अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल की नीलामी प्रकिया पूरी
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है. कंपनी की नीलामी में हर बार कोई न कोई अड़चन आ जाती है. पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रही इस कंपनी को पहले खरीदार नहीं मिल रहे थे. अब खरीदार मिलने लगे तो नीलामी प्रक्रिया में कोई न कोई पेंच फंस जा रहा है.
ताजा मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने मंगलवार को रिलायंस कैपिटल के लेंडर्स की याचिका पर सुनवाई पूरी की और अपना आदेश सुरक्षित रखा. याचिका में कर्ज में डूबी फर्म के लिए दूसरे दौर की वित्तीय बोली का अनुरोध किया गया है. अब आदेश सुरक्षित होने की वजह से फिर से मामला अटक गया है. ये वही बात हुई कि मुंह को आया लेकिन खा न पाए.
दरअसल अनिल अंबानी की इस कंपनी के लिए टोरेंट इंवेस्टमेंट्स ने सबसे अधिक बोली लगाई थी. टोरेंट ने 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी लेकिन जब रिलायंस कैपिटल ने दूसरे बोली के लिए जाने का फैसला किया तो टोरेंट इंवेस्टमेंट ने NCLT का दरवाजा खटखटा दिया. तब से मामले में पेंच फंसा हुआ है. अब टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें पूरी कीं और कहा कि दिवाला एवं इंसॉल्वेसी और बैंकरप्सी कोड(आईबीसी) के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का इरादा रहता है, लेकिन साथ ही संपत्ति के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
रोहतगी ने तर्क दिया कि आईबीसी एक ऋण वसूली मंच नहीं है और ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को उनकी व्यक्तिगत वसूली से परे देखना चाहिए। मुख्य ध्यान व्यवहार्यता पर होना चाहिए. ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि आईबीसी का मकसद संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना है और सीओसी शर्तों पर बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है.
कंपनी पर है 40,000 करोड़ का कर्ज
एनसीएलएटी विस्ट्रा आईटीसीएल (भारत) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें दिवालिया फर्म की आगे की नीलामी को रोक दिया गया है. एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) की मुंबई पीठ ने दो फरवरी को कहा था कि वित्तीय बोलियों के लिए चुनौती व्यवस्था 21 दिसंबर, 2022 को खत्म हो गई है, जिसमें 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की थी. रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.