पहलवानों के धरना स्‍थल पर राजनैतिक पार्टियाें का प्रदर्शन

New Delhi:  ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, एशियाई चैम्पियनशिप और देश-दुनिया की कई दूसरी प्रतियोगिताओं में देश के लिए मेडल जीतने वाले पहलवान एक बार फिर बीते 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं.बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने बाकी पहलवानों के साथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि वो बीते ढाई तीन महीने से इंसाफ़ के इंतज़ार में हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है.

जहां तक खिलाडि़यों के साथ हुई नाइंसाफी की बात है उनको न्‍याय मिलना चाहिए।वो हमारे देश की शान हैं। इस मामले में  जो भी आरोपी हो उसको सजा मिलनी ही चाहिए। लकिन पहलवानों के धरना-प्रदर्शन पर राजनैतिक पार्टियों का अपने मतलब के लिए जाना ठीक नहीं है।

सका अहसास कहीं न कहीं, धरने पर बैठे अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को भी है। शनिवार को एकाएक कई घटनाक्रम हो गए। सुबह प्रियंका गांधी, पहलवानों से मिलने पहुंच गईं। कुछ देर बाद कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने भी मीडिया के सामने अपनी भड़ास निकाल दी। उन्होंने कह दिया कि मैं तो बहाना हूं, निशाना तो कोई और है। यौन उत्पीड़न के आरोपों को नकारते हुए बृजभूषण ने कहा, ‘एक ही परिवार और एक ही अखाड़ा क्यों, देश के बाकी खिलाड़ी कहां हैं। उनके साथ यौन शोषण क्यों नहीं हो रहा। इसके बाद जब यह मामला ‘राजनीति’ के आसपास घूमने लगा, तो पहलवान साक्षी मलिक सामने आईं। उन्होंने कहा, हम खिलाड़ी हैं और हम किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं। यहां आकर जो भी हमारे धरने को भटकाने की कोशिश कर रहा है, उसका जिम्मेदार वह खुद होगा हम नहीं होंगे। इसके साथ ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी मैदान में कूद पड़े। उन्होंने कहा, ये तो राजनीतिक मुद्दा ही नहीं है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

पहले था परहेज, इस बार मांगा साथ

तीन माह पहले जब इन्हीं पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना दिया था, तो उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को अपने मंच से दूर रखा था। उस समय सीपीआई नेता वृंदा करात ने जब पहलवानों से बात करनी चाही तो उन्हें मना कर दिया गया। पहलवानों ने अपने हाथ में माइक पकड़कर स्पष्ट तौर से कह दिया कि यहां कोई राजनीति न करे। वे कृपया पहलवानों के मंच से दूर रहें। इसके बाद कोई भी राजनीतिक दल, वहां नहीं पहुंचा। अब तीन माह बाद स्थिति उलट हो चली है। बजरंग पुनिया, हाथ जोड़कर राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और खाप पंचायतों से अपील करते रहे कि वे जंतर-मंतर पर आकर हमारा साथ दें। सोशल मीडिया पर भी पूरे जोरशोर के साथ यह अपील की गई।

नतीजा, जंतर-मंतर पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की कतार लग गई। इसके साथ ही ऐसी खबरें भी आने लगीं कि अब पहलवानों की लड़ाई हाईजैक होती जा रही है। उनका आंदोलन, कहीं न कहीं राजनीतिक दलों के हाथों में जा पहुंचा है। इस लड़ाई को राजनीतिक दलों के हाथों में जाता देख, पहलवान चिंतित हो गए। स्थिति की गंभीरता को भांपकर पहले साक्षी मलिक ने बयान दिया। उसके बाद बबीता फोगाट मैदान में उतरी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, शून्य से उठकर शिखर तक पहुंचने वाले हम खिलाड़ी अपनी लड़ाई लड़ने में स्वयं सक्षम हैं। खिलाड़ियों के मंच को राजनीतिक रोटी सेंकने का मंच नहीं बनाना चाहिए। कुछ नेता खिलाड़ियों के मंच से अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं।

दीपेंद्र हुड्डा ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

खिलाड़ियों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी एक के नहीं, समूचे राष्ट्र के हैं। चूंकि सत्ता पक्ष की ओर से लगातार ऐसी खबरें आ रही थी कि पहलवानों की लड़ाई के पीछे ‘कांग्रेस’ का हाथ है। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके सुपुत्र एवं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा निशाना बन रहे थे। खुद बृजभूषण शरण ने भी यही इशारा किया था। दीपेंद्र हुड्डा ने खुद पर बात आती देख कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को प्रेसवार्ता कर दी। उन्होंने कहा, ये खिलाड़ी पीएम मोदी से न्याय की गुहार लगा रहे थे। जब ये मेडल लाए तो पीएम ने इनका सम्मान करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। अब वे मौन धारण किए हुए हैं। ये घोर अन्याय है। पिछले तीन माह में इस केस में जो कुछ हुआ, उससे सरकार की नीयत स्पष्ट हो चुकी है। सरकार, पहलवानों को न्याय नहीं देना चाहती।

सरकारी तंत्र ने बृजभूषण शरण सिंह को बचाने का प्रयास किया है। उन लोगों को सामने लाया जाए, जिन्होंने शरण सिंह को बचाया है। दीपेंद्र हुड्डा ने उन आरोपों को निराधार बताया है, जिसमें यह कहा गया था कि उन्हें कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष पद में रूचि है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन के पीछे उनका हाथ बताया जा रहा है। हुड्डा बोले, मैं हरियाणा की राजनीति में व्यस्त हूं। सरकार को खिलाड़ियों को न्याय देना होगा। मैं ये कहता हूं कि भाजपा नेता भी जंतर-मंतर पर पहुंचें। ये तो राजनीतिक मुद्दा ही नहीं है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। कुश्ती ही नहीं, दूसरे खेलों में भी हरियाणा का नाम है। भूपेंद्र हुड्डा सरकार की नीति, पदक लाओ और पदक पाओ, ने युवाओं को खेलों के प्रति आकर्षित किया था।

धरने के पीछे एक उद्योगपति और कांग्रेस पार्टी का हाथ!

जब मामला, राजनीति की ओर जाने लगा तो एकाएक भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह भी सामने आ गए। उन्होंने खुद पर लगाए गए पहलवानों के आरोपों को बेबुनियाद बता दिया। वे बोले, ‘मुझे जनता की वजह से पद मिला है। उन्होंने सवाल किया, ‘एक ही परिवार और एक ही अखाड़ा क्यों। देश के अन्य प्रांतों के खिलाड़ी क्यों आरोप नहीं लगा रहे हैं। भाजपा सांसद ने कहा, दिल्ली पुलिस पर मुझे पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मेरे लिए सर्वमान्य है।

कई महीनों से लगातार आरोप पर आरोप लगाए जा रहे हैं। इससे मुझे भी कष्ट होता है। इस मामले की अब निष्पक्ष जांच हो। इन पहलवानों की मांग लगातार बदलती रहती है। अब तो मेरा कार्यकाल लगभग पूरा हो गया है। नई बॉडी के गठन तक इस्तीफा देना कोई बड़ी चीज नहीं है, लेकिन अपराधी की तरह नहीं, मैं अपराधी नहीं हूं। ये पद, जो मेरे पास है, वह विनेश फोगट की कृपा से नहीं है। मैं चुनाव लड़कर जीता हूं। यहां की जनता ने मुझे ये पद दिया है। पहलवानों के धरने के पीछे एक उद्योगपति और कांग्रेस पार्टी का हाथ है। वह हाथ आज सभी को दिख गया है। यह मामला सोशल मीडिया पर भी गर्माया हुआ है। ट्विटर पर इसे जाट बनाम राजपूत की लड़ाई के तौर पर पेश किया जा रहा है।

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