Delhi Air Polution: दम निकाल रही दिल्‍ली की हवा, क्‍या सिर्फ पराली की वजह से बिगड़े इतने हालात?

Delhi Air Polution: दम निकाल रही दिल्‍ली की हवा, क्‍या सिर्फ पराली की वजह से बिगड़े इतने हालात?

Delhi Air Polution:  भारत की राजधानी दिल्‍ली साफ हवा के लिए जूझ रही है। तमाम पाबंदियों के बावजूद वायु प्रदूषण हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है। दिल्ली में 17 नवंबर 2024 को सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया।  विभिन्न क्षेत्रों में AQI 1000 से 1200 के पार चला गया।

कई निर्माण कार्य बंद हैं, ट्रक जैसे बड़े वाहन और डीजल की गाडि़यों पर प्रतिबंध है। स्‍कूल,कॉलेज पर ताला लगा हुआ है। GRPA-1 से लेकर GRPA-4  तक लागू है। पर राहत के कहीं आसार नहीं दिख रहे हैं। आज तो दिल्‍ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश कराने को लेकर केंद्र सरकार को चिट्टी लिखी।

हर साल दीपावली के बाद दिल्‍ली में वायु प्रदूषण क्‍यों इतना बढ़ जाता है कि लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है? हर साल पटाखों पर प्रतिबंध, पराली जलाते किसान, बदलता मौसम, कुछ ऐसे कारक हैं, जो स्थिति को भयंकर बना देते हैं।

Delhi Air Polution: क्‍या सिर्फ पराली जलने से प्रदूषण बढ़ता है

दिल्‍ली से दूर पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली की वजह से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए बढ़ जाता है, लेकिन क्या सिर्फ पराली जलाना ही समस्या की एकमात्र वजह है? दशकों से देश में पराली जलाये जाने का काम चला आ रहा है, लेकिन वायु प्रदूषण के लिए इसको जिम्‍मेदार बीते कुछ साल से ही बताया जा रहा है।

मानसून की विदाई के साथ ही पंजाब और हरियाणा में फसलों की कटाई का काम शुरू हो जाता है। दिल्ली का प्रदूषण बढ़ाने में पराली की सिर्फ 4 फीसदी भागीदारी है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में ऐसा भी होता है कि किसी-किसी दिन ये 30 फीसदी तक भी पहुंच जाता है।क्‍योंकि इस वक्‍त खेतों में अगले फसल के बुआई के लिए ज्‍यादा मात्रा में पराली जलाई जाती है।

Delhi Air Polution: दिल्‍ली में चलने वाली गाड़ियों से होता है ज्‍यादा प्रदूषण

दिल्ली में प्रदूषण के बहुत सारे कारण हैं। दिल्‍ली की सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां, जिनसे 28 फीसदी प्रदूषण होता है। दिल्ली में कई कारखानें लगे हुए हैं, उनसे निकलने वाले धुएं से 30 फीसदी, उड़ती धूल की वजह से 17 फीसदी और अन्य कंस्‍ट्रक्‍शन के कामों से 21 फीसदी प्रदूषण होता है।

एक नए अध्ययन से पता चला है कि सर्दियों के महीनों में दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को प्रभावित करने वाले प्रदूषकों में वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण सबसें बड़ा योगदानकर्ता है। आंकड़े बताते हैं कि स्थानीय स्रोतों से फैलने वाले प्रदूषकों में आधे से ज्यादा हिस्सा वाहनों का है। राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैफिक जाम भी वायु गुणवत्ता को खराब करने का कारण बनता है।

Delhi Air Polution: हर साल गाड़ियाें की संख्‍या में हो रहा इजाफा

दिल्‍ली में गाडि़यों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। 2023-24 के इकोनॉमिकल सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 80 लाख के करीब गाड़ियां हैं। वहीं सीएसई के मुताबिक दिल्ली में सालाना 15.6 फीसदी की दर से वाहनों में बढ़ोतरी हो रही है। इनमें से ज्यादातर दोपहिया वाहन और कारें हैं।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की हालिया रिसर्च रिसर्च के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 के करीब 40 फीसदी उत्सर्जन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के 81 फीसदी उत्सर्जन के लिए सड़कों पर दौड़ते वाहन जिम्मेदार है।

दिल्ली में हर दिन 1,100 से अधिक दोपहिया वाहन और 500 निजी कारें पंजीकृत होती हैं। दिल्‍ली में काम के कारण आए लोगों की बढ़ोत्तरी के चलते भी इन आंकड़ों में भी इजाफा होता है। इस समस्‍या को देखते हुए दिल्‍ली सरकार ऑड- ईवन प्रोग्राम को भी चलाकर देख चुकी है।

जिससे गाड़ियाें की संख्‍या में कमी आती है, इससे वायु प्रदूषण में कमी देखी गई है। प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने  2016 में पहली बार ऑड-ईवन सिस्टम लागू किया था।

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Delhi Air Polution: कितना कारगर है ऑड-ईवन फॉर्मूला

2019 में भी दिल्ली में ऑड-ईवन लागू किया गया था। दिल्ली में औसत AQI में गिरावाट आई थी। ऑड-ईवन लागू होने से पहले 23 अक्टूबर से 3 नवंबर 2019 के बीच दिल्ली में औसत AQI 369.5 था। ऑड-ईवन के दौरान 14-15 नवंबर तक, औसत AQI 328.5 था।शोध बताते हैं कि कार और बाइक जैसे वाहन खतरनाक कणों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बनते हैं।

इन सब बातों से एक चीज स्‍पष्‍ट है कि दिल्‍ली के प्रदूषण में बाकी चीजों के मुकाबले पराली की बहुत ही मामूली भूमिका है।

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