ED की छापेमारी के बीच सिसोदिया के बचाव में फिर उतरे मुख्यमंत्री केजरीवाल

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के एक मामले में शुक्रवार को एक बार फिर छापेमारी की जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ जबरन सबूत ढूंढ़ने का अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि ईडी के अधिकारी दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद में 35 स्थानों पर छापेमारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ शराब वितरकों, कंपनियों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की तलाशी ली जा रही है। हम आपको बता दें कि ईडी इस मामले में अब तक 103 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। इस मामले में पिछले महीने शराब व्यवसायी एवं शराब बनाने वाली कंपनी ‘इंडोस्पिरिट’ के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया गया था।

केजरीवाल का आरोप

इस बीच, छापेमारी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत ढूंढ़ने के लिए 300 से अधिक अधिकारी लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला है, क्योंकि उन्होंने कुछ किया ही नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि ‘गंदी राजनीति’ के कारण ईडी और सीबीआई के सैंकड़ों अधिकारियों का समय बर्बाद किया जा रहा है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘500 से ज्यादा छापे, तीन महीनों से सीबीआई/ईडी के 300 से ज्यादा अधिकारी 24 घंटे लगे हुए हैं… एक मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत ढूंढ़ने के लिए… कुछ नहीं मिल रहा, क्योंकि कुछ किया ही नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अपनी गंदी राजनीति के लिए इतने अधिकारियों का समय बर्बाद किया जा रहा है। ऐसे देश कैसे तरक्की करेगा?’’

अब तक क्या हुआ?

हम आपको बता दें कि दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं के मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम बतौर आरोपी दर्ज है। सीबीआई द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी ने धन शोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी ने इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक और तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन से भी पूछताछ की है। सीबीआई ने भी कई लोगों से पूछताछ की है और मामले में उद्योगपति विजय नायर को गिरफ्तार किया है।

क्या है पूरा मामला? 

हम आपको यह भी बता दें कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियमावली-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में पाया गया था कि निविदा जारी करने के बाद ‘‘शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ’’ पहुंचाने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक’’ की गई। इसमें आरोप लगाया गया था कि राजकोष को नुकसान पहुंचाकर निविदाएं जारी की गईं और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया।

 

सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के नाम पर लाइसेंस धारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उन्होंने बताया कि लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी तब वापस कर दी गई, जब वह हवाई अड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रहा था। एक सूत्र ने कहा, ‘‘यह दिल्ली आबकारी अधिनियम 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बोली लगाने वाले को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। ऐसा न करने पर सरकार उसकी जमा राशि जब्त कर लेगी।’’ हम आपको बता दें कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहरभर में 32 क्षेत्रों में 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे।

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