DRDO की स्टडी का दावा- ड्यूटी पर मिलने वाले भोजन से 97 फीसदी BSF जवान संतुष्ट
नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन( डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला की ओर से किए गए विशेष अध्ययन में कहा गया है कि सीमा सुरक्षा बल( बीएसएफ) के 97 फीसदी जवानों ने उन्हें सीमा पर तथा कहीं भी ड्यूटी पर तैनाती के दौरान मिलने वाले भोजन की मात्रा एवं गुणवत्ता पर संतोष व्यक्त किया है. बीएसएफ के विशेष आग्रह पर डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज( डीआईपीएएस) की ओर से यह अध्ययन तब किया गया जब पिछले साल बीएसएफ के एक जवान ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर दावा किया था कि जवानों को घटिया खाना दिया जा रहा है.
पिछले साल शुरू किए गए अध्ययन में बल के आठ फ्रंटियरों से भोजन की वरीयता एवं संतोष के स्तर के आंकड़े एकत्र कर यह पूरी कवायद की गई. इन आठ फ्रंटियरों में चार पश्चिमी एवं चार पूर्वी कमान में हैं. बीएसएफ ने एक बयान में कहा कि रिपोर्ट में अलग- अलग क्षेत्रों एवं भौगोलिक स्थिति वाले इलाकों में आठ फ्रंटियरों के 6,526 प्रतिभागियों से इकट्ठा किए गए आंकड़े का सार पेश किया गया है. इसमें संकेत दिए गए हैं कि 97 फीसदी जवान भोजन की मात्रा एवं गुणवत्ता से संतुष्ट हैं.
अपनी तरह का यह पहला कदम
बीएसएफ महानिदेशक के के शर्मा ने बताया था कि एक संसदीय समिति की सिफारिश के बाद अपनी तरह का यह पहला कदम उठाया गया है. शर्मा ने कहा, ‘‘ हम बीएसएफ भोजनालयों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता परखने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला से अध्ययन करवा रहे हैं. उसके विशेषज्ञ खाना पकाने वाले कर्मियों, इस इकाई को चलाने वालों तथा इस भोजन को खाने वालों से बातचीत कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वैसे तो अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन जो हमारी समझ में आया है वह यह है कि जवानों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता एवं मात्रा संतोषजनक से कहीं अच्छी है.’’ डीआरडीओ की मैसूर प्रयोगशाला यह अध्ययन कर रही है.
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों को अच्छा भोजन प्रदान करना न केवल उन्हें स्वस्थ रखने बल्कि उनका मनोबल ऊंचा रखने के लिए भी जरुरी है . उसने उन्हें परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता की परख के लिए उचित प्रणाली की सिफारिश की थी. शर्मा ने कहा कि जवान तेज बहादुर के खराब खाना परोसे जाने के दावे के बाद बीएसएफ ने आतंरिक जांच की और पाया कि खाने की गुणवत्ता एवं मात्रा कभी कोई मुद्दा ही नहीं रही.