Computer made from human brain: इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं, इंसानी दिमाग से ही बना डाला कंप्यूटर
Computer made from human brain: अभी AI की तकनीक से दुनिया वाकिफ भी नहीं हुई थी कि अब और एक नए अविष्कार ने जन्म ले लिया. हम बात कर रहे हैं लिविंग कंम्प्यूटर की, जिसे स्वीडन के वैज्ञानिकों ने बनाया है. जो इंसान के मस्तिष्क के टुकड़ों से बना है! जी हां बिलकुल सही सुना आपने.
Computer made from human brain: कैसे बना लिविंग कंम्प्यूटर
यह कंप्यूटर 16 ऑर्गेनॉइड्स से बना है. जो कि आपस में एक दूसरे को सूचना ट्रांसफर करते हैं. इंसानी दिमाग की तरह ये अपने न्यूरॉन्स से कोई संकेत भेजते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि डिजिटल प्रोसेस की तुलना में ये 10 लाख गुना कम एनर्जी का यूज करते हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस कम्प्यूटर की सबसे खास बात यह है कि ये कम्प्यूटर चिप की तरह सूचनाओं को आदान-प्रदान करता है. अगर दुनिया में इस तरह से कम्प्यूटिंग का इस्तेमाल किया जाएगा तो ऊर्जा संकट हल हो जाएगा. अब इस तकनीक को लेकर दुनियाभर की कंपनियां और यूनिवर्सिटीज पड़ताल में लग गई हैं.
Computer made from human brain: ऊर्जा की होगी बचत
इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि जिन कामों के लिए हमारा दिमाग 10 से 20 वाट की ऊर्जा खाता है, उसके लिए अभी के कम्प्यूटर (21 मेगावाट) 2.1 करोड़ वाट ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं. 1 मेगावाट 10 लाख वाट के बराबर होता है. इस तरह 21 मेगावाट 2.1 करोड़ वाट के बराबर होगा. कहा जा सकता है कि ये इंसानी दिमाग से 1 हजार गुना ज्यादा है.
फाइनल स्पार्क के सीईओ डॉ फ्रेड डेलीमेल को बताते हैं कि ऑर्गनॉइड्स स्टेम से बने होते हैं जो खुद की केयर कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस जीवित कम्प्यूटर को 0.5 मिमी मोटे इन मिनी ब्रेन को दस हजार जिंदा न्यूरॉन्स से बनाया गया है. इसकी कोशिकाएं 100 दिन तक जिंदा रहती हैं, जिनकी जगह ऑर्गनॉइड ले सकते हैं.
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Computer made from human brain: बढ़ सकती है मांग
शोधकर्ताओं ने इसे वेटवेयर नाम भी दे दिया है, क्योंकि यह असल इंसानी दिमाग की तरह काम करता है. जहां दुनिया अभी अक्षय ऊर्जा के स्रोत खोज रही है और भविष्य में ऊर्जा संकट की आहट को साफ महसूस कर रही है. कम ऊर्जा खाने वाले कम्प्यूटर की मांग बहुत ज्यादा हो जाएगी.