भूपेंद्र पटेल ने दूसरी बार संभाली गुजरात की कमान
अहमदाबाद. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मृदुभाषी चेहरे के रूप में पहचाने जाने वाले भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को फिर से राज्य की कमान संभाली. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नए सचिवालय के पास हेलीपैड ग्राउंड में आयोजित एक समारोह में पटेल को राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने शपथ समारोह में शिरकत की. पटेल के साथ 16 अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली. इनमें आठ को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘भूपेन्द्र भाई पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई. मैं उन सभी को भी बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली. यह एक ऊर्जावान टीम है, जो गुजरात को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.’
प्रदेश में भाजपा ने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को शिकस्त देकर प्रचंड बहुमत हासिल किया है. भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता भूपेंद्र पटेल ने नगर निकाय स्तर से राज्य की राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया. पार्टी ने पिछले साल जब राज्य में पूरी ही सरकार को बदलने का फैसला किया था तब मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेंद्र पटेल के चयन ने सभी को चौंका दिया था. पार्टी ने तब विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भूपेंद्र पटेल ने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई अन्य को पछाड़ दिया था.
सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री बनने से पहले भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद से बाहर कम ही लोग जानते थे. यहां तक कि उनसे पार्टी के अंदर भी ज्यादा लोग परिचित नहीं थे. उन्होंने गुजरात में खुद को एक नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए कई कड़े फैसले किए. भाजपा पहले ही ऐलान कर चुकी थी कि पार्टी को बहुमत मिलने पर भूपेंद्र पटेल ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. ‘ओपिनियन पोल्स’ (सर्वेक्षणों) में वह गुजरात का नेतृत्व करने के लिए लोगों की पहली पसंद के तौर पर उभरे थे.
पाटीदार के उपसमूह ‘केडवा’ से ताल्लुक रखते हैं भूपेंद्र पटेल
गुजरात में पाटीदार जाति का वर्चस्व है और अच्छी-खासी संख्या में उसके मतदाता हैं. उनका राज्य की राजनीति, शिक्षा और सहकारिता के क्षेत्रों पर काफी प्रभाव है. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण भाजपा 2017 में 99 सीट पर सिमट गई थी. तब पार्टी ने 1995 के बाद सबसे कम सीट हासिल की थी. पार्टी के लिए यह जरूरी था कि वह इस वर्ग का भरोसा फिर से जीते. पाटीदार के उपसमूह ‘केडवा’ से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र पटेल को तरक्की देकर और फिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पार्टी ने ‘केडवा’ पाटीदार समुदाय को रिझाने की योजना बनाई. कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता था कि यह वर्ग पार्टी से दूर हो गया था.
आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं भूपेंद्र पटेल
अहमदाबाद में जन्मे भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया सीट से विधायक हैं. इस सीट से पहले पूर्व मुख्यमंत्री एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायक रही थीं. भूपेंद्र पटेल ने 2017 में 1.17 लाख मतों के अंतर से यह सीट जीती थी. बृहस्पतिवार को घोषित हुए नतीजों के मुताबिक, भपेंद्र पटेल ने घाटलोडिया सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है. पटेल ने 1.92 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की. यह सीट गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करते हैं. भूपेंद्र पटेल को बहुत से लोग प्यार से ‘दादा’ बुलाते हैं. उन्हें आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है.
भूपेंद्र पटेल 2015-2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के प्रमुख रह चुके हैं. इससे पहले वह 2010 से 2015 के बीच अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के प्रमुख रहे. सिविल इंजीनिरिंग में डिप्लोमा रखने वाले भूपेंद्र पटेल के करीबी लोगों का कहना है कि वह खुशमिज़ाज हैं और ज़मीन से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले वह स्थानीय स्तर पर सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले के मेमनगर नगर निकाय के सदस्य बने. उन्होंने दो बार इसके प्रमुख के तौर पर सेवा दी.
भूपेंद्र पटेल सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी भी हैं. यह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है. पटेल की शादी हेतलबेन से हुई है जो गृहणी हैं. उनका आवास अहमदाबाद के शिलाज इलाके में हैं. उन्हें आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ-साथ क्रिकेट और बैडमिंटन जैसे खेल पसंद हैं. हाल में संपन्न हुए गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से रिकॉर्ड 156 सीट जीती हैं. यह गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लगातार सातवीं जीत है. कांग्रेस को 17 और आम आदमी पार्टी (आप) को पांच सीट पर जीत मिली है.