Bilvashtakam Stotra: सावन में करना है भगवान शंकर को प्रसन्‍न, तो करें बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ, हर मनोकामना होगी पूरी

Bilvashtakam Stotra: सावन में करना है भगवान शंकर को प्रसन्‍न, तो करें बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ, हर मनोकामना होगी पूरी

Bilvashtakam Stotra: सावन का शुभ महीना चल रहा है. भगवान शंकर को प्रसन्‍न करने का खास महीना, जिसमें भगवान शिव को सच्‍चे मन से याद करने पर वो भक्‍तों की झोली को सुख-संपदा से भर देते हैं. भगवान शंकर तो एक लोटे जल से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं. लेकिन महादेव को बिल्‍वपत्र भी बहुत पसंद है. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालु को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

Bilvashtakam Stotra: बेलपत्र का महत्‍व

बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) तो कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है) का प्रतीक माना जाता है. बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है.

Bilvashtakam Stotra: बेलपत्र चढ़ाते समय करें बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ

श्री शिव बिल्वाष्टकम् इतना शक्तिशाली स्तोत्र है कि माना जाता है कि इसे पढ़ने भर से साधकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करने के दौरान अगर शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ किया जाए तो भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं और मनुष्य को सभी पापों से छुटकारा मिलता है. वो असीम सुखों की प्राप्ति करता है और भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा पाता हैं.

Bilvashtakam Stotra: ऐसे करें पाठ

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् ।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥१॥

तीन दल वाला, सत्त्व, रज एवं तमः स्वरूप, सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि- त्रिनेत्रस्वरूप और आयुधत्रय स्वरूप तथा तीनों जन्मों के पापों को नष्ट करने वाला बिल्वपत्र में भगवान् शिव के लिये समर्पित करता हूँ ।

त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥२॥

छिद्ररहित, सुकोमल, तीन पत्ते वाले, मंगल प्रदान करने वाले बिल्वपत्र से मैं भगवान् शिव की पूजा करूँगा । यह बिल्वपत्र शिव को समर्पित करता हूँ ।

अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥३॥

अखण्ड बिल्वपत्र से नन्दिकेश्वर भगवान् की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं। मैं बिल्वपत्र शिव को समर्पित करता हूँ ।

शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञमहापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥४॥

मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, कदाचित् ब्राह्मणों को शालग्राम की शिला के समान तथा सोमयज्ञ के अनुष्ठान के समान महान् पुण्यशाली हो। (अतः मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ) ।

दन्तिकोटिसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च ।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥५॥

हजारों करोड़ गजदान, सैकड़ों वाजपेय-यज्ञ के अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान हो । (अतः मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ) ।

लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम् ।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥६॥

विष्णु-प्रिया भगवती लक्ष्मी के वक्षःस्थल से प्रादुर्भूत तथा महादेवजी के अत्यन्त प्रिय बिल्ववृक्ष को मैं समर्पित करता हूँ, यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥७॥

बिल्ववृक्ष का दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करने वाला तथा शिवापराध का संहार करने वाला है। यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे ।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥८॥

बिल्वपत्र का मूलभाग ब्रह्मरूप, मध्यभाग विष्णुरूप एवं अग्रभाग शिवरूप है, ऐसा बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।

बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
सर्वपापविनिर्मुक्तः शिवलोकमवाप्नुयात् ॥९॥

जो भगवान् शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करने वाले “बिल्वाष्टक” का पाठ करता है , वह समस्त पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है ।

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Bilvashtakam Stotra: शिव को चढ़ाएं ऐसे बेल पत्र 

भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने के लिए शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं. जिसके अनुसार, भगवान शिव को बेल पत्र हमेशा चिकने भाग से ही चढ़ाना चाहिए. कटे हुए पत्तों वाले बेल पत्र भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान शिव को 3 से कम पत्तों वाला बेल पत्र न चढ़ाएं. भगवान शिव को विषम संख्या जैसे 3,5,7 वाले बेल पत्र ही चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि 3 पत्तों वाला बेल पत्र त्रिदेवों और भगवान शिव के त्रिशूल का स्वरूप है.

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