Akash Anand: मायावती ने आकाश आनंद से क्यों छीनीं जिम्मेदारियां, 5 महीने में ऐसा क्या हुआ, क्या है वजह?
Akash Anand: लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच बसपा प्रमुख मायावती अपने कुछ फैसलों से लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. लोकसभा चुनाव के बीच उम्मीदवार बदलने की बात हो, इंडी गठबंधन में शामिल न होकर अकेले चुनाव लड़ना ये निर्णय राजनीति में उनके कमजोर होते कद को मजबूत बना रहा है.
इसी बीच उन्होंने एक अप्रत्याशित निर्णय लेकर सबको चौंका दिया. बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार देर रात अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाने के साथ-साथ उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाने का फैसला भी वापस ले लिया.
बसपा प्रमुख ने ट्वीट करते हुए कहा है कि पार्टी और उसके मूवमेंट के व्यापक हित को देखते हुए पूर्ण परिपक्वता आने तक आकाश आनंद को दोनों जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार पार्टी और मूवमेंट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे.
Akash Anand: आखिर मायावती ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?
अचानक आकाश आनंद पर एक्शन होने से सियासी गलियारों में चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. आखिर मायावती ने आकाश को आगे बढ़ाया. सात साल तक राजनीति के गुर सिखाए और इस लोकसभा चुनाव में बड़े नेता के तौर पर लॉन्च किया था. फिर ऐसा क्या हो गया कि बहन जी को इतना बड़ा निर्णय लेना पड़ा.
हालांकि, मायावती ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने यह निर्णय पार्टी और मूवमेंट के हित में और आकाश में पूर्ण परिपक्वता आने तक इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया है. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मायावती ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया?
Akash Anand: क्या आकाश का तेवर बना वजह?
बसपा प्रमुख मायावती के बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी विरोधी दल के नेता के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने से परहेज करती हैं. वे सधी हुई भाषा में अपनी बात रखती हैं और मुद्दों को लेकर विरोधी खेमे की घेराबंदी करती हैं. इसके उलट पहली बार लोकसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मैदान में उतरे आकाश आनंद के आक्रामक तेवर और विरोधी दलों के खिलाफ टिप्पणियां चर्चा में आ गईं.
आकाश के जोशीले अंदाज के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगे. इस बीच, 28 अप्रैल को आकाश आनंद समेत चार अन्य लोगों के खिलाफ सीतापुर में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया.
आकाश पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी भाषण के दौरान भड़काऊ और हिंसा उकसाने वाली टिप्पणियां की हैं. आकाश के भाषण पर जिला प्रशासन ने स्वत: संज्ञान लिया और कार्रवाई की. नए-नए राजनीति में आए आकाश आनंद के खिलाफ यह पहला आपराधिक मामला लिखा गया है.http://भाजपा को निशाने पर ले रहे थे आकाश
Akash Anand: बसपा की कार्यशैली से हटकर अलग काम
बसपा प्रमुख मायावती ने जब पांच महीने पहले आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी थी, तो उस वक्त ही ये साफ कर दिया था कि आकाश आनंद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर उन राज्यों में काम करेंगे, जहां पार्टी कमजोर स्थिति में है.
एक तरह से आकाश आनंद को हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों की कमान दी गई थी, लेकिन आकाश आनंद ने अपना फोकस यूपी पर केंद्रित रखा. आकाश की ज्यादातर रैलियां उत्तर प्रदेश में हुई हैं. ऐसे में यूपी की सियासत में सक्रिय होना कहीं आकाश आनंद को तो महंगा नहीं पड़ा, क्योंकि यूपी में बसपा के जिन नेताओं के हाथों में कमान है, उसमें कई नेता ऐसे हैं जिनका आकाश आनंद से छत्तीस का आंकड़ा है.
Akash Anand: भाजपा को निशाने पर ले रहे थे आकाश
आकाश आनंद अपनी चुनावी रैलियों में लगातार बीजेपी और मोदी-योगी सरकार को सीधे निशाने पर ले रहे थे. वहीं, मायावती जब भी बीजेपी को हमला करती हैं तो साथ में कांग्रेस पर भी सवाल खड़ी करती हैं. आकाश आनंद अपनी जनसभाओं में सपा और कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के खिलाफ मुखर हो गए थे.
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इस तरह आकाश आनंद बीजेपी की बी टीम वाले नैरेटिव को तोड़ते हुए नजर आ रहे थे. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आकाश आनंद जिस तरह से आक्रामक तेवर और शैली में भाषण दे रहे थे उससे बीजेपी को नुकसान और सपा को फायदा होता दिख रहा था. शायद यही वजह थी कि मायावती ने आकाश आनंद को हटाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.
Akash Anand: BSP नेताओं के साथ तालमेल की कमी
सूत्रों की मानें तो मायावती के उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद से आकाश आनंद बसपा को एक नए अवतार में ले जाना चाहते थे, उनकी कार्यशैली से पार्टी के कई कोऑर्डिनेटर असहज महसूस कर रहे थे. मायावती ने जिन बसपा नेताओं के साथ आकाश आनंद को काम करने के लिए लगाया था, उनके साथ ही नहीं पटी.
पिछले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी दिखा था कि आकाश आनंद बीच चुनाव में खुद किनारा कर लिए थे, क्योंकि एक भी नेशनल कोऑर्डिनेटर उनकी सलाह को मानने के लिए तैयार नहीं था. बसपा में इस वक्त जो भी कोऑर्डिनेटर हैं उनके साथ आकाश आनंद के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं है. इसकी वजह जनरेशन गैप है और जो उनकी सियासी राह में बाधा बन गई. माना जाता है कि बसपा में फिलहाल एक टीम ऐसी है, जो मायावती के करीबी हैं.
Akash Anand: कौन हैं आकाश आनंद, जानिए उनके बारे में……
आकाश आनंद ने शुरुआती दिनों में दिल्ली में पढ़ाई की. उसके बाद लंदन चले गए और वहां एमबीए की डिग्री हासिल की. वे 2017 में भारत लौट आए. आकाश 2017 में तब सुर्खियों में आए, जब मायावती ने सहारनपुर की चुनावी रैली में आकाश को पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलवाया था.
मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से आकाश का परिचय लंदन से एमबीए ग्रेजुएट के रूप में कराया था और बताया था कि आकाश पार्टी मामलों में भी शामिल हो होंगे. उसके बाद आकाश ने धीरे-धीरे राजनीति में कदम आगे बढ़ाए. पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं से संवाद बढ़ाया.
मायावती से जब आकाश के बारे में पूछा जाता तो वो यही कहती रहीं कि उसे राजनीति के लिए तैयार किया जा रहा है. मायावती ने आकाश को जनवरी 2019 में औपचारिक रूप से बसपा में शामिल करने का ऐलान किया.
Akash Anand: 2019 में राजनीति में सक्रिय हुए आकाश आनंद
2019 के लोकसभा चुनाव में जब चुनाव आयोग ने मायावती के प्रचार करने पर 48 घंटे का बैन लगा दिया, तब आकाश ने पहली बार यूपी के आगरा में चुनावी रैली की थी और लोगों को समाजवादी पार्टी-बसपा-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन का समर्थन करने की अपील की थी.
2019 के लोकसभा चुनाव में आकाश को मायावती के साथ बहुत सक्रिय भूमिका में देखा गया.वे मीटिंग से लेकर पार्टी की रणनीति बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाते देखे गए. आकाश को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा का स्टार प्रचारक बनाया गया.
Akash Anand: 2019 में बनाए गए थे नेशनल कॉओर्डिनेटर
मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया और पार्टी संगठन में बड़े स्तर पर फेरबदल हुआ, तब बसपा प्रमुख ने जून 2019 में आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी.
2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में मायावती के बाद आकाश का नाम दूसरे स्थान पर था. यूपी विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिसंबर 2022 में मायावती ने पार्टी कैडर से कहा कि वो आकाश को पार्टी से जुड़े कामों की रिपोर्ट लेने के लिए अलग-अलग जिलों में भेजेंगी. आकाश को यूपी और उत्तराखंड के बाहर पार्टी के काम देखने की जिम्मेदारी भी दी गई.