तारूढ माकपा तथा भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई और उन्होंने एक दूसरे पर पत्थर फेंके।

पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। मल्लपुरम में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का पुतला फूंका गया और जब भाजपा के महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने सचिवालय परिसर में मुख्यमंत्री के कार्यालय के पास जबर्दस्ती करने की कोशिश की तो चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की खबर आग की तरह फैल गई और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने राजमार्गों को बाधित किया जिसके कारण दुकानें एवं बाजार बंद करने पड़े। पुलिस ने कहा कि कई स्थानों पर सत्तारूढ माकपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई जिससे तनाव पैदा हो गया। पथनमतित्ता जिले के कोन्नी और कोझेनचेरी में सरकारी केएसआरटीसी बसों को नुकसान पहुंचाया गया। मंदिर इसी जिले में स्थित है। पूरे राज्य में मंदिरों से जुड़े देवस्वोम बोर्ड के कार्यालयों को बंद कर दिया गया। हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

अधिकारियों ने कहा कि सचिवालय के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं ने मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया। विभिन्न हिन्दूवादी संगठनों के मुख्य समूह ‘सबरीमला कर्म समिति’ और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ने बृहस्पतिवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। उधर, कांग्रेस नीत यूडीएफ ने कहा कि वह ‘‘काला दिवस’’ मनाएगी। केरल में बार बार के बंद से परेशान कुछ कारोबारी संगठनों ने बंद का आह्वान न मानने तथा अपने प्रतिष्ठानों को खुला रखने का फैसला किया है।

कुछ टीवी चैनलों के महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की तस्वीरें दिखाने के कुछ ही समय बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने घोषणा की कि महिलाओं ने मंदिर में वास्तव में पूजा अर्चना की। विजयन की एलडीएफ सरकार न्यायालय के फैसले को लागू करने के अपने निश्चय के कारण भगवान अयप्पा के कट्टर श्रद्धालुओं के विरोध का सामना कर रही है। विजयन ने कहा, ‘‘पहले महिलाएं कुछ अवरोधों के कारण मंदिर में प्रवेश करने में सक्षम नहीं थीं। वे आज शायद इसलिए मंदिर के अंदर जा पाईं क्योंकि उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा। यह सच है कि महिलाओं ने सबरीमला मंदिर में प्रवेश किया। पुलिस ने उन्हें सुरक्षा दी है।’’ इस बात से मंदिर के प्राधिकारी खुश नहीं है। मुख्य पुजारी ने इस खबर के बाद श्रद्धालुओं को परिसर से बाहर जाने का आदेश देकर गर्भ गृह के द्वार बंद कर दिए। उन्होंने द्वार पुन: खोलने से पहले ‘‘शुद्धिकरण’’ किया।

अधिकारियों ने बताया कि ‘दर्शन’ के तुरंत बाद पुलिस महिलाओं को मंदिर से दूर ले गई। उन्हें पथनामथिट्टा ले जाया गया जहां से वे अज्ञात स्थान पर चली गईं। बिंदू एवं कनकदुर्गा के घरों के बाहर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। बिंदू कॉलेज में लेक्चरर और भाकपा (माले) कार्यकर्ता हैं। वह कोझिकोड जिले के कोयिलैंडी की रहने वाली है। कनकदुर्गा मलप्पुरम के अंगदीपुरम में एक नागरिक आपूर्ति कर्मी हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन कट्टर श्रद्धालुओं के विरोध के कारण वे प्रवेश नहीं कर पाईं।

बिंदू ने बाद में कहा कि उन्हें अयप्पा श्रद्धालुओं के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘सुबह पहाड़ी चढ़ते हुए पहले की तरह इस बार कोई ‘नामजप’ विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। वहां श्रद्धालु मौजूद थे और उन्होंने हमें रोका नहीं और न ही विरोध किया। पुलिस ने पाम्बा से हमें सुरक्षा प्रदान की।’’ महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने गुरुवयूर में एक समारोह में भाग लेने पहुंचे देवस्व ओम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन को काले झंडे दिखाए।

स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को भी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। पार्टी की युवा शाखा ने कन्नूर में उन्हें काले झंडे दिखाए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य की राजधानी में भी विरोध में मार्च निकाला। उन्होंने कासरगोड में राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीतला ने कहा कि यह मुख्यमंत्री के ‘‘दृढ़ रुख’’ को दर्शाता है। सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश करने का स्वागत किया और इसे ‘समानता की जीत’ करार दिया। देसाई ने कहा, ‘‘यह हमारे आंदोलन के लिए एक बड़ी जीत है। यह समानता की जीत है। यह नए साल में महिलाओं के लिए अच्छी शुरूआत है।’’

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