‘नियति ने तय कर लिया था कि श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा’,प्राण-प्रतिष्ठा पर बोले लालकृष्ण आडवाणी
New Delhi: 22 जनवरी को भगवान राम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर हिंदी साहित्य पत्रिका राष्ट्रधर्म ने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर लालकृष्ण आडवाणी से खास बातचीत की. इसमें उन्होंने रथ यात्रा तक का जिक्र किया है. 1990 में भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अलग ही अलख जगा दी। उन्होंने इसके लिए गुजरात के सोमनाथ से यात्रा निकाली।इस यात्रा को 33 साल पूरे हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा भी अब दूर नहीं है।उन्होंने इस पल को लाने, भव्य मंदिर बनवाने और संकल्प पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भी दी.
मुझे नहीं पता था कि यात्रा आंदोलन में बदल जाएगी’
लालकृष्ण आडवाणी अपनी रथयात्रा के अविस्मरणीय पल को याद करते हुये कहते हैं कि रथयात्रा को आज करीब 33 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। 25 सितंबर, 1990 की सुबह रथयात्रा आरम्भ करते समय हमें यह नहीं पता था कि प्रभु राम की जिस आस्था से प्रेरित होकर यह यात्रा आरम्भ की जा रही है, वह देश में आंदोलन का रूप ले लेगा। उस समय वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सहायक थे। वे पूरी रथयात्रा में उनके साथ ही रहे। तब वे ज्यादा चर्चित नहीं थे। मगर राम ने अपने अनन्य भक्त को उस समय ही उनके मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये चुन लिया था। आडवाणी जी स्वयं भी ऐसा मानते हैं कि उनकी राजनीतिक यात्रा में अयोध्या आंदोलन सबसे निर्णायक परिवर्तनकारी घटना थी, जिसने उन्हें भारत को पुन: जानने और इस प्रक्रिया में अपने आपको भी फिर से समझने का अवसर दिया है।
बातचीत में उन्होंने कहा, “रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था. रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था.”
उन्होंने इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया और कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन में वे उनकी कमी को महसूस कर रहे हैं.