अशोक चव्हाण:आदर्श घोटाले में गई थी CM की कुर्सी, पिता भी रहे मुख्यमंत्री
Maharastra: हाल के दिनों में कांग्रेस को एक के बाद एक कई बड़े झटके लग रहे हैं. मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दिकी के बाद महाराष्ट्र के एक और कद्दावर नेता ने पार्टी से किनारा कर लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण महाराष्ट्र ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि अशोक चव्हाण पिछले कई दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे, जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी से अलग होने का फैसला किया.अशोक चव्हाण उन नेताओं में शुमार हैं जिन्हें राजनीति विरासत में मिली थी. 28 अक्टूबर 1958 को महाराष्ट्र के एक रखूदार राजनीतिक परिवार में जन्में अशोक चव्हाण ने राजनीति के गुर अपने पिता शंकर राव चव्हाण से सीखे. उनके पिता कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे जिन्होंने दो बार बतौर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र का नेतृत्व किया. इसके साथ ही वो कांग्रेस की सरकार में कई बार मंत्री भी रहे.
1987 में नांदेड़ लोकसभा सीट से लड़ा चुनाव
राजनीतिक माहौल में पले बढ़े अशोक चव्हाण ने भी राजनीति में आने का फैसला किया. उन्होंने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के तौर पर अपने राजनीतिक सफर का आगाज किया. साल 1987 में उन्होंने नांदेड़ लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और चुनाव जीतकर सांसद बने. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1992 में चव्हाण विधान परिषद के सदस्य बनाए गए. वहीं 1993 में उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद संभाला. साल 1995 से लेकर 1999 तक अशोक चव्हाण महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव भी रहे. 2003 में विलासराव देशमुख की सरकार में वो मंत्री बने.अशोक चव्हाण महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.
दो बार बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
अशोक चव्हाण दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद उस समय के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री बनाए गए. इसके बाद 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद एक बार फिर से उन्होंने महाराष्ट्र की कमान संभाली. महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ कि पिता और बेटे ने मुख्यमंत्री पद संभाला हो. वो दो बार लोकसभा सांसद तीन बार विधायक रह चुके हैं.
आदर्श घोटाले में गई थी CM की कुर्सी
8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री रहे. इस बीच उन पर आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में घोटाले का आरोप लगा. भ्रष्टाचार में फंसे चव्हाण के सामने इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं था. इस मामले में जमकर राजनीति हुई जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
हालांकि ये उनके राजनीतिक सफर का अंत नहीं था. 2014 के लोकसभा चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी. उसके बावजूद उन्होंने अपने गढ़ माने जाने वाले नांदेड़ लोकसभा सीट से भारी मतों से जीत दर्ज की. हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.