Dhanteras 2024: धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा से बढती है सुख समृद्धि, शरीर रहता है निरोग
Dhanteras 2024: दीपावली, धन, सौभाग्य, समृद्धि और रोशनी का पर्व है। हिंदू धर्म में दीपावली एक ऐसा त्योहार है, जो पांच दिन उसी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ‘धनतेरस’ त्योहार से होती है। जो कि भाई बहन के अटूट रिश्ते के प्रतीक भाई दूज पर जाकर खत्म होती है।
Dhanteras 2024: धनतेरस पर क्यों करते है भगवान धन्वंतरि की पूजा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक,समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन हुई थी। यही कारण है कि त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य-दिवस यानी जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा से व्यक्ति निरोग ओर सुखी रहता है।
Dhanteras 2024: कौन हैं भगवान धन्वंतरि
पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हुए हैं। भागवत पुराण के अनुसार भगवान धन्वंतरि इन 24 अवतारों में से उनके 12वें अवतार माने गए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से कई अद्भुत वस्तुएं निकलीं, जिसमें से 13वें रत्न के रूप में भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। कहते हैं कि वे एक कलश के साथ उत्पन्न हुए थे, जो समुद्र मंथन से निकला 14वां रत्न अमृत था।
Sharad Purnima 2024: आध्यात्मिक प्रेम और आत्मा का परमात्मा से मिलन का पर्व है शरद पूर्णिमा
विष्णु पुराण में उल्लेख किया गया है कि समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे। सुश्रुत संहिता में भी इस बात का उल्लेख है कि धन्वन्तरि ने सुश्रुत आदि ऋषियों को उपदेश देते हुए बताया है कि मैं ही आदिदेव धन्वंतरि हूं और पृथ्वी पर आयुर्वेद चिकित्सा के उपदेश के लिए आया हूं।
Dhanteras 2024: भगवान धन्वंतरि कहलाते हैं आयुर्वेद के जनक?
भगवान धन्वंतरि को भारतीय चिकित्सा ग्रंथों में आयुर्वेद का देवता माना गया है। जब असुरों और देवताओं में समुद्र मंथन हुआ तो धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, तो उनके हाथ में अमृत कलश के साथ ही एक औषधि पुस्तक भी थी। कहते हैं, इस औषधि की पुस्तक में संसार के सभी रोग और उसके उपचार की विधियां निर्देशित थीं। यही कारण है कि उनको आयुर्वेद का जनक कहा जाता है। आयुर्वेद में भगवान धन्वंतरि का अतुलनीय योगदान है। मान्यता है कि उन्होंने आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को स्थापित किया था।
Dhanteras 2024: पूजा विधि
इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। स्वास्थ्य के साथ घर में सुख समृद्धि का वास हो। इसके लिए प्रार्थना की जाती है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में धन्वंतरि जी की पूजा करें।
इनके सामने घी का दीपक, अगरबत्ती जलाएं और शाम को द्वार पर भी दीपक जलाएं।
भगवान धन्वंतरि की पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः’ का जाप करते रहें। इस मंत्र के उच्चारण से भगवान धन्वंतरि प्रसन्न होते हैं।
फिर भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की आरती करें, उनके मंत्र पढ़ें।
बता दें कि धन्वंतरि जी की पूजा से शरीर में रोग नहीं आती और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानी नहीं होती।