नागरिकता छोड़ने से नहीं बचेगा मेहुल चौकसी, सारे भगोड़े लाए जाएंगे भारत: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि भगोड़े मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) का प्रत्यपर्ण होकर रहेगा. गृहमंत्री ने कहा कि भारत की नागरिकता छोड़ने से मेहुल चौकसी नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि न केवल मेहुल चौकसी बल्कि जितने भी आर्थिक अपराधी विदेशों में छुपे बैठे हैं उनका प्रत्यपर्ण होकर रहेगा. भारत सरकार आर्थिक अपराधियों के प्रत्यपर्ण के लिए तैयारियां कर रही हैं. नागरिकता छोड़ने मात्र से इसमें कोई नहीं बच सकता है.

इससे पहले सोमवार तड़के ही खबर आई कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का साढ़े तेरह हजार करोड़ रुपए का घोटाला करके विदेश भाग गए कारोबारी मेहुल चौकसी ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है. मेहुल चौकसी ने एंटीगा हाईकमीशन में भारतीय पासपोर्ट को जमा करा दिया है. पासपोर्ट नंबर जेड 3396732 कैंसिल्ड बुक्स के साथ जमा कराया गया है. नागरिकता छोडने के लिए 177 यूएस डालर का ड्राफ्ट भी जमा कराया है.

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमित नारंग ने गृह मंत्रालय को सूचना दी है. नागरिकता छोडने वाले फार्म में चौकसी ने अपना नया पता जौली हार्बर सेंट मार्कस एंटीगा लिखा है. हाईकमीशन को कहा कि उसने नियमों के तहत एंटीगा की नागरिकता ली और भारत की छोड़ी है.मेहुल चौकसी भारतीय नागरिकता छोड़कर प्रत्यपर्ण की कार्रवाई से बचना चाहता है. चौकसी की इस बाबत एंटीगा की कोर्ट में 22 फरवरी को सुनवाई है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने विदेश मंत्रालय और जांच एजेंसियों से मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी है. मालूम हो कि पीएनबी घोटाले का दूसरा आरोपी नीरव मोदी लंदन में रह रहा है.

माल्या के प्रत्यपर्ण की भी हो रही कोशिशें
उधर, लंदन की एक अदालत ने हाल ही में आदेश दिया है कि बैंकों के साथ भारी धोखाधड़ी के आरोपों की सुनवाई के लिए भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत को प्रत्यर्पित किया जाए. अदालत ने कहा कि यह अभियोग राजनीति से प्रेरित है, इसका कोई सबूत नहीं है. द वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की एम्मा अर्बथनॉट ने कहा, ‘माल्या की पैरवी पर मीडिया का ज्यादा ध्यान होने के कारण संभावित प्रभाव की आलोचना को यह अदालत स्वीकार नहीं करती और यह भी कि इससे मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी.’

अदालत ने कहा, ‘इस अदालत के पास यह पता लगाने के अपर्याप्त सबूत हैं कि उनकी सुनवाई एक सक्षम व निष्पक्ष अदालत द्वारा नहीं होगी.

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