Cabinet Committee on Security: क्या होते हैं CCS मंत्रालय? जिनकाे बीजेपी रखेगी अपने पास, सहयोगी दल होंगे निराश
Cabinet Committee on Security: नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की शपथ लेने में कुछ घंटे शेष है. इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. बेशक एनडीए को तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत मिला. लेकिन 2014 और 2019 की तरह बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. एनडीए में बीजेपी के बाद टीडीपी और जेडीयू सबसे बड़े दल हैं. इनके क्रमश: 16 और 12 सांसद हैं.
टीडीपी और जेडीयू इस चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरे हैं, तो ये दोनों दल केंद्र में मंत्रालय भी बड़ा चाहते थे. लेकिन बीजेपी ने दृढ़ता से अपनी बात रखते हुए सहयोगी दलों से कहा कि वह गठबंधन धर्म निभाएगी, लेकिन महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर समझौता नहीं करेगी. शायद इसीलिए भाजपा ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी से जुड़े चारों मंत्रालय अपने पास रखने का फैसला किया है.
ये चारों मंत्रालय हैं गृह, रक्षा, वित्त और विदेश. किसी भी पार्टी के लिए एक मजबूत सरकार के लिए इन चारों मंत्रालयों पर उसका कंट्रोल होना बहुत जरूरी होता है. यही मंत्रालय मिलकर सीसीएस (Cabinet Committee on Security) का गठन करते हैं और सभी बड़े मामलों पर पर निर्णय लेते हैं.
Cabinet Committee on Security: क्या होता है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का काम
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति) सुरक्षा के मामलों पर निर्णय लेने वाली देश की सर्वोच्च संस्था होती है. प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं और गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य. देश की सुरक्षा संबंधी सभी मुद्दों से जुड़े मामलों में अंतिम निर्णय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का ही होता है. इसके अलावा कानून एवं व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी सीसीएस ही अंतिम निर्णय लेता है.
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सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी भारत की रक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों से निपटती है. यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों पर चर्चा करती है. यह विदेशी मामलों के नीतिगत मामलों से भी निपटती है, जिनका आंतरिक या बाहरी सुरक्षा हालातों पर असर पड़ सकता है. इनमें सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर अन्य देशों के साथ समझौतों से संबंधित मामले शामिल हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों और परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों से निपटना सीसीएस का काम होता है. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निकायों या संस्थानों में अधिकारियों की नियुक्ति पर फैसला भी कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी का ही होता है. जैसे देश का राष्ट्रीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कौन होगा इसका निर्णय CCS लेता है.
Cabinet Committee on Security: अलायंस पर निर्भर नहीं रहना चाहती बीजेपी
भाजपा चाहती है कि मोदी 3.0 में वे मंत्रालय अपने पास ही रखे जाएं, जो सरकार के रिपोर्ट दुरुस्त रखने के लिए जरूरी हैं.
इसके साथ ही चर्चा है कि बीजेपी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और रेल मंत्रालय, लोकसभा स्पीकर का पद भी अपने किसी अलायंस पार्टनर को नहीं देने जा रही. इसके पीछे एकमात्र कारण यही है कि गठबंधन सरकार होने के बावजूद बीजेपी कहीं से भी यह नहीं चाहती कि पीएम मोदी को आगे चलकर बड़े नीतिगत मामलों में निर्णय के लिए अपने अलायंस पार्टनरों पर निर्भर होना पड़े.