BJP lose Ayodhya: अयोध्या की जनता ने क्‍यों दिया भाजपा के खिलाफ जनादेश? कहां रह गई चूक

BJP lose Ayodhya: अयोध्या की जनता ने क्‍यों दिया भाजपा के खिलाफ जनादेश? कहां रह गई चूक

BJP lose Ayodhya: भाजपा के लिए 2024 में फैजाबाद से हारना एक बड़ा झटका है. जनवरी 2024 में रामलला के प्राण-प्रतिष्‍ठा और दिव्‍य-भव्‍य राम मंदिर का बनना, लोगों के मन में मोदी-योगी के प्रति इतना अपार प्रेम देखकर ऐसे रिजल्‍ट की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती है. उस वक्‍त उठी हिंदुत्‍व की बयार पूरे राष्‍ट्र में एक लहर की तरह उठी और चुनाव आते-आते उसने अपना रूख भाजपा की तरफ से सपा की ओर मोड़ लिया. ऐसी कौन सी वजहें रही, जिसकी वजह से अयोध्‍या के लोग भाजपा प्रत्‍याशी के खिलाफ होकर वोट किए.

BJP lose Ayodhya: क्या मुद्दा था अयोध्यावासियों के लिए इस चुनाव में?

इस चुनाव में अयोध्या यानी फ़ैज़ाबाद लोकसभा क्षेत्र में महंगाई, बेरोज़गारी और संविधान व आरक्षण को बचाने के लिए मतदान हुआ है. जिसका नैरेटिव विपक्ष ने तैयार किया और उसको साधने में सफल भी रहा. तो दूसरी तरफ अयोध्या में ज़मीन अधिग्रहण का मुद्दा भी लोगों की नाराजगी का कारण बना.

नवनिर्मित घाट से राम मंदिर तक की सड़क को चौड़ा करने के लिए सड़क के दोनों ओर और बड़ी संख्या में घरों-दुकानों पर बुलडोज़र चलाकर ज़मीदोज़ कर दिया गया, जिससे लोगों की रोटी-रोजी छिन गई और उनका सदियों का पुश्तैनी आशियाना उजड़ गया. स्थानीय लोगों का कहना था कि – “राम हमारे आराध्य हैं, लेकिन आप हमारी रोटी-रोज़ी छीन लोगे, घर बार उजाड़ दोगे तो हम अपना परिवार लेकर कहां जाएंगे, क्या करेंगे.

सपा उम्मीदवार अवधेश कुमार ने इस मुद्दे को पकड़ा. उन्होंने स्थानीय लोगों की इस पीड़ा को न सिर्फ़ देखा बल्कि आश्वासन भी दिया कि जीतने पर वो उन लोगों को फिर से बसाने का काम करेंगे, जिन्हें भाजपा सरकार ने राम मंदिर की सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर ध्वस्त कर दिया. साथ ही जिनकी ज़मीने छीनी गई हैं, उन्हें उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा.

BJP lose Ayodhya: अयोध्‍या को नहीं भाता बीजेपी का साथ

यह विचित्र है कि जब-जब राम का नाम परवान चढ़ाने में भाजपा सफल रही, तब-तब अयोध्या में उसे हार का मुंह ही देखना पड़ा. अयोध्या विधानसभा सीट भी अक्सर उसके हाथ से जाती रही. लल्लू सिंह अक्सर अयोध्या से ही विधायक रहे, किंतु 2012 के चुनाव में अयोध्या विधानसभा सीट से सपा के तेज नारायण पांडेय जीते थे.

2023 में फैजाबाद (अब अयोध्या) नगर निगम का चुनाव भी भाजपा हारी थी. मजे की बात कि जिस वार्ड में राम जन्म भूमि परिसर पड़ता है, वहां से एक निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी सुल्तान अंसारी को जीत मिली, जबकि इसके तीन साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या ज़िले की पांचों विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं.

2020 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु आधार शिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी किंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की पांच विधानसभा सीटों में से मिल्कीपुर और गुसाईं गंज हार गई. इससे साफ जाहिर है कि भाजपा भले राम मंदिर को लेकर पूरे देश में वोट मांगे अयोध्या में उसे वोट नहीं मिलता.

BJP lose Ayodhya: अयोध्‍या की कमान अवधेश पासी के हाथ

लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से सपा के विधायक हैं. 9 बार विधायक रहने के कारण क्षेत्र में वे विधायक जी के नाम से जाने जाते हैं. पर अब वो सांसद जी बन गए. अयोध्या में 2024 के लोकसभा चुनाव में तो ऐसी फिजा बदली कि नारा लगा हमें अवधेश पासी ही चाहिए.

अखिलेश यादव ने फैजाबाद में एक बड़ा प्रयोग किया. सामान्य लोकसभा सीट पर उन्होंने दलित उम्मीदवार उतार दिया.समाजवादी पार्टी के पास मुसलमान और यादव वोट तो पहले से थे. इनमें कुर्मी-पटेल, निषाद और दलित वोट भी जुड़ गए. संविधान और आरक्षण बचाने के नाम पर मायावती के समर्थक जाटव वोटरों ने भी समाजवादी पार्टी का ही साथ दिया. उन्हें लगा कि बीएसपी तो लड़ नहीं पा रही है तो बीजेपी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी के साथी बने.

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फैजाबाद में दलित 26 प्रतिशत, मुस्लिम 14 फीसदी, कुर्मी 12% ब्राह्मण 12 प्रतिशत और यादव भी 12 फीसदी हैं. बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह ठाकुर बिरादरी के हैं. वे साल 2014 और 2019 में यहां से सांसद भी रहे. लेकिन इस बार उनका बड़ा विरोध था. पार्टी के लोग उम्मीदवार बदलने की मांग कर रहे थे. पर ऐसा नहीं हुआ.

अयोध्या में मंदिर के निर्माण के बाद विकास के बहुत काम हुए. लेकिन जमीन अधिग्रहण को लेकर लोकल लोगों में बड़ा गुस्सा है. उन्हें लगता है कि मुआवजे के बदले उन्हें ठगा गया. रही सही कसर संविधान और आरक्षण के मुद्दे को हवा देकर पूरी की गई.

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