Cloud Seeding: क्या होती है Cloud Seeding, क्या वाकई इससे प्रदूषण में होगी कमी?
Cloud Seeding: दिल्ली में प्रदूषण के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ग्रैप 1,2,3,4 सब लागू किए जा रहे हैं। पर इन सबके बावजूद कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। लोगों काे सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, खांसी जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। बढ़ता AQI इस बात की तस्दीक दे रहा है कि स्थिति अब नियंत्रण से बाहर हो गई है।
दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कृत्रिम वर्षा कराने के लेकर चिट्ठी लिखी है।
Cloud Seeding: क्या होती है कृत्रिम बारिश
दीपावली के बाद और ठंड के दस्तक देने के बीच दिल्ली हर साल प्रदूषण के नए-नए रिकॉर्ड कायम कर रही है। जब प्रदूषण इतनी गंभीर स्थिति में पंहुच जाता है, तब जाकर सरकार सुध लेती है। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश कराने को लेकर केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी है।
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है, जो बादलों में मौजूद नमी में संघनन की प्रक्रिया को तेज़ कर देती है। इस वजह से बारिश होने लगती है।
इस प्रक्रिया में बादलों में सिल्वर आयोडाइड और क्लोराइड जैसे लवणों (नमक) का स्प्रे किया जाता है। अमूमन ये छिड़काव विमानों से या फिर ज़मीन पर मौजूद मशीनों से किया जाता है।
स्प्रे में मौजूद लवणों के महीन कण आइस न्यूक्लियेटिंग पार्टिकल की तरह काम करते हैं।
बादल में इससे बर्फ़ के क्रिस्टल बदलने लगते हैं। बादलों में मौजूद नमी इसके बाद बर्फ के क्रिस्टल को घेर लेती है और इन्हें संघनित कर बारिश में बदल देती है।
Cloud Seeding: कैसे काम करते हैं बादल
कृत्रिम बारिश कराने के लिए हवा की गति और दिशा दोनों मायने रखते हैं। मौसम वैज्ञानिक, मौसम की सही स्थिति को देखते हुए इस प्रक्रिया को शुरू करते हैं। इसके लिए आसमान में बादल और हवा दोनो जरूरी है। बादल में कम से कम 40 प्रतिशत नमी होनी चाहिए।
प्रक्रिया के लिए, विशेषज्ञों के द्वारा कोई विमान या ड्रोन बादल क्षेत्रों के चारों ओर उड़ता है ताकि बादलों में रसायनों को छोड़ा जा सके।
रासायनिक कण संघनन नाभिक के रूप में मदद करते हैं, जो पानी की बूंदों के इकट्ठा होने और बनने की प्रक्रिया है। यह वर्षा को बढ़ाने या परिणामित करने में मदद करता है।
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Cloud Seeding: कितना हो सकता है प्रदूषण में सुधार
कृत्रिम वर्षा विभिन्न प्रदूषकों को हटाने में मदद कर सकती है, जिनमें PM2.5 और PM10 शामिल हैं, जो दिल्ली की हवा के प्रमुख प्रदूषक हैं। इससे हवा में घुले धुंए और धूल को कम करने में मदद मिलती है, जिससे प्रदूषण का स्तर घटता है और लोगों को सांस लेने में राहत मिलती है।