Ganga Dussehra 2024: क्‍यों मनाते हैं गंगा दशहरा, क्‍यों इस दिन करना चाहिए गंगा में स्‍नान,क्‍या है महत्‍व?

Ganga Dussehra 2024: क्‍यों मनाते हैं गंगा दशहरा, क्‍यों इस दिन करना चाहिए गंगा में स्‍नान,क्‍या है महत्‍व?

Ganga Dussehra 2024: मां गंगा की महिमा वेदों में भी गायी जाती है. मोक्षदायिनी मां गंगा के स्‍पर्श और सेवन से मनुष्‍य के पाप कटने लगते हैं. देवता से लेकर मनुष्‍य तक मां गंगा की महिमा का गान नहीं कर सकते. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्‍वी पर अवतरण हुआ था, जिसको गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है. इस वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून को है.

इस दिन गंगा में स्‍नान करने का विधान है. माना जाता है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं.

Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा की कथा

प्राचीन काल में अयोध्या में सगर नामक राजा राज्य करते थे,उनके केशिनी और सुमति नामक दो रानियां थीं, केशिनी के अन्सुमान नामक पुत्र हुआ और सुमति के साठ हजार पुत्र हुये.एक बार राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ किया.यज्ञ की पूर्ति के लिये एक घोड़ा छोड़ा गया. इन्द्र यज्ञ को भंग करने हेतु घोड़े को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध आये.

राजा ने यज्ञ के घोडे को खोजने के लिये अपने साठ हजार पुत्रों को भेजा. घोड़े को खोजते खोजते वे कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे,तो उन्होने यज्ञ के घोडे को वहां बंधा पाया. उस समय कपिल मुनि तपस्या कर रहे थे. राजा के पुत्रों ने कपिल मुनि को चोर चोर कहकर पुकारना शुरु कर दिया.

कपिल मुनि की समाधि टूट गयी तथा राजा के सारे पुत्र कपिल मुनि के श्राप से जल कर भस्म हो गये. अंशुमान पिता की आज्ञा पाकर अपने भाइयों को खोजता हुआ जब कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचा तो महात्मा गरुड ने अंशुमान को उसके भाइयों के भस्म होने का वृतांत बताया. उन्होने अंशुमान को यह भी बताया कि अगर उनकी मुक्त चाहिये तो गंगाजी को पृथ्वी पर लाना पडेगा.

महाराज सगर की मृत्यु के पश्चात अंशुमान ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिये तप किया मगर वे असफ़ल रहे. इसके बाद उनके पुत्र दिलीप ने भी तपस्या की परन्तु वे भी असफ़ल रहे. अन्त में दिलीप के पुत्र भागीरथ ने  गोकर्ण नामक तीर्थ में जाकर तपस्या की. ब्रह्माजी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा जी को पृथ्वी पर ले जाने का वरदान दिया.

उनके तपस्या के प्रभाव से प्रसन्‍न होकर ब्रह्माजी ने  भगीरथ को वरदान दिया कि गंगाजी को पृथ्वी पर लाने के कारण उनका एक नाम भागीरथी भी होगा,

Ganga Dussehra 2024: करें श्रीगंगा स्तोत्रम् का जाप 

आपको बता दें कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अगर आप नदी में स्नान का पुण्य लाभ नहीं उठा पा रहे हैं तो घर पर ही स्नान करते समय गंगा स्तोत्र का पाठ करें या फिर पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिला लें.  यह स्तोत्र आपके लिए कई गुना फलदायी होगा. गंगा स्तोत्र का जाप करने से सभी पाप धुल जाते हैं.

Ganga Dussehra 2024: मां गंगा स्तोत्रम्

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे
त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले
मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥१॥

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव
जलमहिमा निगमे ख्यातः ।
नाहं जाने तव महिमानं
पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ २॥

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे
हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे ।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं
कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ ३॥

तव जलममलं येन निपीतं,
परमपदं खलु तेन गृहीतम् ।
मातर्गङ्गे त्वयि यो भक्तः
किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः ॥ ४॥

पतितोद्धारिणि जाह्नवि गङ्गे
खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे ।
भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये,
पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ॥ ५॥

कल्पलतामिव फलदां लोके,
प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।
पारावारविहारिणि गङ्गे
विमुखयुवतिकृततरलापाङ्गे ॥ ६॥

तव चेन्मातः स्रोतःस्नातः
पुनरपि जठरे सोऽपि न जातः ।
नरकनिवारिणि जाह्नवि गङ्गे
कलुषविनाशिनि महिमोत्तुङ्गे ॥ ७॥

पुनरसदङ्गे पुण्यतरङ्गे
जय जय जाह्नवि करुणापाङ्गे ।
इन्द्रमुकुटमणिराजितचरणे
सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ॥ ८॥

रोगं शोकं तापं पापं
हर मे भगवति कुमतिकलापम्।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे
त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे॥ ९॥

अलकानन्दे परमानन्दे
कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।
तव तटनिकटे यस्य निवासः
खलु वैकुण्ठे तस्य निवासः ॥१०॥

वरमिह नीरे कमठो मीनः
किं वा तीरे शरटः क्षीणः ।
अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव
न हि दूरे नृपतिकुलीनः॥ ११॥

भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये
देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।
गङ्गास्तवमिमममलं नित्यं
पठति नरो यः स जयति सत्यम् ॥ १२॥

Ganga Dussehra 2024: बन रहा है शुभ योग

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग और अमृत योग का भी संयोग बन रहा है. इस योग में गंगा स्नान करने से जातक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा आराधना करने के साथ-साथ पवित्र नदी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

Ganga Dussehra 2024: ये चीजें करें दान

गंगा दशहरे के पर्व पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करने का विशेष महत्व होता है. ऐसा कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर दान की जाने वाली वस्तुओं की संख्या 10 होनी चाहिए. इस दिन आप 10 फल, 10 पंखे, 10 सुराही, 10 छाते या फिर 10 हिस्से अन्न का दान कर सकते हैं.

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Ganga Dussehra 2024: गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा में क्या है अंतर?

धर्म ग्रंथों और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. जहां एक ओर गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा का जन्मोत्सव होता है यो वहीं गंगा दशहरा मां गंगा  के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव है.

गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा ब्रह्म देव के कमंडल से जन्मी थीं जबकि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा का आगमन पृथ्वी पर हुआ था. गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा ने अपने जल से भगवान विष्णु की चरण वंदना कर उनके लोक में अपना स्थान पाया था. तो वहीं गंगा दशहरा के दिन मां गंगा ने प्रथ्वी पर जाते समय भगवान शिव की जटाओं में अपने वेग को स्थापित किया था. असल में गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा स्वर्ग में जन्मीं थीं जबकि पृथ्वी पर उनका अवतरण गंगा दशहरा के दिन हुआ था.

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