सरकार की हवाई किराये को रेग्युलेट करने की कोई मंशा नहीं है-ज्योतिरादित्य सिंधिया

एयरलाइंस के हवाई किराया तय करने को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं होने के चलते, अक्सर कई हलकों में एयर फेयर की अपर लिमिट तय करने, या दूरी के हिसाब से किरायों को रेग्युलेट करने की बहस होती रहती है. अब इस पर नागर विमान मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बड़ी बात कही है. उनका कहना है कि सरकार की हवाई किराये को रेग्युलेट करने की कोई मंशा नहीं है. बाजार को इसे खुद से तय करना है.

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ये बात कही. उनसे भारतीय एयरलाइंस के बीच होने वाली गलाकाट प्रतिस्पर्धा और उससे ग्राहकों को होने वाले लाभ के साथ-साथ इसके एयरलाइंस की बिगड़ती वित्तीय हालत पर प्रभाव को लेकर सवाल किया गया था.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि आम तौर पर एविएशन सेक्टर को ऐसे बाजार के तौर पर देखा जाता है, जहां कंपनियां बंद हो जाती हैं. पर लगभग 20 साल बाद इस सेक्टर में एक नई कंपनी (आकासा एयर) उतरी है. वहीं 24 दिसंबर को भारत ने हवाई रोजाना उड़ान भरने वाले हवाई यात्रियों की संख्या का एक और रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया. उन्होंने कहा कि हम 43 लाख हवाई यात्रियों के रिकॉर्ड को पार कर चुके हैं

सिंधिया ने कहा कि एविएशन सेक्टर लगातार बढ़ रहा है और ये बढ़त स्थायी रहने वाली है.

एविएशन सेक्टर का ग्रोथ रेट 15%

2019 के मुकाबले इस साल एविएशन सेक्टर की 15 प्रतिशत ग्रोथ के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दो बड़ी वजह बताई. उन्होंने कहा कि एक तो लोगों की ‘घूमने की इच्छा’ और दूसरा एयरलाइंस का अपने ‘जहाजी बेड़े को बढ़ाना’, साथ-साथ एयरपोर्ट की संख्या बढ़ना, इनसे हवाई यात्रा में बढ़ोतरी हुई है.

साल 2013-14 में देश में महज 74 एयरपोर्ट थे, अब संख्या 146 तक हो गई है. अगले 4 से 5 सालों में इसके बढ़कर 200 पार करने की उम्मीद है.

सरकार ने बनाया बड़ा प्लान

देश में हवाई किराया रेग्यूलेट भले सरकार नहीं कर सकती हो, पर एविएशन सेक्टर को बूम देने के लिए वह एक बड़े प्लान पर काम कर रही है, ये कहना है ज्योतिरादित्य सिंधिया का. उन्होंने कहा कि आने वाले 4 से 5 साल में दिल्ली-मुंबई समेत देश के 6 बड़े मेट्रो शहरों के एयरपोर्ट की कैपेसिटी 19.2 करोड़ से बढ़कर 42 करोड़ सालाना हो जाएगी.

हवाईअड्डों पर भीड़ को कम करने के लिए उन्होंने कहा कि सरकार दो तरीके से काम कर रही है, एक तो फ्लाइट्स की तेजी से उड़ान सुनिश्चित करना, दूसरा सिक्योरिटी चेक्स की क्षमता को बढ़ाना. दिल्ली जैसे एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक्स की संख्या को एक महीने से भी कम वक्त में 13 से बढ़ाकर 21 किया गया है.

एयर फ्यूल पर टैक्स कम करने के बारे में उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में एयर टरबाइन फ्यूल पर 1 से 30 प्रतिशत का वैट लगता है; जहां 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 से 4 प्रतिशत वैट है, वहीं 24 राज्यों में ये 20 से 30 प्रतिशत के बीच है. हमने उनसे हाथ जोड़कर विनती की, और अब 16 और राज्य ऐसे हैं जो 1 से 4 प्रतिशत के ब्रैकेट में आ गए हैं.

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