Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पहले दिन कब और कैसे करें घटस्थापना
नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा सभी दु:खों को दूर और सुख-समृद्धि की कामना को पूरी करने वाली मानी गई है. शक्ति की साधना के लिए यह पर्व बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को पड़ने वाला यह नवरात्रि पर्व 22 मार्च 2023 से प्रारंभ होकर 30 मार्च 2023 तक मनाया जाएगा. नवरात्रि के 09 दिनों तक की जाने वाली दुर्गा पूजा एवं व्रत की शुरुआत घटस्थापना से होती है. देवी दुर्गा के 09 स्वरूप की पूजा एवं व्रत की शुरुआत करने से पहले यह कलश इस साल कब और कैसे स्थापित किया जाएगा?
कलश पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से शुरु होने वाला नवरात्रि का पर्व इस साल 22 मार्च 2023 से प्रारंभ होगा. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार नवरात्रि के पहले दिन देवी पूजा के लिए किए जाने वाले घटस्थापना का सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह 06:23 से लेकर 07:32 बजे तक रहेगा.
कलश पूजन की सामग्री
नवरात्रि में घटस्थापना या फिर कहें कलश को स्थापित करने के लिए इससे जुड़ी सभी चीजों को पहले से इकट्ठा करके रख लें. घटस्थापना के लिए माता की चुनरी, नारियल पानी वाला, नवग्रह का सामान, पंंचरत्नी सर्वोषधि, हल्दी, रोली, कलाई नारा, ध्वजा, धूपबत्ती, सिंदूर, मिट्टी का कलश, आम की पत्ती, केले की पत्ता, पंचमेवा, पंचामृत का सामान, श्रृगार सामग्री, दूर्वा, फूल-माला, मिठाई, घी, कपूर, रुई की बाती, माचिस, जनेऊ, इत्र, पान-सुपाड़ी, लौंग, इलायची, अक्षत, गंगाजल, जौ, पवित्र मिट्टी, चौकी, आसन, लाल और सफेद कपड़ा अपने पास रख लें.
कलश स्थापना की विधि
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने के लिए सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद घर के ईशान कोण में स्थान को साफ एवं पवित्र करने के बाद वहां पर एक चौकी रखें और उस पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें अष्टदल अथवा सर्वोभद्र मंडल का चक्र अक्षत के जरिए बनाएं. इसके बाद उस पर मिट्टी का कलश शुद्ध जल भरकर रखें. इसके बाद उसमें आम या अशोक की पत्ती लगाकर चुनरी से लिपटा हुआ एक नारियल रखें. इसके बाद कलश के चारों मिट्टी में जौ बो दें. नारियल रखने से पहले कलश में शुभता के लिए पूजा की सुपाड़ी और एक सिक्का जरूर डालें.
यदि आप अष्टदल या फिर सर्वोभद्र मंडल का चक्र न बना पाएं तो भक्ति भाव से एक लाल रंग के कपड़े पर थोड़ा सा अक्षत डालकर वहां पर एक मिट्टी का चौड़ा पात्र रखें और उसमें शुद्ध मिट्टी पर गंगाजल या पवित्र जल छिड़कर जौ बो दें. इसके बाद वहां पर एक सफेद कपड़े के ऊपर एक नवग्रह मंडल का चक्र बनाएं और सभी ग्रहों को स्थापित करें.
नवग्रह स्थापना के बाद एक पीढ़े पर सफेद कपड़ा बिछाकर षोडश मातृका बनाएं. साथ ही साथ गौरी-गणेश की भी स्थापना करें. इसके बाद षोडशोपचार पूजन करते हुए देवी दुर्गा का सच्चे मन से आह्वान करें. इसके बाद दुर्गासप्तशती का प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र का पाठ करें. पाठ समाप्त होने के बाद आरती के साथ पूजन का समापन करें. नवरात्रि के 09 दिनों तक षोडशोपचार पूजन और दुर्गा सप्तशती के पाठ का क्रम जारी रखें. इसके बाद अपनी मान्यता के अनुसार अष्टमी या नवमी के दिन हवन करके नवरात्रि की पूजा संपूर्ण करें.