तेलंगाना के सीएम पद के लिए रेवंत रेड्डी के नाम पर कांग्रेस की मुहर
New Delhi: रेवंत रेड्डी तेलंगाना के सीएम बनेंगे और वो 7 दिसंबर को शपथ ले सकते हैं। गौरतलब है कि रेवंत रेड्डी तेलंगाना में कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और चुनाव जीतने के बाद से वह आलाकमान की पहली पसंद बने हुए थे। जब कांग्रेस ने तेलंगाना में जीत हासिल की, उसी वक्त से ये चर्चा शुरू हो गई थी कि रेड्डी को सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
तेलंगाना में कांग्रेस को जो जीत हासिल हुई, उसमें तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने अहम भूमिका निभाई। शायद यही वजह है कि सीएम पद के लिए वह पार्टी की पसंद बने। गौरतलब है कि तेलंगाना में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। कर्नाटक के बाद तेलंगाना दक्षिण का दूसरा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार बनेगी।
तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान रेड्डी की राहुल और प्रियंका से काफी नजदीकियां सामने आईं। जिसके बाद चुनावी पंडित ये अंदाजा लगाने लगे थे कि अगर तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिलती है तो रेड्डी सीएम बन सकते हैं।
संघ से होते हुए कांग्रेस में पहुंचे रेड्डी
रेवंत रेड्डी का जन्म साल 1969 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में हुआ। साल 2009 में वे आंध्र की कोडांगल से टीडीपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह साल 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन साल 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस से लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से जीत हासिल की। साल 2021 में कांग्रेस ने उन्हें राज्य का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। हैरानी की बात ये है कि रेवंत रेड्डी ने अपनी राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की थी।
कभी केसीआर के खास आदमी थे
2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद केसीआर ने तेलंगाना में सरकार बनाई. तब वह केसीआर के खास आदमी थे. छाया की तरह उनके पीछे लगे रहते थे. उनकी निष्ठा और बोलने की कला से प्रेरित होकर केसीआर ने उन्हें तेलंगाना टीडीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया. हालांकि एक साल बाद ही वो गंभीर आरोप में फंस गए.
2015 में उन्हें एक गुप्त ऑपरेशन के जरिए टीडीपी एमएलसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के लिए एक विधायक एल्विस स्टीफेंसन को रिश्वत देते पकड़ा गया. रेवंत को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी इकलौती बेटी निमिषा की शादी हो रही थी. वह जमानत पर कुछ घंटों के लिए बाहर आए तभी सगाई और शादी में शामिल हो सके. पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया.
रेवंत रेड्डी ने 8 साल पहले कसम खाई थी कि मेरे जीवन का उद्देश्य केसीआर (के.चंद्रशेखर राव) को गद्दी से उतारना और उनके परिवार को राजनीति से खत्म कर देने का है. अब हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने ये सच कर दिखाया है. राज्य में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति को बडे़ अंतर से उखाड़ फेंका है.